नंद के लाल
(काव्य संकलन) ई_बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नंद के लाल
(काव्य संकलन) ई_बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 29-08-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
03-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
04-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
05- कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
06-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा टीकमगढ़
07- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
08-हरिराम तिवारी 'हरि',खरगापुर(टीकमगढ़)
09-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)
10-डां.रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र.)
11-शीलचन्द शास्त्री ललितपुर (उ.प्र.)
12-मनोज कुमार, गोण्डा(उ.प्र.)
13-एस आर सरल टीकमगढ़ (मप्र)
14- परम लाल तिवारी,खजुराहो
15-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक का और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *हलछठ* 62वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 62 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 73 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 62वीं ई-बुक "नंद के लाल" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों ने दिये गये बिषय कृष्ण जन्माष्टमी और "नंद के लाल"" पर दिंनांक-29-8-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं। अपना आशीर्वाद दीजिए।
अतं में मैं पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-29-08-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-9893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
**ग़ज़ल-घनश्याम हो गये*
जो राम और रहीम हो गये।
उनके ऊंचे नाम हो गये।।
प्यार को जिन्होंने समझा है।
वो ही यहां घनश्याम हो गये।।
लक्ष्य को लेकर बढ़े जो आगे।
उनके पूरे काम हो गये।।
देखो नेता बनते ही वो।
कितने ऊंचे दाम हो गये।।
'राना' आज की दुनिया में तो।
कभी सुबह ही शाम हो गये।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)
#श्री कृष्ण जन्माष्टमी#
धुन...सपने में भयी शादी मेरी,
श्री देवी के साथ में.....
भादों बदी अष्टमी आई,
भाया समय कमाल का।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी,
जन्म हुआ गोपाल का।।
#1#
उठी घटा घनघोर जेल में आधी रात सुहाई।
देवकी अरु बसुदेव बंद थे जहाँ पिता और माई।।
मस्त नींद में सो गयी सारी,जेल
की पहरेदारी।
प्रकट चतुर्भुज रूप जेल में भये,
सुदर्शन धारी।।
अंतर्ध्यान हुये हरि फौरन ,रुदन हुआ एक बाल का।श्री कृष्ण .....
#2#
बासुदेव ने उठा पुत्र को ,अपना कदम बढ़ाया।
शेषनाग ने सिर के ऊपर ,कर दी अपनी छाया।।
ताले खुले पुत्र को लेकर,यमुना जी में आये।
यमुना चरण छूये ऊपर हुयीं,तभी पिता घबराये।।
उतरीं यमुना चरन पखारे,काम हुआ तत्काल का।श्री कृष्ण....
#3#
गोकुल गये नंदबाबा घर,खबर कोई ना पाई।
बासुदेव ने माया रूपी ,कन्या तुरत उठाई।।
बसुदेव जेल में बापिस आये,बन्द हुये सब ताले।
सुबह नंद घर कृष्ण जन्म सुन,खुश भये गोकुल बाले।।
.जयहिन्द बुलंद नाम भव जग में,
गोकुल के इस ग्वाल का।श्री कृष्ण....।
---***---
#मौलिक एवम् स्वरचित#
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
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3-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
बिषय..जन्माष्टमी
29-08-2021
*प्रदीप खरे,मंजुल*
💐💐💐💐💐💐💐
1-
जन्माष्टमी त्योहार सम, नहिं कौनउ त्यौहार।
जा दिन जन्में जगत के, जेलहिं तारणहार।।
2-
कान्हा आठें को भये, कंसहिं कारागार।
टूटत ताले दर खुले, सोये पहरेदार।।
3-
माइ यशोदा सो रही, कान्हा करत किलोल।
बदल बासु सुत दे गये, कन्या लई सुडोल।
4-
कृष्ण जन्म की खबर से, हरषे सब नर- नार।।
आये तारणहार कहें, गूंजे जय जयकार।।
5-
कान्हा भय सुन नंद घर, बजे खूब बधाये।
लेत बलैयां देव नभ, रहे सुमन बरषाय।
***
-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
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4-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
🎂😊कृष्ण जन्माष्टमी😊🎂
आताताई जब बढ़ें, होय धर्म की हानि।
तबतब प्रभु अवतार ले,बन्द करें मनमानि।।
ब्राह्मण गौ कन्या करे,जब भी हा हाकार।
आतंकी के वध निमित,लेवें प्रभु अवतार।।
जब मर्यादा नष्ट हुइ, संत हुए लाचार।
तब प्रभु को आना पड़ा,ले करके अवतार।।
कोइ काल होता नहीं,जब प्रभु ना हों पास।
जन अपने ही कर्म से,रहते दुखी उदास।।
बढ़ा कंस का कोप जब,धरती हुइ लाचार।
तब परित्राण दिलाने,हुआ कृष्ण अवतार।।
जब धरती पर बढ़ गया,हद से ज़्यादा पाप।
कारागृह में जन्म ले, मेटा सब संताप।।
भादों की थी अष्टमी, द्वापर की थी बात।
कृष्ण जन्म से मिली थी, सबको आज निजात।।
मनमोहन मधुसूदना, माधव मदन गुपाल।
मुरलीधर माखन चखत,हरसत गोपी ग्वाल।।
नटवर नागर नटखटी, नदनंदन चितचोर।
बसन विहीना गोपियाँ,देखत तुमरी ओर।।
बृजरज सर माथे रखें, बृजनंदन बृजराज।
संत भक्त अरु गोपियाँ,राह चलत गजराज।।
प्रेम विवश गोपाल के, गैयाँ गोपी ग्वाल।
राधा की सो का कबें, मोरें भईं बेहाल।।
वंशी की ताने सुनत, दौड़ी आवैं गाय।
गोपी ग्वाला राधिका,मोर हिरन बनराय।।
मनमोहन श्री कृष्ण जू,स्वयं जनार्दन आप।
हे नटखट नारायणा, मेटो भव के ताप।।
लीला पुरुषोत्तम कहें ,कै कउ माखन चोर।
यशुदा के छैया कहूँ, कै फिर नंद किशोर।।
राधा कौ मोहन कहूँ, मीरा कौ घनश्याम।
गोकुल कौ ग्वाला कहूँ, सूरदास कौ श्याम।।
कृष्ण मुरारी मुकुंदा, गोविंदा गोपाल।
वासुदेव दामोदरा,कि कह दूं नंदलाल।।
गोपिन कौ छलिया कहूँ, कि श्रीदामा कौ मित्र।
नटखट नटनागर कहूँ, कि लीला बड़ी विचित्र।।
केशव माधव कन्हैया,कहूँ द्वारिका धीश।
कै बृज कौ छौरौ कहूँ, कै राधा कौ ईश।।
%%%%@%%%%
***
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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05-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी , पावन तिथी महान ।
हुए अवतरित जेल में , कृपासिन्धु भगवान ।।
पुत्र बनें वसुदेव के , सुभग देवकी लाल ।
नन्द-जसोदा के ललन, भए दुष्ट के काल ।।
जय कन्हैया लाल की , जय गोकुल के ग्वाल ।
जय बलदाऊ के अनुज , जय गिरधर गोपाल ।।
लीला प्रभु की है अजब , माखनचोर कहाय ।
रहे छेड़ते गोपियाँ , मधुवन रास रचाय ।।
राधा जू के प्राण प्रिय , यदुनन्दन मनमीत ।
बजा-बजा कर बाँसुरी , रहे दिलों को जीत ।।
बने सुदामा के सखा , सांदीपनि के शिष्य ।
अर्जुन के बन सारथी , उज्जवल किया भविष्य ।।
कुरूक्षेत्र में दे दिया , अद्भुत गीता ज्ञान ।
प्रभु वचनामृत में निहित , माया मोह निदान ।।
लीलायें करते रहे , लीलाधर भगवान ।
हर युग में हर रूप में , किया जगत कल्यान ।।
***
-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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06-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)
🌹चौकडिया 🌹
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
•••••••••••••••••••••••••
देवकी नन्दन जन्म लये है
आधी रात भये है
ले वसदेव चले गोकल को
भारी दुःख सये है
पार उतर तन जमुना जू के
जमुना चरन गये हैं
पार दये वसुदेव जसोदा
कन्या भाऊ लये है
---
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07- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ मध्य प्रदेश
9770113360,7610264326
बिषय - "श्री कृष्ण जन्माष्टमी "
दिनांक 29/8/021रविवार
धुन - आया -आया इक दैत्य आधी रात को, जिसने प्रथ्वी चुराई आधी रात को /
टेक -जन्मा -जन्मा कन्हैया आधी रात को, ताले टूटे जेल के आधी रात को /
1- खुल गईं बेड़ी मात -पिता की /
आधी ***
बँध गई आशा अब जीवन की /आधी ***
बिजली चमकी कारागृह में /आधी ***
भयो अचंभौं कुछ ही छिन में /आधी ***
जन्मा -जन्मा कन्हैया आधी रात को, ताले टूटे ****
2- ले बसुदेव चले गोकुल को /आधी ***
नंद बाबा के घर पहुँचे वो /आधी **
लेकर कन्या आये वापिस /आधी ***
रात अंधेरी में भई सर्विस /आधी **
जन्मा - जन्मा कन्हैया आधी रात को, ताले टूटे जे के आधी रात को 3- घनघोर घटा छाई है काली /आधी **
तिथि अष्टमी रोहणी वाली /आधी ***
चम -चम बिजली चमकने लागी /आधी ***
रस्ता बीहड़ जंगल बाली /आधी **
जन्मा - जन्मा कन्हैया आधी रात को, ताले टूटे ***
4- उदय हुआ भारत में फिरसे /आधी ***
संकट हरने जन्मा फिरसे /आधी ***
पूरा करेंगे बचन वो फिरसे /आधी ***
चरणों "दाँगी "पड़े हैं आधी रात को /ताले टूटे हैं ****
***
मौलिक एवं सुरचित रचना
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नंदनवारा
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08-हरिराम तिवारी 'हरि',खरगापुर(टीकमगढ़)
🍀🌹 *"जन्माष्टमी"* 🌹🍀
भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य दिवस
गीत - "लोक शैली में"
भादौं की अंधियारी कारी, आठें दिन बुधवार हो।
नखत रोहिणीं पुण्य काल में, प्रगट भए करतार हो।।
बंदी गृह के फाटक टूटे, सो गए पहरेदार।
कटीं बेड़ियां खुलीं हथकड़ीं, अचरज भयो अपार।।
रूप अनूप देख हरषानीं, देवकी बारंबार हो।
गद्-गद् स्वर वसुदेव जोड़ कर, स्तुति कीन्ह उदार हो। भादौं की ...
जुगत बताई लीला विद ने, कही कथा विस्तार।
लै वसुदेव बाल सुत हरि को, गए जमुना के पार।।
खुलीं किवरियां नंद भवन की, यशुदा कुटी निहार हो।
यशोदा ढिंग पौढाय लाल को, कन्या लई सम्हार हो।।भादौं की...
बंदी गृह में वापस आ गए, भओ माया विस्तार।
मच गओ रुदन,पहरुआ जग गए, कंस रहो ललकार।।
धरनी भार पाप हरने को, 'हरि' लीन्हों अवतार हो।
कंस मार भक्तन सुख दीन्हों, हो रई जय जय कार हो।। भादौं की..
देवकीनंदन वासुदेव कोउ, कहवें नंदकुमार।
गिरधारी बनवारी ठाकुर, कान्हा कृष्ण मुरार।।
मुरलीधर मधुसूदन मोहन, माखन चोर लवार हो।
गोपिंयन के चितचोर श्याम जू, श्री माधव सरकार हो। भादौं की...
🌼🍀🌹🌸🌹🍀🌼
भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी सभी के लिए मंगलमय हो।
जय जय सियाराम🙏🙏
-हरिराम तिवारी 'हरि',खरगापुर(टीकमगढ़) मध्य प्रदेश
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9-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)
बुन्देली चौकडिया कृष्ण जन्मोत्सव पर
1
मथुरा जन्में कृष्ण कन्हैया,
गोकुल दाऊ भइया।
वदरा गरजें चमक विजुरिया,
को है गैल चलइया।
वसुदेव लालै धरें मूंड पै,
बाड़ी जमुना मइया।
नंद गांय लला के सद्गुण,
वे जग पार करइया।
2
जमुना जू की अलख कहानीं,
महिमा वेद बखानी।
जैसइ वसुदेव गए किनारें,
खूबइ चढ़ी दिखानी।
वसुदेव पार करत जमुना खों,
वे खूबइ उफनानी।
कान्हा के पग छूतइ जमुना,
सोई गई सिरानी ।
***
-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा,निवाडी (म.प्र.)
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10-डां.रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र.)
'श्री कृष्णा'
✍️✍️✍️✍️✍️
जसोदा झुला रहीं कृष्णा को
लोरी गांय सुलाने को
सो जा मेरे राजदुलारे
प्राण प्यारे हो
हमें तो सबसे प्यारा है तू
नाम दिलाने को
जसोदा झुला रहीं कृष्णा को
लोरी गांय सुलाने को
देवकी मां ने जनम दिया है
पाप मिटाने को
मैं तो पालनहार बनी हूँ
बलि बलि जाने को
जसोदा झुला रहीं कृष्णा को
लोरी गांय सुलाने को
राधा के आंखों के तारे
श्याम प्यारे हो
मीरा के गिरधर गोपाला
भक्ति सजाने को
जसोदा झुला रहीं कृष्णा को
लोरी गांय सुलाने को
गोपी ग्वालन के हो रक्षक
दधि चुराते हो
गाय चराने वन में जाते
रास रचाने को
जसोदा झुला रहीं कृष्णा को
लोरी गांय सुलाने को
राम कृष्ण हो विष्णु महेश्वर
अल्ला सूफ कहाते हो
वाह गुरु हो या हो ईशू
एकाकार कराने को
जसोदा झुला रहीं कृष्णा को
लोरी गांय सुलाने को
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
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11-शील चन्द्र जैन 'शील' ललितपुर , उ0 प्र0(भारत)
शीर्षक - श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
योगेश्वर युगनायक यदुपति नारायण अवतारी ।
विपदा में धीरज धरने की शिक्षा देते गिरधारी ।
नव वर-वधु वसुदेव-देवकी कारागृह भिजवाया ।
नवजात शिशु श्रीकृष्ण को गोकुल ग्राम पठाया।
मातुल-कंस के भय से ब्रज में छुपे रहे अवतारी ।
विपदा में धीरज धरने की ....1
दैत्य बकासुर शकटासुर धेनुक प्रलंब को मारा ।
मुष्टिक चाडूर जरासंध भौमासुर कालिय संहारा।
सोलह हजार नारी उद्धारक बने थे कृष्णमुरारी ।
विपदा में धीरज धरने की ...2
क्रूर कंस पापी संहारा मथुरा को मुक्ति दिलायी ।
त्राहिमाम करती थी प्रजा चैन की बंशी बजायी ।
कालयवन शत्रु को नाशने रणछोर बने थे मुरारी।
विपदा में धीरज धरने की ...3
मथुरा त्याग द्वारिका आये बना नयी राजधानी ।
कर्मलेख में काल-चक्र ने लिखी विचित्र कहानी ।
महाभारत युद्ध के नायक बने चक्र सुदर्शनधारी ।
विपदा में धीरज धरने की ...4
मदांध दुर्योधन शकुनि कुटिल क्रूर छल-बल में ।
अहंकार था दुशासन को अपने बाहुबल बल में ।
बने दुष्ट-संहारक गीतागायक गोपेश्वर गिरधारी ।
विपदा में धीरज धरने की ..5
शील चन्द्र जैन 'शील'
ललितपुर , उ0 प्र0(भारत)
मो0 9838896172
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12- मनोज कुमार, गोंडा (उ.प्र.)
'विषय- "श्री कृष्ण जन्माष्टमी"
शीर्षक-" बांसुरी की पुकार"
दिनांक- 29/08/2021 रविवार
बांसुरी की धुन पुकारे।,
चले आओ प्रेम दीवाने।
गोकुलावासी सब राह देख रहे हैं,
अब तो गोपियां भी लगी तैयारी बनाने।
राधा के आप के बिन नयन तरसे,
आज आपका जन्म दिन आया, खुशियां कैसे मनाए।
चले आओ कान्हा सजाया जाए महल,
मुरझाए यहां के पुष्प, हम कैसे सजाए।
बांसुरी की धुन आपको पुकारती है कान्हा।
आज जन्म दिन है, खुशियों का ना कोई बहाना।
खिल उठेंगे वसुंधरा पर सारे पुष्प, आपके आने से।
ये बात यशोदा मां भी कहती, कान्हा आप जल्दी से आना।।
लेखक/कवि- मनोज कुमार
गोंडा जिला (उत्तर प्रदेश)
मो. न. 7905940410
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13-एस आर सरल टीकमगढ़ (मप्र)
🌷श्री कृष्णा जन्माष्टमी🌷
🙏दुर्मिल सवैया🙏
किलकार सुनी बदरा गरजे,
घन घोर घटा घिरके थिरके।।
घर नंद भये खुश हाल सभी,
हिय मे अति प्रेम भरे झलके।।
यश गान सुमंगल होत सुनें,
मन होश उड़े मथुरा खलके।।
मथुरा नगरी नर नार कहें,
बृजराज भये मथुरा किलके।।
हुलसे बृज बाल गुपाल सभी,
जब खोरन मे बृजराज लुके।
बहु भाँति कला धरि के लुकवै,
न मिलें छलिया सब ढूंढ चुके।
किस खोर लुकै न पता चलवै,
सब ढूंढ़ थके किस खोर दुके।
निकरो अब रास रचाव नही,
तुम जीत गये हम हार चुके।।
***
-एस आर सरल,टीकमगढ़
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14-परम लाल तिवारी,खजुराहो
कन्हैया आ जाओ एक बार।
धेनु धरा पर फिरती मारी,सुनिये करूण पुकार।
कन्हैया---
बाला पन से धेनु चराई,कीन्हीं बहुत सम्हार।
तभी नाम गोपाल कहायो,जाने सब संसार।
महिमा भूले सभी गाय की,भटके व्दारन व्दार।
कन्हैया--
आज कंस घर घर में पैदा,शिशुपाल बहु डोलें।
डरते नहीं अस्त्र चक्र को,चाहे जैसा बोलें।
पनप न पायें और ये ज्यादा,कर दीजे संहार।
कन्हैया---
अति पावन है नाम तुम्हारा,जो जन कीर्तन करते।
कैसा भी कलिकाल घोर हो,किचिंत न वे डरते।
केवल एक यही साधन से,हो जाते भव पार।
कन्हैया आ जाओ एक बार।।
परम लाल तिवारी,खजुराहो
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15-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर
धरम धरनि पै जब घटै,बड़बै अत्याचार।
दुष्ट दलन द्विज संत हित,लेबें प्रभु अवतार।।
तीन सहस दोसौअठाइस,ईश पूर्व बुधवार।
शुभ इक्कीस जुलाई को,प्रकटे तारन हार।।
भादों की आठें अंदयारी,बरसा रित मतवारी।
आदी रात नछत्र रोहिनी, उच्च चंद्र शुभ कारी।
हरसन योग करण बव नीकौ,जब बृष लग्न पधारी।
शंख चक्र औ गदा पद्म लयं, रूप चतुर्भुज धारी।
कइ बिजुरीं सीं चमक उठीं प्रभु,प्रकटे कृष्ण मुरारी।
देखी बाल कृष्ण छबि प्यारी,मात पिता बलिहारी।
परबस हैं बसुदेव देवकी,सोस करत हैं भारी।
आ नइं जाबै दुष्ट कंस कउं,पापी अत्याचारी।
नंद गोप के घरै पठैबे ,की कर लइ तैयारी।
सोये पहरुआ फाटक खुलगए, प्रभु की माया न्यारी।
चलदए हैं बसुदेव लुआकें,पिरिया में पोंड़ा कें।
इंद्र देव अगवानी कर रए,नेह नीर बरसाकें।
बूंदें नइं गड़ जांयं शेष जू,चल रए फन फैलाकें।
रै रै गैल बता रइ उनखों,दामिनि दमक दिखा कें।
जमुना जू बड़ चलीं मिलन हित,तट मरजाद मिटाकें।
उनकौ बेग सांत कर दऔ प्रभु,पद पंकज परसा कें।
पोंच गए बसुदेव जू,कर कें जमुना पार।
नंद गांव में नंद के , मिल गए खुले किबार।।
लाला खों पोंड़ा दऔ,लाली लई उठाय।
जल्दी जल्दी लौट रए ,भेद न जौ खुल जाय।।
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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