कजलियां (भुजरियां)
(हिन्दी दोहा संकलन) ई_बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कजलियां (भुजरियां)
(हिन्दी दोहा संकलन) ई_बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की 60वीं ई-बुक
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 24-08-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- रामगोपाल रैकवार (टीकमगढ़)
03-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
04-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
05- कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
06- एस. आर. 'सरल', टीकमगढ़ (मप्र)
07-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (मप्र)
08-गोकुल यादव,बुढेरा (म.प्र.)
09- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
10-रामानंद पाठक 'नंद,नैगुवा' (म.प्र.)
11- डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र.)
12- राम लाल द्विवेदी,कर्बी (उ.प्र.)
13- पटल समीक्ष- डॉ रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक का और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *कजलियां* 60वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग और सोशल मीडिया पर निशुल्क पढ़ सकते है।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 60 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 73 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 60वीं ई-बुक कजलिया (भुजरियां) लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों द्वारा दिंनांक-24-8-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं। अपना आशीर्वाद दीजिए।
अतं में मैं पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-24-08-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-9893528965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बिषय- भुजरियां/कजलियां*
*1*
देत कजलियां प्यार से,
लेते शीश झुकाय।
विजय,वीर सम्मान की,
गाथा रहे सुनाय।।
***
*2*
सावन अभी चला गया,
भादों का है मास।।
कजली का त्यौहार है,
मन में है उल्लास।।
***24-8-2021
(मेरी उपरोक्त रचना मौलिक एवं स्वरचित है।)
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2- रामगोपाल रैकवार (टीकमगढ़)
करते बोकर कजलियाँ,
फसलों का अनुमान।
शौर्य-वीरता से जुड़ा,
यह त्योहार महान।
आया चंद्रावलि-हरण,
करने जब चौहान।
दिवस कजलियों के रखी,
आल्हा-ऊदल आन।
गाँव-गाँव दिन-कजलियाँ
होता आल्हा-गान।
नहीं गवैये वे रहे।
और न वैसी तान।
आल्हा गायन के समय,
शस्त्र न रखते पास।
बावन आल्हा समर में
युद्ध कजलियाँ खास।।
अब तो होती जा रहीं
परंपराएँ लुप्त।
अब न कजलियाँ खुट रहीं,
लोक हो गया सुप्त।।
***
-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
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3-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)
#कजलियां#
#दोहे#
#1#
कंचन काया कटि कसी,काड़ कजलियां गाँय।
मंगल मन मृगलोचनी,मंद मंद मुस्काँय।।
#2#
पीलीं पीलीं कजलियां, काले काले केश।
सर पर धर कर चलीं जब,लगत सुहाने बेश।।
#3 #
दै कजरा लै कजरियाँ,चलीं ताल के पार।
झुण्ड बना चलतीं सदा,सब आलबेली नार।।
#4#
आल्हा ऊदल काल में,भव कजली संग्राम।
जग जाहिर है इसलिये,नगर महोबा नाम।।
#5#
सावन शुक्ला पूर्णिमा, कजली कौ त्योहार।
पूजा करकें घाट पर,खोंट ताल के पार।।
**
#मौलिक एवम् स्वरचित#
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
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4-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
*दोहा.. भुजरिया*
24.08.2021
*प्रदीप खरे,मंजुल*
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
1-
कुशल कामना कर रहे, खुशहाली घर होय।
लयैं भुजरियां द्वार पै, हम आये हैं तोय।।
2-
प्रेम नित येसयी रहें, देत कजलियां तोर।
घर हरयाली रय सदा, नचे पपीहा मोर।।
3-
राखी कढ़तन आत है, कजली का त्यौहार।
सभी प्रेम सें जात हैं, इक-दूजे के द्वार।।
4-
नागपंचमी बोत हैं, खोटत राखी बाद।
इनै कजलियां कात हैं, हरें सभी अवसाद।।
5-
आल्हा की बहिना हुई, चंदा जाकौ नाम।
जाकी याद में बटत हैं, कजली आज तमाम।।
6-
प्रथ्वीराज न छू सके, चंद्रवती का हाथ।
कजलियां लेकर बा गइ, निज सखियन के साथ।।
-***
-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
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05-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)
श्रावण शुक्ला पक्ष में , शुभ ही शुभ दिन होंय ।
धूमधाम से नारियाँ , रुचिर कजलियाँ बोंय ।।
दोंना बडे़ पलाश के , भर गोबर की खाद ।
बोंय कजलियाँ गर्व से , जल की रहती आद ।।
रखें कजलियाँ ढाँक कर , करते धूप बचाव ।
करें नहा कर नित्य ही , पानी का छिड़काव ।।
उगतीं सुन्दर कजलियाँ , जल्दी बढ़तीं जाँय ।
सोने जैसा रूप धर , सुन्दरता बिखराँय ।।
करें विसर्जित कजलियाँ , सावन के पश्चात ।
घाट नदी तालाब पर , मेला बहुत सुहात ।।
चन्देलों की वीरता , पर्व कजलियाँ खास ।
धाम महोबा से जुडा़ , पराक्रमीं इतिहास ।।
***
-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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06-एस. आर. सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
हिंदी दोहा कजलियां
श्रावण उत्सव मानते,रखें कजलियां लोग।
सावन भादों का मिलन,होता शुभ संयोग।।
बुन्देली उत्सव बडा,भाग लेत नर नार।
रखे कजलियां गाँव में,मना रहे त्यौहार।।
रखें जबारे कजलियां,सावन करें बिदाइ।
डूबे हैं सब जश्न में, भादों की अगुवाइ।।
पर्व कजलियों पर युवा,करते कुश्ती खेल।
गीत भजन बाधें समा,खुशियां रहे उड़ेल।।
करें बिसर्जन कजलियां,भरें सभी उत्साह।
अगले सावन फिर मिलें,करते वाहे वाह।।
###
-एस आर सरल,टीकमगढ़
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07-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (मप्र)
दोहे विषय कजलियां
घेरा पृथ्वीराज ने, नगर महोबा आन।खोंटें कैसे कजलियां,चंद्रावलि हैरान।।
चंद्रा वलि की कजलियां, तुम्हीं सिरावन हार।
आन बहिन की राख लो,बेंदुल के असवार।।
सिरीं सान से कजलियां,ऊदल लाखन संग।
दिल्ली दिल दहला दिया, सेना हो गई दंग।।
गोरे गोरे गात पै, पियरे पट फहरात।
शीष मुकुट सी कजलियां,सिर पै सजी सुहात।।
भजन कीर्तन हो रहे,रनतूला का सोर।
चले सिराने कजलियां,ताल नदी की ओर।।
प्यारी अपनी संस्कृति,प्यारा कजली पर्व।
हमें हमारी धरोहर , बुंदेली पर गर्व।।
***
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (मप्र)
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08-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
हिन्दी- दोहा
विषय-कजलियाँ/भुजरियाँ
********************
सावन मनभावन सरस,
रिमझिम मंद फुहार।
राखी झूला भुजरियाँ,
सैरा गीत मल्हार।।१।।
**************************
रीति-रिबाजों से सजी,
अपनी पावन भूमि।
कल राखी की धूम थी,
आज कजलियाँ धूम।।२।।
**************************
सखियाँ हिल-मिल कर चलीं,
कर सोलह श्रृंगार।
करें विसर्जित कजलियाँ,
नदी बेतवा धार।।३।।
**************************
हिलमिल खोंटीं कजलियाँ ,
गा-गा कजरी गीत।
घर-घर बाँटी प्रीत से,
बडी़ अनौखी रीत।।४।।
**************************
चन्द्रावल को हरण की,
भूल करी चौहान।
धूल चटा लौटा दिया,
रखा भुजरियाँ मान।।५।।
***********
-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
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09- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
हिंदी दोहा ,दिनांक 24/8/021
बिषय -"कजलियां /भुजरियाँ
1- गढ़ी महोबा राज्य के,
राजा थे परमाल /
बेटी चंदरावलि गई,
सिरानें कजलियाँ ताल //
2- पृथ्वीराज चौहान ने,
करी चढ़ाई आन /
3- लाज बचानें भिड़ गये,
पहरमाल मलखान //
4- बेटी राजकुमारी की,
लाज बचाऐं वीर /
इसीलिए ये भुजरियाँ,
मानत हैं रणधीर //
5- बुंदेलखंड से मालवा,
ये महाकौशल पार /
धूमधाम से कजलियाँ,
मनांय भोजपुर नार //
6- खुशियों का ये पर्व है,
अति उमंग हरषांय /
विजय दिवस के रूप में,
भुजरियाँ सभी मनांय //
मौलिक एवं सुरचित रचना
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नंदनवारा
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10-रामानंद पाठक 'नंद,नैगुवा' (म.प्र.)
दोहा कजलियां
1
सावन महिना कजलियां,होती है हर साल।
सखियन संग शिरा रहीं,पहुंच महोवा ताल।
2
हदय भरी मन कामना,सुख समृद्बि की आस।
संकट सें सब बचा दियो,हो विश्व
का विकास।
3
कजरियन के साथइ में,झूला रहत
रिवाज।
बागन में झूला डरे,झूलन जावै आज।
4
छेड़ छाड़ सखियन करै,जांय कजलियन संग।
खैर खुशी बाकी नहीं,वर्षे रण भूमि रंग।
5
बुन्देलखण्ड नामी भव,शहर महोवा होय।
मेला देखन जात हैं, कडै कजलियां सोय।
-रामानन्द पाठक नन्द
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11- डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र.)
दोहे विषय कजलियां
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 आलहा की ये भगिनी,
चंदा उसका नाम।
बांट कजलियां शुरु किया,
कजली पर्व महान।।
2 कजली का त्योहार ये,
जब खुशहाली लांय।
प्यारी प्यारी बेटियां,
इसमें पूजी जांय।।
3 नागपंचमी पर्व को,
बोएं कजलियां साथ।
रक्षाबंधन को कटैं,
विपदा हर दें नाथ।।
4 बेटी बहन बना सभी
कजलीयां जो लेत।
हरि हर सब हर लें सदा
जिनको पीड़ा देत।।
5 वैज्ञानिक आधार है
कजलीयों का जान
बीज परीक्षण के लिए
कजली बोई मान
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सादर समीक्षार्थ 🙏
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
12- राम लाल द्विवेदी,कर्बी (उ.प्र.)
🌷 दोहे- कजलियां🌷
कजली-
पर्व महोब की, कहें विजय इतिहास।
पृथ्वीराज ना छू सका ,चंद्रावल को पास ।१
कीरत सागर कजलियां, वर्षों से आबाद।
आल्हा उदल जंग में, ताल करावे याद ।२
कजरा आंखों में लगा ,सिर पर कजरी धार।
गीत गात मुस्कात रह,ताल सिरावें नार ।३
नाग पंचमी बो य कर, पूनो दे त सेराय।
नदी ताल में झुंड संग, खोंट कजलियां आंय। ४
***
स्वरचित मौलिक
- रामलाल द्विवेदी प्राणेश
कर्वी चित्रकूट
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
13- पटल समीक्षक-डॉ रेणु श्रीवास्तव,(भोपाल)
माँ वीणा पाणि को नमन🙏
समीक्षा दिनांक 24 8 2021
जय बुन्देली साहित्य समूह
विधा दोहा
विषय कजलियां
समीक्षक डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सभी गुणीजनों को सादर प्रणाम 🙏
आज पटल पर समीक्षा हेतु मुझे आमंत्रित किया गया है अतः मैं अपनी अल्प बुद्धि से जो बन पडेगा, समीक्षा करूंगी
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 सर्व प्रथम मंच पर आदरणीय जयहिन्द सिंह जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने अपने दोहों में विभिन्न विषयों पर लेखनी चलाई। है कहीं नायिका के नखशिख का वर्णन है तो कहीं आल्हा ऊदल एवं कजलियों की तिथि का आप की भाषा लालित्यपूर्ण और शैली मनोरंजन से पूर्ण र्है लेखनी को नमन वंदन
2 दूसरे नम्बर पर आदरणीय एस आर सरलजी ने प्रस्तुति दी आप सफल रचनाकर हैं आप के दोहे अपने आप में विशिष्टता लिए हुए होते हैं आप लिखते हैं कि कजलियां सावन का उत्सव है तथा बुन्देलखण्ड का बड़ा पर्व है भादों के आगमन का संकेत देती हुई भाषा मधुर तथा अभिधा शब्द शक्ति का प्रयोग किया है आदरणीय आपको सादर नमन वंदन
3 तीसरे नंबर पर श्री शोभाराम दांगी जी ने अपनी प्रस्तुति दी है आपके दोहों में विभिन्न विषयों का समावेश है आपके दोहों में कजलियों के उद्भव कासुंदर सृजन हैतथा वे क्षेत्र जहां कजलियों का त्योहार मनाया जाता है वर्णित किये गये हैं भाषा में ज्ञानयुक्त और शैली रोचक है बहुत बहुत बधाई
4 चौथे नम्बर आदरणीय भाईसाहब श्री प्रदीप कुमार खरे जी दोहों का सृजन कर रहे हैं आप जाने माने पत्रकार रचनाकर एवं लोक गीत गायक हैं आपने अपने दोहों में कजलियों के मनाने का कारण एवं लाभ का संदेश दिया है आपकी भाषा परिमार्जित एवं शब्द चुने हुए हैं उत्कृष्ट सृजन हेतु हार्दिक बधाई
5 पांचवें स्थान पर आदरणीय गोकुल प्रसाद यादव जी रहे जिन्होंने अपने दोहों से पटल को सजाया है कजलियों में सजी संवरी नायिका इसके गीत तथा चंद्रावतीकी यश गाथा से परिचित कराया है आपकी भाषा सरल एवं सरस है बहुत बहुत बधाई
6 छठवें नम्बर पर पटल के एडमिन श्री राजीव राना जी ने कजलियों का महत्व बतलाते हुए मन में उल्लास की बात कही है
आपकी भाषा मृदुल स्निग्ध है आपको श्रेष्ठ लेखन हेतु हार्दिक बधाई
7 सातवें नम्बर पर श्री कल्याण दास पोषक जी ने प्रस्तुति दी आपका परिचय क्या दूं आप बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध कवियों में से हैं
आपने विशिष्ट बात कही है कि कजलियों को बोना उनका रख रखाव करना और महत्व पर प्रकाश डाला है सुंदर प्रस्तुति हेतु
बहुत बहुत बधाई
8 आठवें नम्बर पर आदरणीय भाईसाहब श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने दोहों में चंद्रा वती का वर्णन कर उनकी वीरता पर प्रकाश डालते हुए नायिका का वास्तविक वर्णन तथा पर्व को बुन्देली गौरव का प्रतीक माना है अलंकारिकभाषा में माधुर्य है और शैली लालित्यपूर्ण है आपको नमन वंदन
9 नौवें क्रम में श्री राम लाल द्विवेदी आपने आल्हा ऊदल का जिक्र करते हुए कहा कि नागपंचमी को कजलियां बो कर फिर भाद्रपद में खोंटी जाती हैं भाषा सरल और धाराप्रवाह है सुंदर सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई
10 दसवें नम्बर पर श्री रामानन्द पाठकजी के दोहे प्रस्तुत हुए आपने कजलियों का वर्णन किया है मेले के साथ साथ सखी सहेली झूला आदि श्रेष्ठ दोहों की रचना की आपकी भाषा मंजीहुई परिष्कृत और लालित्य युक्त है आपको बहुत बहुत बधाई
11मैं डॉ रेणु श्रीवास्तव ने भीदोहों कीरचना की विभिन्न विषयों पर लिखा है समीक्षा विद्वत जन करेंगे 🙏
उपसंहार इस प्रकार आज एक से बढकर एक दोहे कजलियों पर सभी मनीषियों ने प्रेषित किए मैंने सभी की समीक्षा की यदि भूलवश कोई छूट गया हो तो माफी चाहती हूँ सभी को शुभ रात्रि।🙏
- डॉ रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
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