Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 4 मई 2021

पत्रकार (हिन्दी दोहा संकलन) संपादन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)



                             पत्रकार
                  (हिन्दी दोहा संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

                              पत्रकार
                  (हिन्दी दोहा संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

प्रकाशन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
          एवं      मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

ई बुक प्रकाशन दिनांक ०४-०५-२०२२
        टीकमगढ़ (मप्र)भारत-४७२००१
         मोबाइल-९८९३५२०९६५


😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


              अनुक्रमणिका-

1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
2- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
3-कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
4-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
5-अशोक पटसारिया 'नादान' लिधौरा (टीकमगढ़) 
06-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
07- संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)
08-राज गोस्वामी, दतिया (म.प्र.)
09-रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
10-एस.आर.सरल, टीकमगढ़
10- सरस कुमार, दोह, खरगापुर 
11- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़
12- शोभाराम दांगी 'इंदु' नदनवारा
13-परम लाल तिवारी,खजुराहो
14- रामानन्द पाठक,नैगुवां
15- डॉ.सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा

😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.)

*हिन्दी दोहे बिषय -"पत्रकार"*
*1*
पत्रकार करते यहां,
खबरों का व्यापार।
पैसों की दम पे यहां,
छपता है अखबार।।

*2*

पत्रकार भी हो गये,
पार्टी के हि गुलाम।
ख़बरें उनकी छापते,
करें उन्हें सलाम।।

*3*

कुछ पत्रकार भी हुए,
नहीं बिके है आज।
जो देखा छापे वहीं,
करे दिलों में राज।।
** *4-5-2021*

*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

2- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
1
लोकतंत्र की रीढ़ हैं,
पत्रकार अरु पत्र। 
इन लोगों की पहुँच है,
यत्र तत्र सर्वत्र।।
2
'प' से पवित्र 'त्र' त्रयगुणी,
निडर, नेक, निष्पक्ष।
'का' से काम अवाम का,
'र' से राष्ट्रहित-रक्ष।।

-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ 
मौलिक और स्वरचित

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3--कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)

पत्रकार  संवाद  को , दूर - दूर  पहुँचात ।
पत्रकारिता के जनक , नारद जी कहलात ।।

ज्ञानवान  निर्भीकता , बल पौरुष गुणधाम ।
पवन तनय करते रहे , पत्रकार  का काम ।।

सन्मार्गी लेखक कुशल , बातचीत में दक्ष ।
पत्रकार  होता  चतुर , निडर और निष्पक्ष ।।

जन मुद्दे सरकार तक , पत्रकार पठवात ।
पोषक देश समाज का , प्रहरी सजग कहात ।।

पत्रकारिता  क्षेत्र  है , स्वाभिमान युत खम्भ ।
जनता की सरकार का , चौथा  दृढ़  स्तम्भ ।।
***

 -कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
  ( मौलिक एवं स्वरचित )

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


4-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
   #मंगलवार#दिनाँक-04.05.21#
#हिन्दी दोहे 5#बिषय..पत्रकार#
*************************
                     #1#
पत्रकार बे अमर हैं,रहते जो निर्भीक।
प्राण निछावर हों भले,छौंड़ें सत्य न लीक।।
                    #2#
पत्रकार निष्पक्ष यदि,हो समाज का मीत।
कलम सत्य से ना मुड़े,कभी न हो भयभीत।।
                    #3#
पत्रकार अनमोल हैं,सदा सत्य अवतार।
घटना जैसी घटी हो,जस तस देत उतार।।
                    #4#
अगर सत्यभाषी कलम,सच सच करे बखान।
पत्रकार की जगत में,हो ऊँची पहचान।।
                    #5#
बाल,फिल्म,साहित्य,कृषि, उद्योग और विज्ञान।
थर्म खेल संग राज का,पत्रकार को ज्ञान।।
****
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)

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5-अशोक पटसारिया नादान ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 

पत्रकार
"""***"""
लोकतन्त्र जिस पर टिका,पत्रकारिता एक।                     
इसकी गहरी जड़ों में, भ्रष्ट्राचार अनेक।।
                   
एक सिपाही कलम का,करता हालाकान।                   
पैसों की ढेरी वहां, हो जातीं बलिदान।।
                
निकट सत्य के है जहां,पत्रकार अखबार।                   
वही राजनैतिक हुए, कैसे हो उद्धार।।
                     
राजनीति में हो जहां,एक सशक्त विपक्ष।                 
ऐसे ही हो कलम तो,सभी काम निष्पक्ष।।
                  
एक अकेली कौम ये,काम करे निष्काम।                  
भारत की तस्वीर में,साफ़ दिखेंगे राम।।
                    ***
               -अशोक नादान ,लिधौरा, टीकमगढ़ 

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

6-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)

🙏🏻 *बिषय.. दोहा हिंदी*🙏🏻
           शीर्षक.. पत्रकार
        🌹04.05.2021🌹
*प्रदीप खरे मंजुल*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
पत्रकार बो पेड़ है, खुद छाया नहिं लेत।
खुद खाये जो ठोकरें,औरन को सुख देत। 
2- 
पत्रकार बे नहिं बचे, जो सांची लिख लेत।
थामत दामन झूठ कौ,करते हरि सैं हेत। 
3-
सेवा जिसका धर्म है, पूजा कर्म महान। 
पत्रकार वो ही सही,देत वतन पर जान। 
4-
भेद भाव जो नहिं करे, समझे सबहिं समान। 
पत्रकार नींकौ लगै, जो पाये सम्मान। 
5-
कलम कटार से कम नहिं, रखना इसे सभांल। 
पत्रकार गर भ्रष्ट हों, देश होय कंगाल।

-प्रदीप खरे मंजुल*
टीकमगढ़ मप्र..472001
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

07-संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)

*हिंदी दोहे*
        विषय- *पत्रकार*

*१*
सुबह-सुबह दहलीज़ पर,आ जाता अख़बार।      
पत्रकार की नज़र से,पढ़ लेता संसार  ।।      
*२*
पत्रकार जो कलम से,परतें देता खोल ।          
सच, साहस,निर्भीकता,ये गुण हैं अनमोल।।
      
*३*
पत्रकार का सत्य ही, ताक़त का आधार।        
प्रशासन भी चौंकता,डरती है सरकार।।
          
*४*
न वैसी पत्रकारिता,न वैसे पत्रकार।      
ना कोई सिद्धांत हैं,ना आचार- विचार ।।
      
*५*
नगर,गाँव, कस्बा सभी,पत्रकार की धार।        
चैनल का चौंगा दिखा,करते हैं व्यापार ।।
      
*६*
लोकतंत्र के धाम का,है चौथा आधार।      
जनपक्षीय पत्रकारिता,व खोजी पत्रकार।।
    
***
      संजय श्रीवास्तव, मवई
      ४/५/२१, दिल्ली😀🌹

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

8-राज गोस्वामी, दतिया 


1-पत्रकार सबसे बडे नारद मुनि कहलात ।
उनसे छोटे और है नाम बाद मे आत ।।

2- पत्रकार नित सजग रत सबको सोत जगात ।
जाय कहत है मीडिया सबरे मानत बात ।।

3-पत्रकारिता सीख कर नेक करत जो काम ।
 जनता ऊ के साथ रत काम होत बिन दाम ।।

            -राज गोस्वामी , दतिया मप्र

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9-रामेश्वर प्रसाद गुप्त, बड़ागांव, झांसी



पत्रकार समझे सदा, जन समाज की पीर।
करे उजागर भेद सब, जैसे किये कबीर।।

पत्रकार की लेखनी, हो सदैव स्पष्ट।
चाहे कुछ खुश हों भला, चाहे कुछ हों रुष्ट।।

पत्रकार कुछ बिक रहे, थन वैभव सम्मान।
जिससे खोती जा रहा, उनकी अपनी शान।।

जंगल  में मंगल हुआ, नांचा था जो मोर।
पत्रकार बतला रहा, मचा-मचाकर शोर।।

***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)

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10-एस.आर.सरल, टीकमगढ़
सत्य न्याय की मूरती, लोकतंत्र की जान।
पत्रकार पुख्ता खबर,जन हित करें बखान।।

राष्ट्र हित मुद्दे उठा,करते जनहित काम।
पत्रकार की खबर से, गिरते झूठ धड़ाम।।

पत्रकार  झुकते  नहीं,  देते  चिट्ठा  खोल।
सत्य कसोटी पर कसै,सबकी खोलें पोल।।

पत्रकार  है  मीडिया,  लोकतंत्र  का  खम्ब।
जनहित की आवाज है,सच बिस्फोटक बम्ब।।

प्राणवायु जनतंत्र का, स्वस्थ मीडिया होत।
पत्रकार ही खबर के, बीज देश हित बोत।।
***
    - एस. आर. सरल,टीकमगढ़

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11- गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा,टीकमगढ़

🌹दोहा हिन्दी🌹
पत्रकार
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

न्यायनिष्ट निष्पक्षता,दर्पण दैत समाज।
जा जैसी घटना घटे,खोल देत है राज।।

मन मानी न काऊ की,चलन देत न चाल।
पत्रकार अन्याय को,लिख देते तत्काल।।

निष्ठा से पालन करें,धर जनता का ध्यान।
पत्रकार वह जानलो,है गरीब की जान।।

कोई भी संस्थान है,है इसके अधीन।
पत्रकार की कलम में,न्यायधीश को शीन।।
****

-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' ,लखौरा (टीकमगढ़)

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12- शोभाराम दांगी "इंदु" नदनवारा
बिषय -"पत्रकार"हिंदी दोहा 

1= उच्चशिखर पर पत्रकार,कर रहा यही काम ।
बिना मीडिया के यहां, लग ना पाय विराम /।।

2 = पत्रकारिता विश्व की, पल -पल खबर लगाय ।
प्रिय -अप्रिय घटनाओं की, बूँद -बूँद बर्षाय ।।

3= पत्रकार से भला नहीं, इस दुनियां में कोई ।
धरती से आकाश तक, सम्मिट करै संजोई ।।

4=पूर्व काल सम नारद जी, करत रहे यही काम ।
 छण में वो इधर -उधर, पत्रकारिता काम ।।

5= पत्रकार ही कुरूछेत्त की, अगवानी लाय ।
गिरे हुए को उठा देय वो, बढ़ती बेल गिराय।।
***
मौलिक एवं सुरचित रचना 
शोभारामदाँगी 
7610264326

        
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13--परम लाल तिवारी,खजुराहो
पत्रकार
1कुबरी ने दी सूचना,भरत मातु ढिग जाय।
त्रेता की पत्रकार थी,यही समझ में आय।।

2यहां वहां की खबर सब,नारद ले के धांय।
जिस पर करते वह कृपा,ईश्वर से मिलवांय।।

3अफसर बनकर जो करें,भ्रष्टाचार अपार।
निर्भय हो छापें सकल,पत्रकार अखबार।।

4जनता को मिलती रहें,सारी खबरें रोज।
पत्रकार तो सजग हो,करते उनकी खोज।।

5लोकतंत्र में बढ गया,पत्रकार का काम।
सत्ता जनता मध्य का,सुदृढ स्तंभ ललाम।।

             -परम लाल तिवारी,खजुराहो

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14-रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां
पांच दोहा पत्रकार1

लोकतन्त्र की सफलता,जनतै सब अधिकार।
पत्रकार जन ज सहायक,उनके रखत विचार।।
                            2
मानत हैं सरकार के,होबें तीनहिं खंभ।
अंकुश बिन पत्रकारिता,है चौथा स्तंम्भ।।
                                3
सरकारन अंकुश रखै,विपक्ष और पत्रकार।
न्यायालय आजाद रंय,लोकतन्त्र का सार।।
                                 4
सरकारी वा निजी हो,सबका एक ही काम।
न्यायोचित सब काम हो,सही पत्रकार नाम।।
                                5
पत्रकारिता भ्रष्ट हो,वेपारी उददेश
नाम पीत पत्रकारिता,देशै देय क्लैश।।

-रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां


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15-डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
पत्रकारिता दिवस है ,कलम लिए हैं हाथ।
हिन्दी के उत्थान में ,इनका उत्तम साथ।।

पत्रकार वह शख्स है, हाथ कलम तलवार।
जिसके हर इक शब्द पर ,न्याय करे अधिकार।।

भारत के जनतंत्र का ,यह चौथा स्तंभ।
दृढ़ निर्भय निष्पक्ष है ,सदा सत्य अनुलम्ब।।

प्राणों की बाजी लगा ,कुछ लिखते हैं सत्य।
कुछ आदर्शों पर चलें ,घुटते रहते नित्य।।

सजग सतत सच्चा सदा , लिए सत्य पतवार।
न्याय तुला पर जो करे ,एकतुल्य व्यवहार।।

पत्रकारिता मिशन है ,आज बना व्यापार।
कुछ बिक कर ही लिख रहे ,कुछ लिख कर बेकार।।

             -डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा

      
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                            पत्रकार
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