आलेख- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)
आलेख-श्री हनुमान जी कुछ प्रसिद्ध अनोखे मंदिर -
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,टीकमगढ़ (मप्र)
श्री हनुमान जी के जनम के विषय में मतभेद है कुछ लोग हनुमान जी का जन्म स्थान झारखंड के ‘‘आंजन’’ गाँव के मानते है तो कुछ लोग आंध्र प्रदेश के ‘‘अंजनाद्री पर्वत’’ को वहीं कुछ लोग कर्नाटक राज्य के ‘‘हंपी’’ नगर जिसे पूर्व के किष्ंिकंधा नगरी कहा जाता था उसे मानते है। हरियाणा राज्य के कैथल (कपिस्थल) को भी हनुमान जी का जन्म स्थान माना जाता है। गुजरात के डांग जिला के ‘‘आहवा’’ स्थान से पच्चीस किलोमीटर की दूरी पर सहयाद्रि पर्वत पर एक अंजनी कुंड है। डांग जिले को प्राचीनकाल में ‘‘दंडकारण्य प्रदेश’’ कहा जाता था। यहाँ पर श्री राम ने वनबास के लगभग दस वर्ष गुजारे थे। यहाँ एक झरने के पीछे माता अंजनी की एक गुफा है इसी के पास में एक सुबीर (शबरी) संभाग नामक प्रसिद्ध स्थान हे जहाँ पर कहते है कि श्री राम चन्द्र जी ने शबरी के झूठे बेर खाये थे। यहीं पर एक शबरी मंदिर है से लग्ीाभग सात किलोमीटर दूरी पर पूर्णा नदी पर ‘‘पंपा सरोवर’’ हैं। ऐसा कहा जाता है जहाँ पर श्री बाल हनुमान जी ने अपनी बाल लीलाओं को किया था। यहाँ पर एक चट्टान पर हनुमान जी का मंदिर है।
श्री हनुमान जी के मंदिर आपको हर शहर एवं गाँवों-देहातों में बहुत संख्या में देखने को मिल जायेंगे, किन्तु कुछ मंदिर अपनी अनोखी विशेषताओं एवं सिद्धियों के कारण देश भर मंे विख्यात हैं, लाखों लोग उनके दर्शन करने पहुँचते है और लाभ प्राप्त करते है। मैं यहाँ पर कुछ प्रसिद्धि अनोखे श्री हनुमान जी के मंदिरों का उल्लेख कर रहा हूँ अधिक विस्तार न हो इसलिए बहुत ही संक्षिप्त में उनके बारे में जानकारी दे रहा हूँ-
भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाते,मेहंदीपुर के बालाजी हनुमान मंदिर-
राजस्थान के जयपुर शहर से 65 किलोमीटर दूरी पर जयपुर-बांदीकुई बस मार्ग पर मेंहदीपुर में बालाजी के हनुमान जी का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है जहाँ पर भूत-पे्रत आदि ऊपरी बांधाआंे से मुक्ति मिलती हैं। देशभर से लाखों की संख्या में लोग यहाँ आकर लाभ उठाते हैं इस स्थान में आकर कितना भी भंयकर बड़ा भूत प्रेत, जिन्न,बुरी आत्मा जिस किसी को भी लगी हो वह दूर हो जाती है और उस आदमी को छोड़कर भाग जाती है और आदमी को उन बुरी आत्माओं से मुक्ति मिल जाती है।
उल्टे हनुमान जी,साँवेर, इंदौर-उज्जैन राज मार्ग पर (म.प्र.)-
मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थान उज्जैन से मात्र 30 किलोमीटर दूरी इंदौर मार्ग पर रामायणकालीन यह प्राचीन हनुमान जी का मंदिर साँवेर नामक स्थान पर है। जहाँ पर हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा होती है। इसे पाताल विजय हनुमान मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में श्री हनुमान जी की उल्टे मुख वाली प्रतिमा सिंदूर से सजी शोभायमान है। यहाँ पर कहा जाता है कि हनुमान जीने तोते का रूप धारण करके तुलसीदास जी को श्रीराम के दर्शन कराये थे। यहाँ पर तोतों की पूजा की जाती हैं। इस क्षेत्र में तोतो को हनुमान का रूप माना जाता है।
राजस्थान में ही चुरू जिले के पास स्थित सालासर गाँव में हनुमान जी का मंदिर है जहाँ पर हनुमान जी दाढ़ी और मूँछ वाली अनोखी मूर्ति विराजमान है। यह श्री हनुमान जी की एक मात्र मूर्ति है जिसमें दाढ़ी और मूँछ हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मूर्ति के दर्शन करने वाले की मनोकामना जरूर पूरी होती है वो खाली हाथ नहीं जाता है।
लेटे हुए हनुमान जी, प्रयागराज-
उत्तरप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थान प्रयागराज में संगम तट पर स्थित श्री हनुमान जी की एक लेटी हुई प्रतिमा है जो कि बीस फीट लंबी है इस मूर्ति की विशेषता है कि गंगा जी हर साल स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति को स्नान कराने आती है यदि जिस साल गंगा जी स्नान कराने नहीं आ सकी तो दूसरे साल अवश्य ही आती है। यहाँ के जल स्तर को शुभ माना जाता है।
इसी प्रकार से एक मंदिर छिंदवाड़ा (म.प्र.)में भी स्थित है। जाम और सर्पा नदी के संगम स्थल पर नागपुर-छिंदवाड़ा हाइवे से लगी हुई सड़क पर जामसाँवली मंदिर है जहाँ पर हनुमान जी की विश्राम मुद्रा में लेटे हुए एक मूर्ति है। कहते है यह मंदिर लगभग सौ साल पुराना है।
संकटमोचन मंदिर,वाराणसी-
उत्तरप्रदेश के वाराणसी श्री हनुमान जी का संकट मोचन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदास जी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई थी बाबा विश्वनाथ के अंशावतार माने जाने वाले हनुमान जी इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही संकट दूर हो जाते हैं। इसीलिए इसे संकटमोचन मंंिदर के नाम से जाना जाता है।
नारी रूप में हनुमान जी, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)-
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से मात्र पच्चीस किलोमीटर की दूरी रतनपुर नाम के स्थान है जिसे महामाया नगरी के नाम से जाना जाता हैं यह पर हनुमान जी के नारी स्वरूप को पूजा जाता है यह स्थान विश्व का एकमात्र स्थान है जहाँ हनुमान जी की नारी रूप में मूर्ति स्थित हैं।
पत्नी के साथ हनुमान जी-खम्मम (तेलंगाना)-
यूँ तो श्री हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है और ब्रह्मचार के रूप मं ही पूजा जाता है लेकिन इसके विपरीत तेलंगाना में हैदराबाद से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर ‘खम्मम’ जिला मुख्यालय में हनुमान और उनकी पत्नी का एक अनोखा मंदिर है। इस प्रसिद्ध मंदिर में श्री हनुमान जी और उनकी पत्नी ‘सुवचेला’ की प्रतिमा एक साथ विराजमान है ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर दर्शन करने पर वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
अपने बेटे मकरध्वज के साथ हनुमान जी,दंडी मंदिर,गुजरात-
हनुमान दंडी मंदिर गुजरात में बजरंगवली अपने बेटे मकरध्वज से साथ विराजमान है। पहले हनुमान जी की मूर्ति बड़ी एवं उनके बेटे मकरध्वज की मूर्ति थोड़ी छोटी थी लेकिन अब ये दोनो एक समाज ऊँचाई की हो गयी है। ऐसी मान्यता है कि अहिरावण ने भगवान श्रीराम-लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपाकर रखा था जब हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण जी को लेने आये तब उनका मकरध्वज से भंयकर युद्ध हुआ और अंत में हनुमान ने उसे पराजित कर उसी की पूंछ से उसे बाँध दिया।
मनोकामना मंदिर,दरभंगा बिहार-
बिहार प्रांत के दरंभगा जिले में एक हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है जिसे मनोकामना मंदिर कहते है यहाँ पर लोग दर्शन करने आते है और अपनी मनोकामना लिखकर व्यक्त करते है मंदिर की परिक्रमा करते समय मन में अपनी मनोकामना कहते है और फिर दीवार लिख देते है मंदिर की पूरी दीवारें विभिन्न प्रकार के मन्नतों से लिखी हुई भरी है। जिधर भी नजर डालो वहीं मन्नतें लिखी हुई दिखाई पड़ती हैं इसीलिए इस मंदिर का नाम मनोकामना मंदिर पड़ गया है।
हनुमान गढ़ी मंदिर,अयोध्या-
अयोध्या में हनुमान गढ़ी प्रसिद्ध मंदिर है ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन के बिना अयोध्या की यात्रा अधूरी मानी जाती है। श्री राम जन्मभूमि के पास ही यह मंदिर एक ऊँचे टीले पर स्थित है। जहाँ लगभग साठ सीढ़ियाँ चढ़ने पर श्री हनुमान जी के दर्शन होते है।
पाताली हनुमान ओरछा-
ओरछा जिला निवाड़ी (म.प्र.) में पाताली हनुमान जी का एक मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि ओरछा में विराजे श्री रामराजा सरकार रात्रि को शयन आरती के बाद आयोध्या जाते है और फिर सुबह ओरछा वापिस आ जाते है। श्री राम को प्रतिदिन आयोध्या ले जाना और फिर वापिस उन्हें ओरछा लाने का काम हनुमान करते हैं। कहते है कि पाताली हनुमान जी ही श्री श्रीराम को ज्योति रूप में अयोध्या लेकर जाते है।
101 फीट के हनुमान सिमरिया (छिंदवाड़ा)-
छिंदवाड़ा (म.प्र.) के मोहखेड़ ब्लाक के ‘‘समरिया ग्राम’’ में नागपुर 7छिंडवाड़ हाइवे पर 18 किलोमीटर की दूरी पर सवा पाँच एकड़ क्षेत्र में बना हनुमान जी का बहुत सुंदर है यहाँ पर हनुमान जीकी 101फीट ऊँची विशाल मूर्ति स्थापित है जो कि तत्कालीन सांसद मान.श्री कमलनाथ जी ने सन् 2015 में स्थापित करायी थी। यहाँ पर शिव, पार्वती, राम दरवार, गणेश, देवी दुर्गा आदि की मूर्ति विराजित है।
बढ़ रही है हनुमान जी की मूर्ति (बंदरिया,मंडला)-
बंदरिया जिला मंडला (म.प्र.) में एक हनुमान जी की मूर्ति है जो कि हरसाल बढ़ती जा रही हैं ऐसा कहा जा रहा है कि पहले यह मूर्ति मात्र तीन फीट की की जो कि बढ़ते-बढ़ते सात फीट की हो गयी है। पहले यहाँ पर जब मूर्ति तीन फीट की बत एएक आठ फीट का मदिर बनवाया गया थां जेकि अब छोटा पड़ने लगा है। वर्तमान मेंयह मूर्ति का आकार बढ़कर सात फीट हो गया अब यहाँ पर एक विशाल मदिर बनाया जा रहा है।
ऐसे अनेक मंदिर भारत में है जो कि अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।
आलेख-श्री हनुमान जी कुछ प्रसिद्ध अनोखे मंदिर -
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,टीकमगढ़ (मप्र)
श्री हनुमान जी के जनम के विषय में मतभेद है कुछ लोग हनुमान जी का जन्म स्थान झारखंड के ‘‘आंजन’’ गाँव के मानते है तो कुछ लोग आंध्र प्रदेश के ‘‘अंजनाद्री पर्वत’’ को वहीं कुछ लोग कर्नाटक राज्य के ‘‘हंपी’’ नगर जिसे पूर्व के किष्ंिकंधा नगरी कहा जाता था उसे मानते है। हरियाणा राज्य के कैथल (कपिस्थल) को भी हनुमान जी का जन्म स्थान माना जाता है। गुजरात के डांग जिला के ‘‘आहवा’’ स्थान से पच्चीस किलोमीटर की दूरी पर सहयाद्रि पर्वत पर एक अंजनी कुंड है। डांग जिले को प्राचीनकाल में ‘‘दंडकारण्य प्रदेश’’ कहा जाता था। यहाँ पर श्री राम ने वनबास के लगभग दस वर्ष गुजारे थे। यहाँ एक झरने के पीछे माता अंजनी की एक गुफा है इसी के पास में एक सुबीर (शबरी) संभाग नामक प्रसिद्ध स्थान हे जहाँ पर कहते है कि श्री राम चन्द्र जी ने शबरी के झूठे बेर खाये थे। यहीं पर एक शबरी मंदिर है से लग्ीाभग सात किलोमीटर दूरी पर पूर्णा नदी पर ‘‘पंपा सरोवर’’ हैं। ऐसा कहा जाता है जहाँ पर श्री बाल हनुमान जी ने अपनी बाल लीलाओं को किया था। यहाँ पर एक चट्टान पर हनुमान जी का मंदिर है।
श्री हनुमान जी के मंदिर आपको हर शहर एवं गाँवों-देहातों में बहुत संख्या में देखने को मिल जायेंगे, किन्तु कुछ मंदिर अपनी अनोखी विशेषताओं एवं सिद्धियों के कारण देश भर मंे विख्यात हैं, लाखों लोग उनके दर्शन करने पहुँचते है और लाभ प्राप्त करते है। मैं यहाँ पर कुछ प्रसिद्धि अनोखे श्री हनुमान जी के मंदिरों का उल्लेख कर रहा हूँ अधिक विस्तार न हो इसलिए बहुत ही संक्षिप्त में उनके बारे में जानकारी दे रहा हूँ-
भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाते,मेहंदीपुर के बालाजी हनुमान मंदिर-
राजस्थान के जयपुर शहर से 65 किलोमीटर दूरी पर जयपुर-बांदीकुई बस मार्ग पर मेंहदीपुर में बालाजी के हनुमान जी का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है जहाँ पर भूत-पे्रत आदि ऊपरी बांधाआंे से मुक्ति मिलती हैं। देशभर से लाखों की संख्या में लोग यहाँ आकर लाभ उठाते हैं इस स्थान में आकर कितना भी भंयकर बड़ा भूत प्रेत, जिन्न,बुरी आत्मा जिस किसी को भी लगी हो वह दूर हो जाती है और उस आदमी को छोड़कर भाग जाती है और आदमी को उन बुरी आत्माओं से मुक्ति मिल जाती है।
उल्टे हनुमान जी,साँवेर, इंदौर-उज्जैन राज मार्ग पर (म.प्र.)-
मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थान उज्जैन से मात्र 30 किलोमीटर दूरी इंदौर मार्ग पर रामायणकालीन यह प्राचीन हनुमान जी का मंदिर साँवेर नामक स्थान पर है। जहाँ पर हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा होती है। इसे पाताल विजय हनुमान मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में श्री हनुमान जी की उल्टे मुख वाली प्रतिमा सिंदूर से सजी शोभायमान है। यहाँ पर कहा जाता है कि हनुमान जीने तोते का रूप धारण करके तुलसीदास जी को श्रीराम के दर्शन कराये थे। यहाँ पर तोतों की पूजा की जाती हैं। इस क्षेत्र में तोतो को हनुमान का रूप माना जाता है।
दाढ़ी मूंछ वाले हनुमान जी, सालासर (राजस्थान)-
राजस्थान में ही चुरू जिले के पास स्थित सालासर गाँव में हनुमान जी का मंदिर है जहाँ पर हनुमान जी दाढ़ी और मूँछ वाली अनोखी मूर्ति विराजमान है। यह श्री हनुमान जी की एक मात्र मूर्ति है जिसमें दाढ़ी और मूँछ हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मूर्ति के दर्शन करने वाले की मनोकामना जरूर पूरी होती है वो खाली हाथ नहीं जाता है।
लेटे हुए हनुमान जी, प्रयागराज-
उत्तरप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थान प्रयागराज में संगम तट पर स्थित श्री हनुमान जी की एक लेटी हुई प्रतिमा है जो कि बीस फीट लंबी है इस मूर्ति की विशेषता है कि गंगा जी हर साल स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति को स्नान कराने आती है यदि जिस साल गंगा जी स्नान कराने नहीं आ सकी तो दूसरे साल अवश्य ही आती है। यहाँ के जल स्तर को शुभ माना जाता है।
इसी प्रकार से एक मंदिर छिंदवाड़ा (म.प्र.)में भी स्थित है। जाम और सर्पा नदी के संगम स्थल पर नागपुर-छिंदवाड़ा हाइवे से लगी हुई सड़क पर जामसाँवली मंदिर है जहाँ पर हनुमान जी की विश्राम मुद्रा में लेटे हुए एक मूर्ति है। कहते है यह मंदिर लगभग सौ साल पुराना है।
संकटमोचन मंदिर,वाराणसी-
उत्तरप्रदेश के वाराणसी श्री हनुमान जी का संकट मोचन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदास जी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई थी बाबा विश्वनाथ के अंशावतार माने जाने वाले हनुमान जी इस मूर्ति के दर्शन मात्र से ही संकट दूर हो जाते हैं। इसीलिए इसे संकटमोचन मंंिदर के नाम से जाना जाता है।
नारी रूप में हनुमान जी, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)-
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से मात्र पच्चीस किलोमीटर की दूरी रतनपुर नाम के स्थान है जिसे महामाया नगरी के नाम से जाना जाता हैं यह पर हनुमान जी के नारी स्वरूप को पूजा जाता है यह स्थान विश्व का एकमात्र स्थान है जहाँ हनुमान जी की नारी रूप में मूर्ति स्थित हैं।
पत्नी के साथ हनुमान जी-खम्मम (तेलंगाना)-
यूँ तो श्री हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है और ब्रह्मचार के रूप मं ही पूजा जाता है लेकिन इसके विपरीत तेलंगाना में हैदराबाद से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर ‘खम्मम’ जिला मुख्यालय में हनुमान और उनकी पत्नी का एक अनोखा मंदिर है। इस प्रसिद्ध मंदिर में श्री हनुमान जी और उनकी पत्नी ‘सुवचेला’ की प्रतिमा एक साथ विराजमान है ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर दर्शन करने पर वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
अपने बेटे मकरध्वज के साथ हनुमान जी,दंडी मंदिर,गुजरात-
हनुमान दंडी मंदिर गुजरात में बजरंगवली अपने बेटे मकरध्वज से साथ विराजमान है। पहले हनुमान जी की मूर्ति बड़ी एवं उनके बेटे मकरध्वज की मूर्ति थोड़ी छोटी थी लेकिन अब ये दोनो एक समाज ऊँचाई की हो गयी है। ऐसी मान्यता है कि अहिरावण ने भगवान श्रीराम-लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपाकर रखा था जब हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण जी को लेने आये तब उनका मकरध्वज से भंयकर युद्ध हुआ और अंत में हनुमान ने उसे पराजित कर उसी की पूंछ से उसे बाँध दिया।
मनोकामना मंदिर,दरभंगा बिहार-
बिहार प्रांत के दरंभगा जिले में एक हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है जिसे मनोकामना मंदिर कहते है यहाँ पर लोग दर्शन करने आते है और अपनी मनोकामना लिखकर व्यक्त करते है मंदिर की परिक्रमा करते समय मन में अपनी मनोकामना कहते है और फिर दीवार लिख देते है मंदिर की पूरी दीवारें विभिन्न प्रकार के मन्नतों से लिखी हुई भरी है। जिधर भी नजर डालो वहीं मन्नतें लिखी हुई दिखाई पड़ती हैं इसीलिए इस मंदिर का नाम मनोकामना मंदिर पड़ गया है।
हनुमान गढ़ी मंदिर,अयोध्या-
अयोध्या में हनुमान गढ़ी प्रसिद्ध मंदिर है ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन के बिना अयोध्या की यात्रा अधूरी मानी जाती है। श्री राम जन्मभूमि के पास ही यह मंदिर एक ऊँचे टीले पर स्थित है। जहाँ लगभग साठ सीढ़ियाँ चढ़ने पर श्री हनुमान जी के दर्शन होते है।
पाताली हनुमान ओरछा-
ओरछा जिला निवाड़ी (म.प्र.) में पाताली हनुमान जी का एक मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि ओरछा में विराजे श्री रामराजा सरकार रात्रि को शयन आरती के बाद आयोध्या जाते है और फिर सुबह ओरछा वापिस आ जाते है। श्री राम को प्रतिदिन आयोध्या ले जाना और फिर वापिस उन्हें ओरछा लाने का काम हनुमान करते हैं। कहते है कि पाताली हनुमान जी ही श्री श्रीराम को ज्योति रूप में अयोध्या लेकर जाते है।
101 फीट के हनुमान सिमरिया (छिंदवाड़ा)-
छिंदवाड़ा (म.प्र.) के मोहखेड़ ब्लाक के ‘‘समरिया ग्राम’’ में नागपुर 7छिंडवाड़ हाइवे पर 18 किलोमीटर की दूरी पर सवा पाँच एकड़ क्षेत्र में बना हनुमान जी का बहुत सुंदर है यहाँ पर हनुमान जीकी 101फीट ऊँची विशाल मूर्ति स्थापित है जो कि तत्कालीन सांसद मान.श्री कमलनाथ जी ने सन् 2015 में स्थापित करायी थी। यहाँ पर शिव, पार्वती, राम दरवार, गणेश, देवी दुर्गा आदि की मूर्ति विराजित है।
बढ़ रही है हनुमान जी की मूर्ति (बंदरिया,मंडला)-
बंदरिया जिला मंडला (म.प्र.) में एक हनुमान जी की मूर्ति है जो कि हरसाल बढ़ती जा रही हैं ऐसा कहा जा रहा है कि पहले यह मूर्ति मात्र तीन फीट की की जो कि बढ़ते-बढ़ते सात फीट की हो गयी है। पहले यहाँ पर जब मूर्ति तीन फीट की बत एएक आठ फीट का मदिर बनवाया गया थां जेकि अब छोटा पड़ने लगा है। वर्तमान मेंयह मूर्ति का आकार बढ़कर सात फीट हो गया अब यहाँ पर एक विशाल मदिर बनाया जा रहा है।
ऐसे अनेक मंदिर भारत में है जो कि अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।
जय श्री राम, जय हनुमान।
****
© राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमानी सृजन पीठ टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
****
© राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमानी सृजन पीठ टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
7 टिप्पणियां:
अद्भुत जानकारी।
धन्यवाद भाई साहब शुक्रिया
जय श्री राम
Wah nice
Jai ho
Iak ho
जय हो
एक टिप्पणी भेजें