लेख- ग़ज़ल लिखना सीखे -भाग-3
अर्कान (गण):-
उर्दू में अर्कान जिन्हें हिंदी में गण कहते है आठ होते हैं-
इन्ही़ से बहरों ,रूक्न (छंदों)का निर्माण होता है।
1- फ़ऊलुन- 122 - जिसमें पहला लघु वर्ण फिर दो दीर्घ गुरु वर्ण होता है।
2- फ़ाइलुन- 212- जिसमें पहला गुरु वर्ण फिर एक लघु वर्ण फिर एक गुरु वर्ण होता है।
3-मफ़ाईलुन-1222
4- फाइलातुन-2122
5-मुस्तफ़इलुन-2212
6- मुतफ़ाइलुन-11212
7-मफ़ऊलातु-2221
8*मुफ़ाइलतुन-12112
लघु मात्रा वाले वर्ण-
अ,इ,उ,ऋ, यह वर्ण एक स्वरपूर्ण माने जाते है।
दीर्घ (गुरु) 2 मात्रा वाले वर्ण-
आ,ईऊ,ए,ऐ,ओ,औ,अं,अ:, को दो वर्ण का माना जाता है।
आ,ईऊ,ए,ऐ,ओ,औ,अं,अ:, की मात्राओं को एक स्वररहित वर्ण माना जाता है। यह मात्राएं जिस अक्षर में लगी होती हैं उस अक्षर को अपना स्वर देकर स्वयं स्वररहित वर्ण का स्थान प्राप्त कर लेती हैं।
अ,इ,उ,ऋ, की मात्राएं जिस वर्ण के साथ जुड़ी होती हैं उस वर्ण को स्वरपूर्ण बना देती हैं।इसी कारण इन मात्राऔं वाले वर्ण को केवल एक स्वरपूर्ण वर्ण ही गिना जाता है।
गणों के प्रतीक चिन्ह-
पिंगल में लघु के लिए । और गुरु s के लिए का प्रयोग किया जाता है।
ऊर्दू में सबब सक़ील (।।) एवं सबब खफ़ीफ़ (s) कहा जाता है।
हम यहां पर नीचे कुछ उदाहरण दे रहे है ताकि आसानी से समझ में आ जाये-
रुक्न - गण - प्रयोग पिंगल अनुसार- प्रयोग अरूज़ अनुसार- साकिन वर्णों की पहचान
मफ़ाईलुन- यगण+गरु (।sss) यशोदाजी मुहब्बत कर मुहबबत कर्
मफ़ाईलुन- तगण+गरु (ss।s) संजीवनी अपना नगर अपना नगर्
मु-तफ़ाइलुन-सगण+लघु+गुरु कविता कला रुचि पूर्वक रुचि पूरवक
एक उदाहरण देखें-
सितारों की चमक से चोट लगती है रगे जां पर
।s s s । s s s। s s s ।s s s
अब इसी मिसरे को जब चार वार 'मफ़ाईलुन' में बांटेंगे तो स्तिथि इस प्रकार होगी-
मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन
सितारों की चमक से चो ट लगती है रगे जां पर
इस प्रकार से मिसरे में शब्दों का खंडित होना और अक्षरों का आगे पीछे जुड़ जाना स्वाभाविक है।
इसी प्रकार से अनुस्वार अरूज़ के नियम के अनुसार कहीं गिने जाते है तो कहीं पर अल्प मात्रा में गिने जाते है कभी नगण्य भी हो जाते है।
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*आलेख- ग़ज़ल लिखना सीखे -भाग--4*
*मात्रा गिनना सीखें-*
ग़ज़लकार-श्री सुखविंद्र सिंह मनसीरत जी खेड़ी राओ वाली (कैथल)की एक ग़ज़ल की मात्रा गिनना (तख़्ती) सीखेंगे-
*(1-)पूरी ग़ज़ल-*
ग़ज़ल का भार (वज़न) -222 222 221 2=19
तन भीगा भीगा मन सूखा रहा।
सावन में भी साजन रूठा रहा।।
जहरी बन कर विष को पीता रहा।
कड़वे विष का भी रस मीठा रहा।।
मय को पीकर मैं मयकश भी बना।
महफ़िल में दिलजानी रूखा रहा।।
बारिश बूंदें गीला कर ना सकी।
बरसाती मौसम में प्यासा रहा।।
मनसीरत मन ही मन चाहे तुझे।
नफरत में दीपक बन जलता रहा।।
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ग़ज़लकार- सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
*ग़ज़ल का भार (वज़न) -222 222 221 2=19*
रदीफ- *"रहा"*
क़ाफिया- आ का ,= *रूठा,सूखा,पीता, मीठा,जलता,प्यासा*
तन भीगा भीगा मन सूखा। रहा।
2 22 22 2 22 1 2
सावन में भी साजन रूठा रहा।।
2 2 2 2 2 2 22 1 2
जहरी बन कर विष को पीता रहा,
2 2 2 2 2 2 22 1 2
कड़वे विष का भी रस मीठा रहा।
2 2 2 2 2 2 22 1 2
मय को पीकर मैं मयकश भी बना,
2 2 2 2 2 2 2 2 1 2
महफ़िल में दिलजानी रूखा रहा।
2 2 2 2 22 22 1 2
बारिश बूंदें गीला कर ना सकी,
2 2 2 2 22 2 2 1 2
बरसाती मौसम में प्यासा रहा।
2 2 2 2 2 2 22 1 2
मनसीरत मन ही मन चाहे तुझे,
2 2 2 2 2 2 22 1 2
नफरत में दीपक बन जलता रहा।
2 2 2 2 2 2 2 2 1 2
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-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
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उदाहरण-*(2)*
*ग़ज़ल- राना लिधौरी*
*रदीफ-* हो
*काफिया-* आते,जाते,महकाते, तड़पाते,शरमाते,जाते,
*भार-* 212 211 222=17
तुम मुझे याद बहुत आते हो।
2 12 2 1 12 2 2 2 =17
आंख से दिल में समा जाते हो।।
2 1 2 2 1 12 2 2 2 =17
हो तुम्हीं मेरी मुहब्बत का फ़ूल।
ज़िन्दगी को तुम्हीं महकाते हो।।
तुम तसब्बुर में मिरे आ आकर।
किसलिए तुम मुझे तड़पाते हो।।
प्यार करते हो मुझे तुम भी मगर।
मुंह से कुछ कहने में शरमाते हो।।
'राना' हम तुम को भुलाएं कैसे।
दिल के मंदिर में बसे जाते हो।।
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*गजलगो- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)*
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*उदाहरण-(3) **क्यों दूर हो (गजल) **
*वज़न-**** 2122 2212 ***
*रदीफ*- हो
*क़ाफिया-* दूर,हूर,नूरभरपूर,मजबूर, चूर,भूर
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पास आओ क्यों दूर हो,
आप ही दिल की हूर हो।
प्यार में पागल हो चुके,
हिय जिगर का तुम नूर हो।
देख कर हो बीसों गुना,
हौसले से भरपूर हो।
ताक से रहना घूरना,
आदतों से मजबूर हो।
जीत ली हमने हर खुशी
स्नेह में चकना चूर हो।
यार मनसीरत ने कहा,
हो चमकती सी भूर हो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
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*आलेख-*- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
संपादक- 'आकांक्षा'पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल-9893520965
1 टिप्पणी:
Very nice teach
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