कविता- हमें आंखें न दिखाऔ
हमें आंखे न दिखाऔ,
यदि ऊनै आंखें दिखा दई
तो आंखन सें दूर हो जैहो।
और दिखाउने है तो
कछु दरियादिली दिखाऔ।
कौनउ गरीब खौ
एक बोरा पिसी दे आऔ।
और सुनो जौन कुंभ से लौटे है
उनसें तो मइना भर दूरइ रहियो।
नइतर वे तो लौटे है।
तुम लोटे में चले जैहो।
और सुनो चुनाव में गये नेतन सें दूरइ रइयो।
कजन ऊनै तुमे चुन लऔ तो,
चिना नइ परो।
एइ से आराम सें घरे परो।।
विकट समय है
तनक धीरज धरो।
घर सें बायरे नइ कडो।
तनक धीरज धरो।।
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-राजीव नामदेव राना लिधौरी
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी
टीकमगढ़ (म.प्र.) 472001
मोबाइल-9893520965
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