Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 17 मई 2021

ईद का चांद (काव्य संकलन ई-बुक)सं. राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र) भारत



                             ईद का चांद
                  (हिन्दी दोहा संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

                             ईद का चांद
                  (हिन्दी दोहा संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

प्रकाशन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
          एवं      मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

ई बुक प्रकाशन दिनांक १७-०५-२०२२
        टीकमगढ़ (मप्र)भारत-४७२००१
         मोबाइल-९८९३५२०९६५


😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


              अनुक्रमणिका-

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-कल्याण दास साहू 'पोषक' (पृथ्वीपुर)
03-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
04- संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)
05-रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
06-एस.आर.सरल, टीकमगढ़
07- शोभाराम दांगी इंदु (नदनवारा)
08-परम लाल तिवारी,खजुराहो
09- कविता नेमा (सिवनी)
10- डॉ. रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
11-डां शरद नारायण खरे (मंडला)
12- प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष' (टीकमगढ़)
13- जय हिन्द सिंह जयहिंंद (पलेरा)

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1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.)

**कुछ दोहे- 'ईद मुबारक'*

रोज़े रखने से यहां,
खुश होते भगवान ।
अमन,चैंन व प्रेम जहां,
वह है हिन्दुस्तान ।।

                 लाती घर में ईद है,
                 खुशियों का पैगाम ।
                 सबको गले लगाइए,
                 मिल जाए आराम ।।

मीठे ये पकवान से,
महके है घर-द्वार ।
नये कपड़ों को पहिन के,
खुशियां मिले अपार ।।

                       ईदी पाने के लिए,
                       पड़े बड़ों के पांव।
                     बच्चें फिर अपने अपने,
                       लगा रहे है दाब ।।

ईदी पाकर खुश हुए,
बच्चे करें सलाम।
अब तक अटके जो रहे,
पूरे होंगे काम।।
#786#

*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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2-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)

भये  ईद  कौ  चांद  महोदय ।
गये  भींट  खों  फांद महोदय ।।

उतै  पौंच  कें  पडा़  परे  हैं  ।
खा-खा कें गुरयांद महोदय ।।

मीठी - मीठी  बातें  दै  कें  ।
अब दै रय ऐठांद महोदय ।।

पैलाँ  पाँव  परे  हैं  जिनके ।
उनसें करत घिनांद महोदय ।।

कै रय ते  हम  खुशबू  बांटें ।
बांटन  लगे  बसांद  महोदय ।।

देस  भरे  में  दन्द-फन्द  की ।
फैला दइ छिछरांद महोदय ।।

को   जानत्तो   ऐसे   हुइयें  ?
"पोषक" बडी़ चिरांद महोदय ।।

 ***
 -कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
  ( मौलिक एवं स्वरचित )

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3-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
गीत..🍬
🌹बिषय-ईद का चांद🌹
*प्रदीप खरे, मंजुल* 
%%%%%%%%%%
वो हुये ईद का चांद, 
झलक को तरस रहे। 
यार तेरे कब होंगे दीदार, 
नैन ये बरस रहे। 
1
चांद सी प्यारी मुईयां तोरी,
हर गई मौरी निंदिया।
चैन करेजे में अब नइयां,
बैरन तोरी बिंदिया।
कब आओगे दिलदार, 
कि नैना बरस रहे...
2-
लट लटकाती, तू बलखाती,
जब सामू सैं निकरै।
देखत जियरा तेज धड़वै,
मन जौ मौरौ बिफरै।
जो जीवन भऔ बेकार,
नैन जै बरस रहे....
3-
ईद को चांद साल भरे में,
एक दिना तौ निकरै।
तौरी मुइयां येसी लुक गई,
कभऊं न बाहर निकरै।
नित निरखत तौरौ द्वार,
नैन जे बरस रहे..।
4-
बिन बदरा बिजुरी चमकै,
जब बिंदिया माथे दमकै।
लगत करैजै बान सौ मौरे,
जब-जब चुरियां छनकैं।
करैं गजब गुलनार,
कि नैना बरस रहे....
##$$$$#####$$$
-प्रदीप खरे मंजुल*
टीकमगढ़ मप्र..472001

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04-संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)

मुहावरा  *ईद का चाँद*

*बड़े दिनों में झाँकता*,
*सुखद ईद का चाँद*।
*खुशी,मोहब्बत बाँटता*,
*ले जाता उन्माद*।।

*कछु पटल के प्रबुद्धजन* ,
*लिख-लिख टोरें बाँध*।
*कैयक जन तो चिमा गय*,
*केउ ईद के चाँद*।।    
      ***
      
      संजय श्रीवास्तव, मवई
      ४/५/२१, दिल्ली😀🌹

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5-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)
कुंडलिया."बने ईद के चांद.. "

मिलने को मुझसे कभी, गये दिवालें फांद/
जाने अब किस बात पर,बने ईद के चांद//
बने ईद के चांद, मिले बिन चैन कहाँ है/
जीवन बना उदास, सकल दिन रैन यहाँ है//
आ जाते हो 'इंदु', सुमन लगते हैं खिलने/
आखिर क्या है हुआ, नहीं आते हो मिलने//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)

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06-एस.आर.सरल, टीकमगढ़
🙏बुन्देली   दोहा🙏
         #ईद के चाँद#
कैउ साल में पाउने,भये ईद के चाँद।
खा बैठे गरसेंट कै,लेत रये चुकरांद।।

उल्टी कर दइ रात में, देखें भई घिनाँद।
काऊ नै कइ नही कै,लला ईद के चाँद।।

हम सब खा गय गम्म कै,लला ईद के चाँद।
अबइ तनक कँय देत सो,करने कूँदा फाँद।।

सास ससुर सब समझ गय,खा गय अन्ट दमांद।
गम्म  खाय  मे सार है, लला  ईद के चाँद।।

गर्मी कों भपका लगौ,छूटी अन्ट ददाँद।
फिर का करते पावनें, हते ईद के चाँद।।
***
    - एस. आर. सरल,टीकमगढ़

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07- शोभाराम दांगी "इंदु" नदनवारा

     बिषय - "ईद के चाँद "पर 
             "गीत "
कहां गए थे यार, ईद के चाँद हो गये ।
मुझे क्यों भुलाया, कितने बदल तुम गये ।।

1- आती रहती याद तुम्हारी, चढती बेलसी सदां ।
हम है धूल के रबइया, तुम वो राज पा गये /मुझे ****

2- ईद के चाँद जैसे क्यों, बनते जा रहे हो तुम ।
महफिल को सूना -सूना यार, कर क्यों गये /मुझे ***।।।

3- मैं अपनी मुहब्बत का ,पैगाम दे रहा हूँ /
मेरी नजरों के सामनें से, क्यों दूर हो गये /मुझे ****

4- मैं तुम्हें चाहता हूँ, दिलों दिल से मेरे यार /
तोडों ना मेरी दोस्ती, तुम ईद के चाँद हो गये /मुझे **/**

5- अब तक तो चली आई, अब न चलेगी और /
"दाँगी "हैं सलामत तो यूँ, तेरी नजरों में बस गये /मुझे *****
****
मौलिक एवं सुरचित रचना 
शोभारामदाँगी 
7610264326
        
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08--परम लाल तिवारी,खजुराहो

प्रेम के दिलों आप 
बीज बो गये।
बाहु युगल की कंठ में 
माला पिरो गये।

आते नहीं नजर 
बहुत दरमियाँ से हो
छिप के गगन में 
ईद का चाँद हो गये।
***

             -परम लाल तिवारी,खजुराहो

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09- कविता नेमा (सिवनी)
"   ईद का चाँद "
एक मधुर मुस्कान जब ,
तेरे अधरों पर आती है ।
राज दिल के सारे 
खोल जाती है ।।

बन ईद का चाँद ,
जब तुम आते हो 
छवि मेरी और भी निखर जाती है ।।

हो जाता है दीदार 
इन बंद आंखों में ,
सुकून का एहसास  
हो जाता है बातों में ।।
***
कविता नेमा, सिवनी (मप्र)

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10-डां. रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
दोहे विषय - 'ईद का चांद

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

1 - ईद चांद सब हो गये, 
  कोरोना के राज ।
  कपड़े कम बिकते यहां, 
  कफन सजाते साज।। 

2 - घर के अन्दर सब रहो, 
   बनो ईद के चांद। 
   कोरोना ने दे दिये, 
   सारे बन्धन बांध।। 
   
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

           डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 

😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
            
11-डां. शरद नारायण खरे (मंडला)
रविवारीय लेखन
===========
ईद का चाँद
======
तुम जौ मुझको दिख गये,
लगौ ईद कौ चाँद।
तुम तक आबे मन भयौ,
आऊँगौ सब फाँद।।
    --प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
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12- प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष' (टीकमगढ़)
एक चौकड़िया

मो मन इक मृगनैनी मो ग‌इं,
                  बीज  नेह  के  बो ग‌इं।
सियरी अगन लगा तन मन में,
                  फिर  जांने कां खो ग‌इं।
सूरत सुभग सुरत कीं कलियां,
                  बिरह  माल  में पो ग‌इं।
बिछो  पाव पलकन कौ पलका,
                  सो पलकन ‌पै  सो ग‌इं।
बे बरराटन दिखा परत प्रभु  ,
                   चांद   ईद  कौ हो ग‌इं।
             ***
          प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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13- जय हिन्द सिंह जयहिंंद (पलेरा)
      
#रविवार#दिनाँक16.05.21#
#रविवार बिशिष्ट लेखन#
#बिषय....ईद का चाँद#
*************************
#ईद का चाँद#
मेरे मेहबूब मेरी कसम,मेरे नैनों में कब छाओगे।
मैनै सपने में सोचा नहीं,ईद के चाँद हो जाओगे।।
                    #1#
ये मेरी सनम बेबसी, तेरी चाहत से मजबूर हूं।
पिया परदेश पीछे पड़ा,आपसे मैं बहुत दूर हूं।।
पर रहता निकट ये हिया,पिया जाने तुम कब आओगे।
मैने सपने में........
                    #2#
दिल की मुदरी में ऐसे जड़े,नैन कहते हैं आगे खड़े।
सोच कर मैं तो हारी हिया, तेरे सपने तो पीछे पड़े।।
सताया सितमगर मुझे,ये कब तक जुलम ढाओगे।
मैनै सपने में.........
                    #3#
किया पायल ने घायल पिया,
छमछमा कर उड़ाये हँसी।
पर जाने नहीं बेबफा,अपनी गुइयाँ
की बो बेबसी।।
बिश्वास होगा मुझे,जब मेरी कसम खाओगे।
मैनै सपने में..........
                    #4#
बंदिसें दिल की कमजोर हैं,पर सोचूँ पिया चोर है।
चित चुराया है तुमनें मेरा,मेरी यादें ना कमजोर हैं।।
मुझे आनन्द जयहिन्द दो,बो मिलन गीत कब गाओगे।
मैनै सपनें में........

#मौलिक एवम् स्वरचित#
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
#मो.6260886596#
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                         ईद का चांद
                  (हिन्दी दोहा संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

         ई_बुक प्रकाशन दिनांक १७-०५-२०२१
            टीकमगढ़ (मप्र)भारत-४७२००२
                 मोबाइल-९८९३५२०९६५

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