क्या पुनः लाकडाउन उचित है?
क्या पुनः लाकडाउन उचित है?
(परिचर्चा) ई बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 9-04-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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अनुक्रमणिका-
1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
2- सरस कुमार, दोह, खरगापुर (म.प्र.)
3-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल,(म.प्र.)
4- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़
5- डा.अनीता गोस्वामी भोपाल(म.प्र.)
6- ऊषा सक्सेना भोपाल(म.प्र.)
7 लक्ष्मी प्रसाद तिवारी, छतरपुर
8-अज्ञात साभार
9- तफरी
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1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
**परिचर्चा-क्या लाकडाउन करना उचित निर्णय है?*
वर्तमान में फिर से लाकडाउन करने का निर्णय बहुत गलत है। पिछले साल लाकडाउन का कष्ट गरीब तबके के साथ साथ मजदूर एवं छोटे दुकानदार भोग चुके है। लाकडाउन से कोई हल नहीं निकलने वाला है बल्कि टीकाकरण अधिक से अधिक किया जायेगा तथा सतर्कता बहुत जरूरी है बिना मास्क के निकलने पर अधिक जुर्माना एवं तीन दिन की जेल का प्रावधान करना चाहिए।
नियम सभी के लिए एक से होने चाहिए वहां चुनावी सभा में बहुत भीड़ है मेला लगा रहे है और आम जनता पर लाकडाउन लगाकर बेवजह परेशान किया जा रहा है। यह दौहरी नीति समझ के परे है। क्या नेताओं को कोरोनावायरस नहीं होता जो खुले में आम जन की भीड़ में बेखौफ प्रचार करते फिर रहे है।
वैक्सीन आ जाने के बाद लाकडाउन करना गलत है। आमजन और गरीबों को भूखमरी की कगार पर खड़ा करना कहां तक बुद्धि मत्ता है।
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*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
परिचर्चा - लाॅकडाउन अनिवार्य या कोरोना
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कोरोनाकाल संघर्ष का वक्त था और है। हम पूर्व साल देख चुके कि कोरोना के प्रकोप से कितने परिवार बिखर गए? कितने उद्योग धंधे ठप्प पड़ गए?
मजदूरों का काफ़िला अनवरत चलता रहा । असहनीय पीड़ा लिये गाँव की डगर पर प्रस्थान कर दिया था।
शिक्षा के क्षेत्र बंद कर दिए गए। यातायात के पहिए थम गए।
कोरोना के वक्त में सिर्फ लाॅकडाउन चला। मरीज बढ़ते गए। उस वक्त डॉक्टर ही सब कुछ थे। उनके सहयोग से आज वैक्सीन आ गई। जब उपचार आ ही गया तो इसका प्रयोग होना अनिवार्य है। प्रयोग हो रहा है परन्तु सीमित। व्यापक रूप से हर कार्यक्षेत्र में प्रयोग होना चाहिए। जितनी जल्दी हो सके वैक्सीन का प्रयोग सुचारु रुप से होना चाहिए।
मेरे मतानुसार लाॅकडाउन सीमित होना चाहिए ।
सरकार और समाज को पालन करने के लिए उपाय -
01) सामाजिक दूरी और मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य हैं।
02) हर चौराहे पर पुलिस, गार्ड या चिकित्सक तैनात होने चाहिए।
03) सड़क पर वैरियर लगे होने चाहिए।
04) अगर कोई उल्लंघन करता है तो उससे जुर्माना और 48 घंटे का जेल अनिवार्य होनी चाहिए।
05) छात्र- छात्रा , सरकारी कर्मचारी , दुकानदार, नेता, आम जन या कोई भी जन हो लाॅकडाउन का पालन करना चाहिए।
06) लाॅकडाउन के समय समाज में भीड़ नहीं करनी चाहिए। लाॅकडाउन समाप्त हो जाने पर ही कार्य को सुचारु करे।
नेता जनता को मूर्ख बनाते है या जनता मूर्ख है। मेरे हिसाब से जनता मूर्ख हैं उसे बनाया नहीं जा रहा।
जब जनता को पता है कि देश -विदेश में कोरोना फैला है। भीड़ में कोरोना फैलता हैं तब जनता को रैलियों में नहीं जाना चाहिए। कोई भी पार्टी हो दल हो।
अगर उनकी पार्टी सक्षम है तो घर बैठे वर्चुअल मीटिंग के दौरान भी प्रचार - प्रसार हो सकता है ।
जनता स्वयं वोट देकर न्याय कर देगी।
***
-सरस कुमार ,दोह खरगापुर
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03-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल, (म.प्र.)
,,परिचर्चा ,,
एक तरह की संक्रमण की बीमारी है ,कोरोना ,।
जिसका उपाय ,समाधान जिस मूल्य पर सरकारों द्वारा ,पिछले बर्ष और भी किया जा रहा है ।वो कोई साधारण बात नहीं ।सारी दुनियां थम गई ।
कलपना करने पर विश्वास नहीं होता ।
क्यों ?मजाक नहीं ।कुछ तो सचचाई है ।
आप सभी ने पढा हो गा सुना ,देखा भी होगा हमारे बुजुर्गों ने प्रत्येक सौ बर्षो के अंतराल से कुछ ऐसे ही असाध्य रोग समाज में पनपे
जिससे जनता ने कितने ही कष्ट उठाऐ ।
हम साहित्यकार की दृष्टि से परिच र्चा कर रहे है । इसलिए हमे इस.बात पर धयान देना होगा कि हमारी कौनसी बात हमारेलोगो पर क्या प्रभाव डालेगी ।
राजनीति अपनी जगह है ।अभी तो समस्या है की व्यक्ति स्वंय को सुरक्षित रखने की भावना प्रबल करें।
जब व्यक्ति लापरवाही और असावधानी करेगा तो मजदूर हो या मालिक सभी को दुख दायी है ।
.अपवाद हर समय हर चीज में मौजूद रहा है ।
इससे भी पहले भी कई ही संक्रामक रोग फैले और उनमें से कुछ
बीमारियां आज मानव जीवन में स्थाई निवास बना चुकी है ।
. साथियों अभी सकारात्मक विचारों को बढ़ाना है ,स्वंय को दूसरों को ,मास्क लगाना, भीड़ में न जाना ,भीड़ को रोकना ,
सरकार या चुनाव पूरे देश की व्यवस्था है उसे टाला नहीं जा सकता
लोकडाउन सदैव नहीं लगाया जा सकता ।देश की संविधानिक आवश्यकता यें है जो ईमानदार व्यक्ति को समय पर पूरा करना होता है , लेकिन
उसके साथ उसे जोखिम हमेशा उठानी पड़ती है ।
जहाँ ये भाव आते है ,कुछ भी चल रहा है .अपवाह फैलाई जा रही है ,
लूटपाट मची है अस्पतालों में ?
तो बंधुआ ये बिना बीमारी काल में भी गुपचुप चलता है ,कितना भ्रष्टाचार हम देख रहे है ऊपर से नीचे तक ।
पहले भी होता था ,आज अब भी ये चल रहा है ।
लेकिन ये सोच कर अभी उसमे दुखी होने से बेहतर है ,,सुरक्षा ,।
इसलिए ,सारांश किसी तरह से अपने आसपास परिचितों जहाँ तक आपकी पहुंच है ,इस समय खामियां अपवाह को हवा देना ये सभी नहीं बस सभी से सुरक्षित रहने का आग्रह,
घर में रहना ।वैक्सीनेशन कर वाना
।जीवन बहुत अनमोल है ,इस सोच से भी हम अपने आस पास अच्छी सोच फैला सकतें है ।क्या हो रहा है ?
अरे कुछ नहीं चुनाव भी तो हो रहे है ।
जो काम समय की माँग है ।
उदाहरण के लिऐ अभी शादी भी हो रही है ,मकान भी खरीद रहे है .
और मृत्यु भी हो रही ।कुछ नहीं रुक रहा औररोका भी नहीं जा सकता ।
,,बहती गंगा में हाथ सब धोते है ।
इन परिस्थितियों में भी मानव अपने लालच को नहीं छोड़ पा रहा है ।
इसको कौनसी प्रवृत्ति कहा जाय ।
और.सदैव आपदाओ के समय ये सुनने मिलता है ।कुछ नया नहीं।
ये सोच कर लापरवाही नहीं ।
सुरक्षित सुरक्षा मन रखे,
.रखना आत्म विशवास।
कोई जन न भ्रमित न हो
...निराशा न हो पास ।
-हंसा श्रीवास्तव , भोपाल
मौलिक विचार ।
आदरणीय जनों मेरी व्यक्तिगत समझ है
सादर किसी बात से कष्ट हो तो क्षमा 💐💐💐👏👏
-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल
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4- गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़
परिचर्चा लाॅकडाउन कोरोना :-
पहली बात तो यह है कि कोरोना का डर बना दिया गया है दुसरी बात यह है की हर प्राणी को मरने का डर रहता है आदमी मरना नहीं चाहता है आपने प्राणो का रक्षक वह स्वयं रहता है कोई किसी के प्राणो की रक्षा नहीं कर सकता है यह स्वीकार करना होगा साँई जी का एक दोहा
जाको राखे साँईया मार सकें न कोय
जिस दिन ईश्वर जन्म दैता है उसी दिन आदमी के सुक दुख मरण भरण सब कुछ लिख देता है
कोरोना किसी न किसी प्रकार का एक जाल है जो लोगों को समझ में आ गया है लाॅकडाउन देश में हानि कारक है यह बात जरूर है गरीब मार अधिक हो रही है
महंगाई पर देश में कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं नेता
जो देश को हानि कारक हैं कोरोना क्या है कैसा है कहा है कहीं भी नहीं दिख रहा है कारण क्या है चुनाव में कोरोना नहीं होता है चुनाव आम सभा में लाखों लोगों की भीड़ लगाते हैं नेता जब वह कोरोना कहा जाता है
अन्देर नगरी बैबूझ राजा ।
टके शेर भाजी टके सेर खाजा।।
-✍️- गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़
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5-डां.अनीता गोस्वामी, भोपाल
"परिचर्चा- --- -
सर्वप्रथम तो मेरा मानना है,कि"- -ये हमारा विशाल लोकतंत्र राष्ट्र"पर यहाँ के नागरिकों पर,गज़ब का प्रश्नचिन्ह बनता है,- - -
जैसा कि ऊपर की परिचर्चा में कुछ लोगों ने बेहिचक ये कहा है कि यहाँ का नागरिक ही सबसे बड़ा मूर्ख है,मैं भी
1००% सहमत हूँ,इस बात से,संगठन में बहोत ताकत होती है,यदि हम भारतीय लोकतंत्र का अर्थ समझते हैं तो ,क्या नहीं कर सकते,"चुनाव का,व्होट का समर्थन,का - -इन सब बातों का बहिष्कार होना चाहिए,
ऐसे विषम परिस्थितियों में,एक जुट होकर अपने बुद्धिमत्ता,विवेक,और अधिकारों",का अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का डटकर प्रयोग करना चाहिए,तभी हम अपनी मानवता"को रेखांकित कर पाएँगे
,यदि करोना, नाम का वायरस इस तरह फन ,फुफकार रहा,तो
देश के बड़े,और - - -
सभी,राजनेता की बुद्धि क्या भ्रष्ठ हो चुकी है कि - पद ,कुर्सी हेतु चुनाव स्थगित नहीं कर पा रहे
सभी राज नेताओं ,प्रशासन से मेरा भी यही प्रश्न है कि- - -
लॉक डाउन" को स्पष्ट परिभाषित करें,कि ये किस किस वर्ग के लिए,है, क्यों,है,कैसे,है,किन नियमावली अनुसार है,
जैसा कि श्री राना sir ने
उद्गार व्यक्त किया है
जो मज़दूर वर्ग"हैं(hand to mauth)
उनके बारे में ,उनके छोटे बच्चों,परिवार के बारे में
हमारे ये "तथाकथितराष्ट्र भक्त"
देश के नेता गण, T V चैनलों पर "हल्ला बोल,और परिचर्चाओं
पर है लाइट होते हुए जाने क्या क्या बोल जाते हैं,जो वो खुद भी नहीं जा रहे कि वो बोल क्या रहे
उफ़्फ़ क्या होगा,अपने इस विशाल लोकतंत्र का ,यहाँ के आम नागरिकों का,हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या धरोहर देकर जाएंगे,
स्वयम से प्रश्न करिए,
विवेक बुद्धि,हौसला, और अपने अधिकारों को भी नहीं भुना पाएंगे,?
क्या ये बातें महज़ एक
अनुत्तरित प्रश्नचिन्ह बनकर रह जाएगा- -
Lok डाउन - - क्या है
सबके लिए एक ही नियम
चाहे राज नेता,या आम जनता,या उच्च प्रशासनिक अधिकारी
मज़दूर,सेलिब्रेटी,कोई भी,
सर्वप्रथम हम भारतीय हैं
"राष्ट्र हित"पहले
चुनाव"स्थगित ही
व्होट का बहिष्कार हो
रैली,आमसभा सब खत्म करो
निर्देशानुसार- - वायरस से लड़ने के सभी
सावधानियों का सख्ती से पालन, यदि ये ध्रुव सत्य है,तो- - --
या "मात्र दहशत"ख़ौफ़"
है- पुनः प्रश्न चिन्ह
आओ - "इसका पता लगाएँ- - -
हम सब बिल्कुल न घबरायें- - --
🙏🙏🙏सभी से निवेदन है,एक जुट होकर आवाज उठाएँ- - -
"जागो इंडिया जागो'
जय हिंद,जय भारत
Dr. Anita amitabh,भोपाल
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6-ऊषा सक्सेना, भोपाल
चुनाव में
सरकार और नेताओं को
कोरोना नजर नही आता ।
-ऊषा सक्सेना, भोपाल
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7-- लक्ष्मी प्रसाद तिवारी, छतरपुर
#शिवराज सरकार लॉकडाउन बापिस लो
छतरपुर जिले की 20 लाख की आबादी में 140 एक्टिव केस हैं।जिनमे से 124 इतने सामान्य लक्षण वाले हैं कि घर पर ही इलाज ले रहे हैं।
जो गंभीर हैं उन्हें अस्पताल में इलाज दो,जरूरी दवाएं और साधन जुटाओ, लेकिन ये नही करेंगे।।
60 देशों को बैक्सीन बांट दी,डंका बजवा लिया,अब भारत मे बैक्सीन शॉर्ट है।
ऑक्सीजन,रेमडीसीवर,कोविड आईसीयू पर साल भर में क्या किया?इनकी कमी से अफ़रा तफरी फैलना किसकी जिम्मेदारी है।
जब कुछ नही सूझता तो लॉक डाउन कर दिया,अब फिर वही भगदड़ शुरू करा दी।ट्रेन बसों में भागने लगे हैं लोग
रोजगार छीन लिए।।
आप संक्रमित हो जाओ तो देश और जनता की सेवा में हुए,कोई गरीब घर पालने के लिए संक्रमित हो गया तो जनता लापरवाह है। वाह क्या नीति है।
हम सबका एक साल का अनुभव यही कहता है कि कोरोना एक समस्या है और लॉक डाउन एक हजार समस्याओं की जड़ है।
लॉक डाउन उपाय नही,विफलता छिपाने का औजार है।
- लक्ष्मी प्रसाद तिवारी, छतरपुर
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8- अज्ञात जरा सोचिए
*अब दिमाग लगाकर सोचिए-*
🛑अगर कोरोना संक्रमित बीमारी है, तो परिंदे और जानवर को अभी तक कैसे नहीं हुआ❓
🛑 यह कैसी बीमारी है जिसमें सरकारी लोग और हीरो ठीक हो जाते हैं और आम जनता मर जाती है❓
🛑 कोई भी घर में या रोड पर तड़प कर नहीं मरता हॉस्पिटल में ही क्यों मौत आती है❓
🛑 यह कैसीबीमारी है, कोई आज पॉजिटिव है तो कल बिना इलाज कराए नेगेटिव हो जाता है❓
🛑 कोरोना संक्रमित बीमारी है:- जो जलसे में / रैली में/ और लाखों के प्रोटेस्ट में नहीं जाता, लेकिन गरीब नॉर्मल खांसी चेक कराने जाए तो 5 दिन बाद लाश बनकर आता है❓
🛑 गजब का कोरोनावायरस है, जिसकी कोई दवा नहीं बनी, फिर भी लोग 99% ठीक हो रहे हैं❓
🛑 यह कौन सी जादुई बीमारी है, जिसके आने से सब बीमारी खत्म हो गई और अब जो भी मर रहा है कोरोना से ही मर रहा है❓
जरा सोचिये
साबुन और सैनिटाइजर से कोरोना मर जाता है तो इस को मारने की दवाई क्यों नहीं बनाई❓
🛑 यह कैसा कोरोना है? हॉस्पिटल में गरीब आदमी के जिस्म का महंगा पार्ट निकालकर लाश को ताबूत में छुपा कर खोल कर नहीं देखने का हुक्म देकर बॉडी दी जाती है❓
है कोई जवाब ::????
अगर है जरूर देना, अगर नहीं है तो सोचना कि कोरोना की आड़ में क्या चल रहा है
🛑कुछ हास्पिटल से न्यूज आ रहीं हैं कि सुबह मरीज़ को भर्ती किया जाता है और शाम को न्यूज मिलती है कि मरीज़ की करोना से मौत हो गई! (क्या सुबह से शाम तक करोना की रिपोर्ट भी आ गयी और शाम को करोना से डेथ भी हो गयी, और लाश का अंतिम संस्कार भी हो गया)
🛑इनके हिसाब से तो करोना की कोई स्टेज ही नहीं होती, जो पहले पाजिटिव से नेगटीव हुए, वो कैसे ठीक हुए, 15-20 दिन मे तो कनीका कपूर भी ठीक होकर घर चली गयी, आखिर ऐसा कौन सा इलाज था जो कनीका की 5 रिपोर्ट पोजिटिव आई और 6 रिपोर्ट मे नेगटीव आई..... और गरीबो की सुबह रिपोर्ट पोजिटिव आती है और शाम को उसकी डेथ हो जाती है
क्या गरीब और माध्यम बर्ग की सिर्फ एक ही रिपोर्ट आती है positive या negative या डेथ❓❓
🛑हैरानी की बात है की कोई खांसी, जुकाम, बुखार और कोई लक्षण नहीं फिर भी रिपोर्ट पॉजिटिव, कहीं कोई किडनी स्कैम तो नहीं हो रहा है..❓
किडनी ही क्यों आंख, लीवर, ब्लड, प्लाजमा और भी बहुत पार्ट हैं, क्या कोई बहुत बड़ा झोल हो रहा है❓
अंतराष्ट्रीय बाजार में व्यक्ति के पार्टस की कीमत करोड़ो रूपये हैं, क्या कोरोना की आड़ में कोई षड्यंत्र चल रहा है❓
क्योंकि मृत देह को घरवालों को देते नहीं और ना ही कोरोना के नाम से घर वाले बॉडी लेते हैं और बंद लिफाफे में क्या हुआ है बॉडी के साथ किसे पता❓
सबको मिलकर ऐसा कदम उठाना होगा जिससे कम से कम S.C. की निगरानी में जांच हो, ताकी हकीकत सामने आए...
साभार अज्ञात
अपने हक अपने अधिकार को मत खोइए जागिये
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
क्या पुनः लाकडाउन उचित है?
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संपादक - राजीव नामदेव 'राना
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