Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

ग़ज़ल- ज़िन्दगी मोम सी गलने लगी है... राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

ग़ज़ल- ज़िन्दगी मोम सी गलने लगी है.
शायर - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र) भारत
मोबाइल- 9893520965

*ग़ज़ल- ज़िन्दगी मोम सी गलने लगी है...*

ज़िन्दगी भी मोम सी गलने लगी है।
जब से ज़हरीली हवा चलने लगी है।।

क्या करूं इस दर्दे दिल का मैं इलाज।
दिल में फिर इक आग सी जलने लगी है।।

आपके बिन जी के आख़िर क्या करें।
ज़िन्दगी तन्हा हमें खलने लगी है।।

आस क्या दुनिया से रक्खूं मुझसे तो।
बच के अब छाया मिरी चलने लगी है।।

सी के लव बैठों न  'राना' जी उठो।
अब हवा तूफ़ानों में ढ़लने लगी है।।
        ***

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

2 टिप्‍पणियां:

ऊँ. ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल

Anshu ने कहा…

Behtreen ser