Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 12 अगस्त 2021

नागमणि (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) संपादन-राजीव नामदेव'राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)


                             नागमणि
                 (हिन्दी दोहा संकलन) ई_बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                  
                            नागमणि
                 (हिन्दी दोहा संकलन) ई_बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की 58वीं ई-बुक
                                  
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-08-2021
        टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



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              अनुक्रमणिका-
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- रामगोपाल रैकवार(टीकमगढ़)(म.प्र.)
03-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
04हरि राम तिवारी 'हरि',खरगापुर,टीकमगढ़(म.प्र)
05-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
06-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़,(म.प्र.)
07-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
08 कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
09- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
10-सीताराम तिवारी 'दद्दा', टीकमगढ़,(म.प्र.)
11-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा टीकमगढ़
12-परम लाल तिवारी,खजुराहो
13-संजय श्रीवास्तव (मबई, दिल्ली)
14- डां रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (मप्र)
15- राम विहारी सक्सैना, खरगापुर(टीकमगढ़)
16- अभिनंदन गोइल इंदौर (मध्यप्रदेश)
17-  प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद (हरियाणा)
18- अवधेश तिवारी, छिंदवाड़ा (म.प्र.)
19- गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा, बल्देवगढ़
20- रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट

21- पटल समीक्षा-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)

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1-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)


**बिषय- नाग/सांप*

*1*

सांप आस्तीन में पले,
कब धोखा दे जाय।
बचके रहना सीखिए,
जाने कब डस जाय।।
***

*2*

नाग पंचमी आत ही,
बढ़ते उनके भाव।
कितना इनको पूजिये।
डसना होत स्वभाव।
***
दिनांक-10-8-2021
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़ (मप्र)


नागों का संसार में,
किंचित नहीं अभाव।
केंचल मात्र उतार दी,
बदला नही स्वभाव।।
***
शिव ने विषधर नाग को
बना कंठ का हार।
क्षुद्र उपेक्षित जीव को,
दिया प्रेम से तार।।
***
जुड़े हुए हैं नाग से,
कई अंधविश्वास।
नाग मणि और रूप-नर,
दो हैं इनमें खास।।
***
जहाँ नज़र पड़ती वहाँ,
है साँपों का राज।
आस्तीनों के साँप जो,
उनका नहीं इलाज।
###
नाग-पटल ये हो गया,
दोहा सब बेलाग।
'नागिन' कविता हो गई,
कविगण हो गए 'नाग'।।
***
नागिन=बैल अर्थात मजबूत
नाग=हाथी अर्थात बड़ा


रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
मौलिक एवं स्वरचित
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3-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)

     
       #नाग/साँप#
                   #1#
नाग पंचमी मनाते,नागों का त्योहार।
अगर नाग दर्शन करें,हो जाता उद्धार।।
                    #2#
शेषनाग पर रखा है,सब धरती का भार।
धर्म ग्रंथ बतला रहे,सब बेदों का सार।।
                    #3#
नाग मणी की कल्पना करते हैं सब लोग।
नाग मणी मिल जाय तो,भोगो सारे भोग।।
                    #4#
राम लखन से धनुर्धर, लंका रण मैदान।
नाग पास में बँध गये,रखा शक्ति सम्मान।।
                    #5#
एक सपेरा जाति जो,करती है आखेट।
नाग दिखाकर पालते,बे सब अपना पेट।।

#मौलिक एवम् स्वरचित#

-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)

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4-हरि राम तिवारी 'हरि',खरगापुर, टीकमगढ़ (म.प्र)

हिंदी दोहे       मंगलवार
विषय शब्द  -    नाग/ सांप

नाग पंचमी शुभ दिवस, 
पावन परम पुनीत।
नाग-सांप पूजन प्रथा, 
चली आ रही रीत।।

श्रावण शुक्ला पंचमी, 
हुआ कल्कि अवतार।
नाग पंचमी दिव्य दिन, 
यह वैदिक त्यौहार।।
🙏🙏🌹🌹🙏🙏
जय जय सियाराम

-हरि राम तिवारी 'हरि'
खरगापुर, जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश

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5-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
 
*दोहा बिषय..नाग
10.08.2021

1आजादी जिनखौं मिली,
 वह नेता कहलाय। 
नेता-नाग न भेद कछु, 
 इनमें जहर समाय।।
2-
हर फन में बिष है भरा, 
नेता के भगवान।
नाग डसै बच जात है,
नेता लेता प्रान।।
3-
नाग देव सम होत हैं,
जानत हर इंसान।
नागपंचमी पर्व को, 
पूजत सकल जहान।।
4-
शिव शंकर डारैं गले,
नागदेव की माल।
गंग बिराजीं शीश पर, 
अरु चंद्रमा भाल।।
5
 जब जब भगवन आन के, 
लिया मनुज अवतार।
नाग संग तब आन के, 
किया जगत उद्धार।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़ (म.प्र.)💐

           
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6-प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़




      हिंदी दोहे  विषय  नाग/सांप/सर्प

मन में है क्या कुटिलता, कोई सके न भांप।
शुभ चिंतक ही निकलते, आस्तीन के सांप।।

अकसर आकर साथ में,नाग सपेरे लांयं।
लोग न घर पर पूजते ,बांमीं  पूजन जांयं।।

नाग पंचमी आ गई, नागों का त्योहार।
दूध पिलाकर  पूज लो,कर लो सब सत्कार।।

जब जमुना जल जहर से, होने लगा बिहाल।
नाथ कालिया नाग को , नटवर रहे निकाल।।

मन अंधियारे कूप में,आन  डटे दो सर्प।
रह रह कर फुफकारते, दर्प और कंदर्प।।          

           ***
         -प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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7-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


       💐नाग (साँप)💐
   %%%@%%%
             *
बड़े रहस्यों से भरा,
             नागों का संसार।
भोले बाबा का बना,
          नाग गले का हार।।
              *
इक्षाधारी भी सुने,
        मणिधारी भी आज।
वर्ष हजारों तक जिये,
       इनका सभी समाज।।
               *
जब समुद्र मंथन हुआ,
          मंदराचल के साथ।
नाग वासुकी का रहा,
            उसमें पूरा हाथ।।
               *
राजा परिक्षित को डसा,
         जब तक्षक ने आय।
जनमेजय ने क्रोध में,
          नाग यज्ञ करवाय।।
               *
शेष नाग शैया बने,
            नारद करें बखान।
करें क्षीरसागर शयन,
       जहां विष्णु भगवान।।
              *
जमुना जल में था विकट,
          एक कालिया नाग।
कृष्ण अहं मर्दन किया,
         देख जहर के झाग।।
               * **


           -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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8-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)


           
धरती  धारें  शीश  पै , शेषनाग  भगवान ।
उनके ही अवतार हैं , लछमन वीर महान ।।

सागर मंथन के समय , रहा  अनूठा  योग ।
नाग वासुकी रज्जु बन , किया बहुत सहयोग ।।

नागपाश में बँधे प्रभु , ब्रम्हा जी की आन ।
दौडे़ आये शीघ्र ही , गरुड़देव भगवान ।।

शिव शंकर भगवान के , बने गले का हार ।
नागराज रहते मगन , पाया सुयश अपार ।।

भीषण बारिश हो रही , बालकृष्ण हरषाय ।
नागदेव ने फन फुला , छतरी दयी उढा़य ।।
  
      ***
 -कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
  ( मौलिक एवं स्वरचित )
             
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09-रामेश्वर प्रसाद गुप्त, बड़ागांव, झांसी


जय बुंदेली साहित्य समूह.
10/8/2021.
नाग.

नाग देव पूजें सदा, कहते वेद पुरान।
शोभित शिव जी के गले, हों प्रसन्न भगवान।।

नाग पंचमी पर्व पर, सब करते हैं ध्यान।
नाग चित्र को वह बना, कथा श्रवण दें मान।।

अगर आपने है कहीं, देख लिया हो सांप।
भय के मारे आपका, दिल जायेगा कांप।।

दुनिया में अब आदमी, समझ न पाया कोय।
अंदर से तो सर्प है, बाहर इंसा होय।।

सांप सपेरे में नहीं, अब कोई भी फर्क।
सब बातों की बखत है, बात-बात में तर्क।।

***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)

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10-सीता राम तिवारी दद्दा टीकमगढ़(मप्र)

      *दोहा..*नाग*
🙏🏻:
नेता नागहिं से विकट,
जाके फनहिं अनेक।
काटे की न दवा कोइ,
मर जाबै हर एक।।
🙏🏻: 
लखन अंश है नाग के, 
राम काज कर लाय।।
लंका जीती वध करे, 
रहे राम हरसाय।।
***
-सीताराम तिवारी 'दद्दा', टीकमगढ़

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11-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)

🌲हिन्दी दोहा 🌲
बिषय-नाग/सांप 
            1
शेषनाग कंगन बनें 
वाधे गये शिव हाथ
जन्मीं तीनो बेटियां 
व्याही किनके साथ
            2
शेषनाग अवतार थे
इन्द्र जीत बलवान 
क्यों शेष को पद लगो
किन ने करे निशान 
            3
एक साॅप को देखलो 
बलसाली बलवान 
धरे पृथ्वी शीश पर
वेद शास्त्र प्रमान 
           4
गाँव जिला और खेत पे
भरें ज़हर के घाव 
दाव परे छोड़त नहीं 
देख लेत जब दाव 
            5
इनके गुण तुम जानलो 
नागिन और जे साँप 
तरह तरह के होत है 
बचके चलिवो आप 
***
गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा( टीकमगढ़)

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12--परम लाल तिवारी,खजुराहो
##नाग#
1
नाग पंचमी पर सभी,पूजें मिलकर नाग।
नहलायें ले क्षीर को,काल सर्प भय भाग।।

2
अपनी दोनों जीभ से,रटते हरि का नाम।
दो हजार नव नाम नित,जपें शेष अविराम।।

3
वासुकी शिव के कंठ में,भूषण के सम सोह।
नाग उन्हें हैं बहुत प्रिय,रखते अपना छोह।।

अष्ट नाग पूजें सभी,भरकर हिय उत्साह।
अभय करें हमको सदा,मिटे सकल उर दाह।।

5
आज मनुज भी कर  रहे, नागों जैसे काम।
मुख से जहर निकालते,बने क्रोध के धाम।।

***
-परम लाल तिवारी,खजुराहो

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13-संजय श्रीवास्तव (मबई, दिल्ली)
*हिंदी दोहे*
      विषय - *नाग /साँप*

*१*
*लाठी भी टूटे नहीँ*,
     *साँप आप मर जाय*।
हींग लगे ना फिटकरी,
     रँग चौखा हो जाय।।
*२*
*आस्तीन के साँप* ही 
      करते बंटाढार।
देश भक्ति की आड़ में,
    चला रहे व्यापार।।
*३*
देख तरक्क़ी मित्र की,
    फुफकारे अभिमान।
*साँप कलेजा लोटता*,
     जी होता हलकान।।
*४*
*दूध पिलाया साँप को*
      बिना किए परवाह।
दानव को मानव समझ,
          देते रहे पनाह।।
*५*
कारण किसी विवाद का,
      खुद ही खोजो आप।
निराधार होता नही,
    *बिन रस्सी का साँप*।।
 
*६*
साँप को ज़िंदा देखकर,
      करते उस पर वार।
मंदिर में जा पूजते,
       चढ़ा दूध की धार।।

       संजय श्रीवास्तव, मवई
       १०/८/२१😊दिल्ली


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14- डॉ रेणु श्रीवास्तव,भोपाल (मप्र)


माटी के महदेव की , महिमा अपरम्पार ।
मंदिर में रख पूज लो , संकट में हँथियार ।।

सावन में महदेव की , पार्थी पूजा होय ।
आएं गौरा साथ में , रिद्धि – सिद्धि सब कोय ।।

खोले तीजी आँख जब , क्रोधित हो महदेव ।
क्षरित काम तब हो गए , भष्मित जग स्वयमेंव ।।

महादेव का जो करे , स्तुति सुबह और शाम ।
फलीभूत होते सभी , उसके बिगड़े काम ।।

जहर हलाहल का पिया , महादेव नें घूंट ।
धरती का कल्याण कर , पाए भक्ति अटूट।।
***

-डॉ रेणु श्रीवास्तव,भोपाल (मप्र)

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15- राम विहारी सक्सेना' राम', खरगापुर(टीकमगढ़)


दिनाँक 10/08/21
1-
कद्रू सुरसा पुत्र हैं, सर्प नाग विषधार।
शेषनाग भू सिर धरें, सर्प शंभु के हार।।

2  
नृप पारीक्षित डँस लियो, तक्षक श्रृंगी शाप।
जनमेजय अहियज्ञ में, स्वाहा भये बहु सांप।।

3. 
कालिय कंबल बासुकि, शंखपाल अरु शेष ।
पद्मनाभ धृतराष्ट्र अनंत अष्टनाग हैं विशेष।।

4.
तन मन वाणी रूप से, तीन भांति के सांप। 
पहले भू पर रैंगते, अपर मनुज तन आप।।

5. 
वाणी का विष खरा है, बैठे उर गंभीर।
विषधर की औषधि भली, वाणी घुने शरीर।।

*****
-राम बिहारी सक्सेना "राम", खरगापुर

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16- अभिनंदन गोइल, इंदौर (मध्यप्रदेश)-

विषय- नाग/ साँप
विधा - दोहा छंद

इच्छायें  नागिन हुईं, विकट काम संघात।
छुपा सँपेरा  हृदय में,बीन बजे दिन रात।।

अहंकार के फन कई,  शेषनाग जस रूप।
क्रोध उसी से उपजता, छूटे आत्मस्वरूप।।

आज सियासी खेल में, फुफकारे  इंसान।
नाग-साँप सब एक हैं ,जन-गण है हैरान।।

इक दूजे को डस रहे, और न  दूजा काम।
नहीं रही इंसानियत, 'नाग' व्यर्थ बदनाम।।

इंसानों के  शहर में , सब   जहरीले -  साँप ।
हे मणिधर!वन लौट जा,खतरे को ले भाँप।।

मौलिक,      स्वरचित   - अभिनन्दन गोइल, इंदौर
***      
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17-  प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद(हरियाणा)



दोहे
              नाग/सांप

दिखाई अचानक पड़े कहीं किसी को सांप
जाए उसका तुरत ही,तन मन अंतस कांप।

आया करते गांव में ,दिखा सपेरे खेल
लड़े नेवला सांप से, होती ठेलमठेल।

ले त्रिशूल को हाथ में,गले लपेटे सांप
महादेव तांडव करें,जाते दानव कांप।

पत्थर मारें हर दिवस ,यह भी बड़ा अजूब
नाग पंचमी नाग को,दूध पिलाते खूब।

कई विदेशी मानते, सांपों का यह  देश
बन गुरुवर अब विश्व का दे जग को संदेश।

               ***

      -प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद

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18- अवधेश तिवारी, छिंदवाड़ा (म.प्र.)

दुर्जन से जादा भलो,
है जहरीलो साँप ।
पाँव धरे पे अहि डसे,
दुर्जन आपइआप।।
***
अवधेश तिवारी, छिंदवाड़ा

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19- गोकुल प्रसाद यादव,बुडे़रा,टीकमगढ़ (मप्र)


1
साँप डसै तौ बँद लगा,अस्पताल में जाव।
झाड़-फूँक के फेर में,प्रान न कोउ गमाव।।
2
दीमक,चूहा चाट रये,खेत,खरेंना,बाग।
साँचौ इतै किसान कौ,एक दोस्त है नाग।।
3
का अंतर है अपन में? हम नागन तुम नार।
तुम खा रईं हौ गरभ में,हम होकें लाचार।।
4
माता रो रइ पौर में,द्वारें रो रव बाप।
भीतर बेटा लड़ रहे,जैसें नौरा साँप।।
5
हमें न मिलती गुलामी,ना मिलतो संताप।
अगर न होते देश में,आस्तीन के साँप।

मौलिक एवं स्वरचित।
गोकुल प्रसाद यादव,बुडे़रा,टीकमगढ़ मप्र

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20- रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट
🌹 दोहे- नाग/सांप🌹

विषधर की यदि दौड़ हो, नेता आगे धाय।
नेता काटा ना बचे, सांप डसे  बच जा य।१

सांप सपेरे ढूंढते, बजा बाग में बीन ।
आस्तीनों में छिपे जो ,पकड़े कोई प्रवी न।२

 देते वोट चुनाव में, कभी सांप कब नाग।
यह तो काटेंगे भला , गावो दुख के राग ।३

नागपंचमी लक्ष्य है ,संरक्षित हों जीव।
 आप बचेंगे दया से, पड़े सुकृत की नींव।४

नाग पूजते पंचमी ,सावन शुक्ला माह।
 दैवी ना ग प्रजाति है, पयः पान की चाह ।५
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक

 रामलाल द्विवेदी 
कर्वी चित्रकूट
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18- पटल समीक्षा-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)








245-श्री जयसिंह जय हिंंदी दोहे-नाग,10-8-2021


#मंगलवारी समीक्षा#नाग/साँप#
#दिनाँक 10.08.2021#
#समीक्षक--जयहिन्द पलेरा#
*************************
सबसे प्रथम माँ भगवती बीणा बादिनी के चरणों में नत मस्तक
तथा आप सभी मनीषियों को 
नमस्कार करता हूँ।
आज का बिषय नाग /साँप एक ऐसा बिषय है कि इस पर बहुत कुछ लिखा जा। सकता है और विद्वानों ने अपनी मति अनुसार कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा जो संभव था। पटल पर मनीषीगण अब अपनी योग्यता का परिचय अपनी लेखनी से देते हैं सभी का बन्दन अभिनंदन।अब प्रथक प्रथक सबके बमीठों के दर्शन करते हैं 
जिनमे कौन कौन से नाग किस दृष्टि से देखे गये हैं।


#1#श्री अशोक कुमार पटसारिया नादान जी लिधौरा.....
आपने 6 नाग मणियाँ पटल के सुपुर्द कीं जिनमें नागों के संसार का रहस्य,नाग शिव जी का हार,इच्छाधारी मणिधारी नाग,नाग बासुकी से समुद्र मंथन, तक्षक का परीक्षित को डसना,जन्मेजय का नाग यज्ञ,बिष्णु का शेष नाग सैया पर आराम,का बर्णन किया गया  है।आपकी भाषा सरल सुगम भाव प्रवल शिल्प महान शैली दर्शनीय है।आपका सा वन्दन।

#2#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैने पाँच नाग मणियाँ पटल पर भेंट कीं जिनमें नागपंचमी शेषनाग पर धरती का भार,नागमणि नागपास में राम लखन का बँधना,सपेरों द्वारा नाग पालन का बर्णन किया गया है।
भाषा भाव शिल्प शैली की समीक्षा आप सभी मनीषीगण कर सकते हैं।आप सभी का स्वागत।

#3#श्री प्रदीप कुमार खरे मंजुल जी टीकमगढ़......
आपने 5 नाग मणियों का अनुसंधान किया।जिनमेंनेता नाग में भेद का् अभाव,नेता के जहर का नाग से भारीपन,नागपंचमी में नाग पूजन,शिवजी का वर्णन,भगवान के अवतार के साथ नाग और देवों का पदार्पण,को चिन्हित किया गया है।
आप भाषा सोन्दर्य के विशेषज्ञ हैं।आपकाशैली चातुर्य दर्शनीय है।आप भावों के कलाकार तथा शिल्प के ज्ञाता हैं।आपका शत शत वन्दन।

#4#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी बुड़ेरा......
आपने 5 नाग मणियाँ निस्तारित कीं जिनमें ,साँप डसने पर अस्पताल की सलाह, नाग का चूहे का दुश्मन निरूपण,नाग और मानव का भक्षण,नैवला और साँप की तरह पिता पुत्र की लड़ाई,आस्तीन के साँपों का बर्णन किया गया है।
भाषा सरल चिकनी मधुर,भावों का पेंनापन,शैली सुन्दरता शिल्प की सहजता विद्यमान है।आपका सादर बन्दन।

#5#श्री सीताराम तिवारी दद्दा जी टीकमगढ़.......
आपने 2 नागमणियों का प्रादुर्भाव किया जिनमें नाग से नेता के जहर की तीब्रता,नाग से लखन अवतार का बर्णन किया है।
आप भाषा के कारीगर,भावों के जादूगर,शैली की मधुरता और शिल्प दर्शन के प्रणेता हैं।
आपका बंदन और अभिनंदन।

#6#श्री एस.आर.सरल जी टीकमगढ़.........
आपने 5 नाग मणियों का आविष्कार किया जिनमें शिवजी का भाँग भक्षण, मरे नाग की पूजा और जिन्दा का बध,जिंदानाग बध प्रचलन,नागराज की उलझन का निरूपण किया गया है।आपकी भाषा जोरदार भाव मजबूत हैं।
शिल्प सुन्दरता दर्शनीय है एवम्
शैली गतिशील होंना चहिये।
आपका बारंबार नमन।

#7#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु बड़ागांव झाँसी........
आपकी पाँच नागमणियों में नागपूजन,नागपंचमी पूजन,नाग भय इंसान का स्वरूप,साँप सपेरे में समानता का दर्शन कराया गया है।आपकी भाषा लच्छेदार,भाव पेंनै शिल्प सुन्दर और शैली  मजेदार रहती है।आपका सादर नमन।

#8#श्री राम गोपाल रैकवार जी टीकमगढ़.........
आपने 4 नाग मणियाँ तरासीं जिनमें नाग की केंचुली,शिवजी का नाग को सम्मान, नागमणि और इच्छाधारी नाग का अंधविश्वास, अस्तीन के सांपों की अधिकता का बर्णन किया गया है।आप भाषा के जादूगर ,भावों के निष्पादक,शिल्प के कलाकार एवम् शैली के कलमकार हैं।
आपका शत शत बन्दन।

#9#श्री प्रदीप कुमार गर्ग जी.....
आपकी 5 नाग मणियों में साँप का भय ,नाग और नेवला का युद्ध,शिवजी का नाग धारण,
बैसे साँप को मारना पर नागपंचमी को पूजन.भारत को साँपों का देश कहा गया है।
आपकी भाषा सार्थक भाव गहरे,शैली कमक शिल्प जाल  हैं।
आपका बंदन अभिनंदन।

#10#श्री परम लाल तिवारी जी खजुराहो..........
आपकी 5 नागमणियाँ  दर्शनार्थ पटल पर प्राप्त हुँयीं।जिनमेंनागपंचमी पूजन,शेषनाग द्वारा जाप,शिवजी का नाग धारण
अष्टनाग पूजन,मानव द्वारा नागं कर्म का बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा चमत्कारी, भाव दर्शन गहराई मय,शैली गेय,शिल्प 
चमक श्रेष्ठ है।
आपके चरणौं में नत मस्तक।

#11#श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़......
आपके द्वारा 2 नागमणियों पटल पर पाईं गयीं जिनमें अस्तीन के साँप और नागपंचमी पूजन का बंर्णन है।
आप भाषा भाव शिल्प शैली के धनी है।
आपका बारंबार मंगल सहित अभिनंदन।

#12#श्री संजय श्रीवास्तव जी मवयी हाल दिल्ली.......
आपकी बहुमूल्य मणियों में कहावतों और मुहावरों का अनुपम प्रयोग किया गया है।जिनमें साँप का मर्दन,अस्तीन के साँप, साँप का कलेजे पर लोटना,साँप का दूध पिलाना,बिना रस्सी का साँप,साँप मारना एबम् पूजनामुहबरों का अनूठा प्रयोग किया गया है।
आप भाषा के जादूगर भावो के संग्रह कर्ता शिल्प के सौदागर और शैली के रचयिता हैं।इपको बरंबार अभिनंदन।

#13#श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी टीकमगढ़.......
आपके द्वारा अनुसंधानित 5 नाग मणियों में अस्तीन के साँपों का निकलना,सपेरों द्वारा नाग दर्शन,नाग पंचमी पूजन,कालियानाग बर्णन,दर्प और 
 कंदर्प दो गुणो का साँप के साथ संयोजन किया गया है।
आपकी मँजी हुयी भाषा में भावों का समाबेश शिल्पमय नवीन शैली के साथ होता है।आप को सादर नमन।

#14#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर.......
आपकी 5 नाग मणियों में शेषनाग का धरा धारण ,लखन का शेषनाग अवतार, नाग रज्जु से समुद्र मंथन,नागपास बर्णन,शिव
शंकर का नाग धारण,श्रीकृष्ण जन्म पर बासुदेव पर नाग छतरी धारण,का अनुपम बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा बुनदेली मिश्रित भावपूर्ण,शिल्प कौशल सराहनीय शैली चमकदार होती है। आपका हार्दिक अभिनंदन।

#15#श्री अभिनंदन कुमार गोयल जी इन्दोर.....
आपके द्वारा मंडित 5 नाग मणियों में इच्छाऔं की नाग संज्ञा,अहंकारी शेषनाग, नाग-साँप से जन गण की परेशानी, व्यक्तियों का परस्पर नाग की तरह डसनाएवम् इंसानी साँपों का बर्णन किया है।
आपकी भाषा बोधमयी,भाव स्पर्शी लोच शैली चलचित्रीय शिल्प गूढ प्राप्त होते हैं।
आपका हार्दिक अभिनंदन।

#16#श्रीहरिराम तिवारी जी हरि खरगापुर........
आपके द्वारा शोधित 2नाग मणियों में नागपंचमी बर्णन,श्रावण शुक्ला पंचमी को कल्कि अवतार का बर्णन हुआ है।
आप संयत भाषा सुन्दर भाव शैली रचनात्मक,और शिल्प लावण्य अति सुन्दर होता है।
आपके पद बंदन सहित हार्दिक अभिनंदन।

#17#श्रीगुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा......
आपके द्वारा अनुसंधानित 5 नाग मणियों मेंशिव के नाग कंगन,शेषनाग अवतार, पद धारण,शेषनाग धरा धारण,मानव मैं साँप सा जहर,नाग नागिन के जहर से सुरक्षा की सीख,बताई गयी है।
आपकी भाषा मधुर भाव प्रखर,शैली रचनात्मक शिल्प सुन्दर हैं ।आपका बार बार बंदन।

#18#डा.रेणु श्रीवास्तव जी भोपाल.........
आपकी शोधित 4 नाग मणियों में
तक्षक नाग बर्णन,नागपंचमी को पहलवानों का शक्ति प्रदर्शन ,नाग नागिन जोड़ो का बर्णन,और अस्तीन के साँपों का बर्णन किया गया है।आपकी भाषा लच्छेदार,भाव गहरे,शिल्प सुन्दर शैली रचनात्मक है।
आपके पद बंदन।
#19#श्री रामलाल जी द्विवेद्वी प्राणेश............
आपके द्वारा अनुसंधानित 5 नाग मणियों मेंनैता और नाग की समानता,सपेरों द्वारा साँपों का अनुसंधान,नेताओं का साँप की तरह लक्षण,नागपंचमी पूजन,का बिधिवत बर्णन किया गया है।
आपकी भाषा बेजोड़,भाव लाजबाब,शिल्प एवम् शैली सराहनीय है।
आपका बार बार बंदन।

उपसंहार.....
इस तरह आज सभी विद्वानों ने एक से बढकर एक दोहे नाग से संबंधित पटल पर डाले गये।यदि त्रुटिबस किसी मनीषी की रचना समीक्षा में बंचित हो गयी हो तो मुझे अपना समझ कर छमा करें।

समीक्षाकार......

आपका अपना समीक्षक.....

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0  6260886596#
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                             नागमणि
                 (हिन्दी दोहा संकलन) ई_बुक

          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

         ई_बुक प्रकाशन दिनांक 12-08-2021
            टीकमगढ़ (मप्र)भारतनागमणि
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