Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 31 जनवरी 2023

अहिंसा हिंदी दोहा संकलन

[31/01, 8:14 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन मंगलवार दि०३१_०१-२०२३ विषय(१२२)अहिंसा।
प्रभु सद् चिद् आनन्द के, सुखद अमित भण्डार।
जिन्हें अहिंसा है प्रिय, उससे करते प्यार।।१।।
जड़ चेतन मैं व्याप्त वह, घट घट करते वास।
जिसके  मन रह अहिंसा, उस हिय करें निवास।।२।।
तिरस्कार भी प्राणि का, कभी करें मत भूल।
इसे अहिंसा  मानिये,चुभें न हिय में शूल।।३।।
जीवात्मा  आत्मा परम, दोनों एक समान।
सदा अहिंसा मन वसे, यह ही कर्म महान।।४।।
"हरिकिंकर"
[31/01, 8:59 AM] Jai Hind Singh Palera: #अहिंसा पर हिन्दी दोहे#

                    #१#
धर्म अहिंसा  है बड़ा,सुखी रखे संसार।
सादा जीवन हो सदा,राखो उच्च बिचार।।

                    #२#
बापू ईसा बुद्ध  जी,महावीर  के पास।
राम कृष्ण की धरा पै,रही अहिंसा खास।।

                    #३#
सत्य अहिंसा धीरता,करुणा की रस धार।
वीर बृह्मचारी रहो,पाओ पावन प्यार ।।

                    #४#
कर्म अहिंसा  कीजिए, मर्म करो सत्संग ।
जीवों की रक्षा करो,जीवन रहे उमंग।।

                    #५#
सत्य अहिंसा  धीरता, गुण अपनायें संत।
भारत के बापू बने,सावरमती महंत।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[31/01, 9:17 AM] Subhash Singhai Jatara: सभी श्रेष्ठ दोहे 👌
बस दूसरे दोहे का तीसरा चरण 122 में चला गया है 
धरा की जगह भूमि , करने पर विचार कर सकते है 
सादर भैया
[31/01, 9:29 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *बिषय-अहिंसा*
31.01.2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
******************
बढ़ा अहिंसा से नहीं, 
जग में कोई धर्म। 
जीवन उसका है सफल, 
समझ गया जो मर्म।।
*
मार्ग अहिंसा प्रेम का,
चलियौ जा पर रोज।
जो नर भटका मार्ग से,
मिटे उसी का खोज।।
*
सत्य-अहिंसा प्रेम की,
मूरत देखन चाव।
मेरी मानौं तो सुनौ,
धाम बगेश्वर जाव।।
*
हिंसा जो नरहीं करै,
नरक लोक हो धाम।
राह अहिंसा जो चले,
अवश मिलेंगे राम।।
*
पाठ अहिंसा का पढ़ो,
रखो प्रेम की चाह। 
महावीर बतला रहे, 
हमें धर्म की राह।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
[31/01, 10:19 AM] Asha Richhariya Niwari: प्रदत्त शब्द/अहिंसा
🌹 सत्य अहिंसा प्रेम ही, भारत की पहचान।
यही सनातन संपदा,मूल धर्म की जान।।
🌹
बापू का संदेश है, सत्य अहिंसा प्रेम।
मानवता जीवित रहे, यही धर्म ओ नेम।।
🌹
जिओ और जीवें सभी, ऐसा बने समाज।
रहें अहिंसा भाव से,तभी सफल हो काज।।
🌹
महावीर ओ बुद्ध ने,दिया यही संदेश।
सत्य अहिंसा प्रेम ही,परमो धर्म विशेष।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏🌹
[31/01, 10:29 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 हिंदी दोहे 🥀
     (विषय- अहिंसा)

दयावान धर्मात्मा,
    त्यागी औ गुणवान।
धर्म अहिंसा मानते,
    साँचे संत सुजान।।

सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह,
       ब्रम्हचर्य, अस्तेय।
स्वाध्याय, संतोष, व्रत,
     चित्त वृत्ति कस लेय।।

श्रेष्ठ आचरण शुद्ध मन,
     मुक्ति मार्ग सोपान।
सरस अहिंसा के वृती,
      का निश्चय कल्यान।।

संकट है सबसे बड़ा,
     आज देश में एक।
दया, अहिंसा कम रही,
     सोया वोध विवेक।।

सत्य अहिंसा के लिए,
     जो था जग विख्यात।
जिंदा पशुधन काटकर,
      करे मांस निर्यात।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[31/01, 10:35 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
         विषय ,, अहिंसा,,
*****************************
चले अहिंसा का लिए , नेमिनाथ संकल्प ।
त्यागे प्रेम प्रमोद पद , जप तप मात्र विकल्प ।।
*******************************
अडिग अहिंसा आस्था , बनी मूल सिद्धांत ।
मांसाहार विकार तज , लिखे "प्रमोद" वृतांत ।।
*******************************
शिवि नरेश दानी हुए , पड़ी अहिंसा जान ।
दिया मांस निज देह का , जीव दया पहचान ।।
********************************
महा आत्मा जग विदित , रही अहिंसा धार ।
आजादी सौंपी हमें , बापू बने हमार ।।
*******************************
लिए अहिंसा चल पड़ी , मानवता संदेश ।
जिओ हमें जीवित रखो , यही सरल उपदेश ।।
********************************
दीप अहिंसा का जले , सबके हृदय "प्रमोद" ।
वात्सल्य प्रमुदित रहे , हर माता की गोद ।।
*******************************
अगर अहिंसक हो गया , अब "प्रमोद" संसार ।
पशु जीव जंतु कहैं , धन्य धन्य करतार ।।
********************************
        ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
        ,, स्वरचित मौलिक,,
[31/01, 11:16 AM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय अहिंसा

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

1  सत्य *अहिंसा* प्रेम की, 
   हो जाती है जीत। 
   बापू जी से सीख ली, 
   सबने  सबसे प्रीत।। 

2 हिंसा कोई ना करो, 
    ये होता है पाप। 
    करो *अहिंसा* प्रेम से, 
    खुश होंगे प्रभु आप।। 

3 करी *अहिंसा* राम ने, 
   अवध पुरी में देख। 
   पूजे जाते है सदा, 
   रामायण का लेख।। 

4  महावीर स्वामी सदा, 
    करें *अहिंसा* बात। 
    सब उनका आदर करें, 
    बेटी. बेटा तात।। 
    
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

                      डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
                      सादर समीक्षार्थ 🙏
                      स्वरचित मौलिक 👆
[31/01, 11:17 AM] Gokul Prasad Yadav Budera: हिंदी दोहे,विषय-अहिंसा🌹
***********************
आज अहिंसा का नहीं,
           जग में तनिक प्रभाव।
इसीलिए डगमग दिखे,
          सकल विश्व की नाव।।
***********************
पावन भारत भूमि पर, 
            जन्मे   जितने   धर्म।
सभी अहिंसा मार्ग का,
            बतलाते  शुचि मर्म।।
***********************
स्वार्थ सदा हिंसा लहे,
            लहे  अहिंसा  त्याग।
स्वार्थ दहकती आग है,
            त्याग महकता बाग।।
***********************
तन मन वाणी कर्म से,
             पर का हो न अनर्थ।
कहें अहिंसा का यही,
        सुधिजन व्यापक अर्थ।। 
***********************
धर्मस्थापन  युद्ध  हो,
           अथवा   कोई   और।
नहीं अहिंसा का वहाँ,
           रहता  किंचित  ठौर।।
***********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[31/01, 11:53 AM] Subhash Singhai Jatara: हिंदी दोहा दिवस , विषय अहिंसा 
(विशेष-- मैं अहिंसा को  धर्म के सिद्धांतानुरुप
 परिभाषित करने का प्रयास कर रहा हूँ )

नहीं   अहिंसा  जानना , होती   है     डरपोक |
प्रतिरोधी हिंसा सहज , कर सकता यह लोक ||

भाव वचन निज के  करम,  और सहज व्यापार |
यहाँ   अहिंसा   पालना ,   कहे   धर्म  का सार ||

दुश्मन  आए   सामने , रखे   देश  पर  खोट |
यहाँ अहिंसा त्यागकर , करना उस  पर चोट ||

नहीं   अहिंसा  बोलती ,    हिंसा   है   स्वीकार |
देश  धर्म की आन पर, उठ  सकती   तलवार ||

प्रतिरोधी   हिंसा  जहाँ ,  वहाँ  अहिंसा  शान |
तथ्य सही रखता यहाँ , और  धर्म  का  गान ||

आए  भारत भूमि पर , जितने   भी  अवतार |
किया अहिंसा भाव से   ,  दुष्टों   का   संहार ||

कायरता   मत   जानिए , जहाँ  अहिंसा चित्र  |
आभूषण यह वीर का , समझो     मेरे   मित्र  ||

अनाचार  दुश्मन करे  , हम जपते प्रभु   नाम |
नहीं अहिंसा यह कहे , कर ले   आप   विराम ||

सारांश - धर्मानुसार , संत और साधु को - भाव हिंसा - वचन हिंसा - व्याापार हिंसा - प्रतिरोधी हिंसा , यह चारों हिंसा त्याज्य है 

पर  धर्म के अनुयायी गृहस्थ को - भाव - वचन - व्यापार हिंसा त्याज्य है , पर अनाचारी से प्रतिरोधी हिंसा ग्राह है | प्रतिरोधी हिंसा में अहिंसा धर्म की रक्षा का प्रतिनिधित्व होता है |

सुभाष सिंघई
[31/01, 1:10 PM] Subhash Singhai Jatara: सुंदर भाव है , संजय जी 
पहला दोहा , दूसरा चरण , =12 हो गया है , कारण कलन से भटकाव 
"नहीं दूसरा और " हो सकता है 

पांचवा दोहा , दूसरा चरण 
न हो सोच विचार = 10 मात्रा ,व एक वर्ण से चरण का प्रारंभ नहीं होता है 
करिए सोच विचार "
कर सकते है 
सादर
[31/01, 1:10 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (म प्र)३१/०१/०२३
बिषय-"अहिंसा"हिंदीदोहा (१२२)
१=दया धर्म तप त्याग में ,"दाँगी" हैं  तल्लीन ।
और अहिंसा के धनी ,रहें सदा अासीन  ।।
२=बनो अहिंसा के धनीं ,संतों का हो संग ।                               पर जीवों कि दयाकरो, कर"दाँगी"   सतसंग ।।
३=पारब्रहम को चाहिये ,तो हो अहिंसा  बान ।
जीव जंतू जानवरों , कर "दाँगी" 
कल्याण  ।।
४=बनो  अहिंसा के धनी ,होय मानवी  ध्येय  ।
हिंसक त्यागो भावना , सबसे होए सनेह  ।।
५=बापू अहिंसा बान थे,राष्ट्र पिता
     कहलाय  ।
    "दाँगी" इनसे  सीख  लैं , सावरमती सुहाय ।।
६=तन मन धन अर्पण करो, बनो 
    ना हिंसा बान ।
"दाँगी" अहिंसा बान हैं ,दया धर्म ईमान  ।।
७=लाख चुरासी योंनियाँ ,मानव  मिला  शरीर ।
जियें  अहिंसा धर्म  से ,"दाँगी" है
गम्भीर  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[31/01, 2:04 PM] Subhash Singhai Jatara: आदरणीय निम्न तरह हम कुछ परामर्श दे रहे है 
सादर 
१=दया धर्म तप त्याग में ,"दाँगी" हैं  तल्लीन ।
और अहिंसा के धनी ,     रहें सदा  आसीन  ।।

२=बनो अहिंसा के धनीं ,संतों का हो संग ।                                पर जीवों कि दयाकरो, कर"दाँगी"   सतसंग ।।

दया करो सब जीव पर ,  दाँगी रखो उमंग ||

३=पारब्रहम को चाहिये ,    बनो अहिंसावान ।
जीव जंतु संसार के   , कर "दाँगी"  कल्यान   ।।

४=बनो  अहिंसा के धनी ,होय मानवी  ध्येय  ।
हिंसक त्यागो भावना , सबसे  करो    सनेह  ।।

५=रहे अहिंसा बान थे,राष्ट्र पिता    कहलाय  ।
    "दाँगी" इनसे  सीख  लैं , सावरमती सुहाय ।।

६=तन मन धन अर्पण करो, बनो न हिंसा बान ।
सभी अहिंसा बान बन , दाँगी  रख  ईमान  ।।

७=लाख चुरासी योंनियाँ ,मानव  मिला  शरीर ।
जियें  अहिंसा धर्म  से ,"दाँगी" है गम्भीर  ।।

मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[31/01, 2:18 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *हिंदी दोहा दिवस*
           विषय - *अहिंसा* 

*१*
धर्म अहिंसा से बड़ा,
 नहीं दूसरा और।
गाँधी जी सिखला गए,
    राष्ट्रपिता सिरमौर।।

*२
सत्य अहिंसा प्रेम का,
     हो जग में विस्तार।
कटे क्रोध नफ़रत मिटे,
     रहे न अत्याचार ।।

*३*
चलें अहिंसा ओढ़कर,
     मन में हिंसा भाव ।
छुप-छुप कर देते सदा,
      मन को गहरे घाव ।।

*४*
करते हिंसा स्वयं से,
     ऐसे भी हैं लोग।
बात अहिंसा की करें, 
     दिखे न मन के रोग।

*५*
हिंसा का ना भाव हो,
     ना हो कलुष विचार।
चलो अहिंसा की गली,
  मन में भरकर प्यार।।

  *संजय श्रीवास्तव* मवई
    ३१-१-२३😊दिल्ली
[31/01, 2:27 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिन्दी दोहै- बिषय - अहिंसा*
*1
जहाँ अहिंसा   भाव है , कर्म  करे उपकार |
अच्छाई की राह का , #राना समझो सार ||

*2*
परम धर्म ही जानिए , सत्य   अहिंसा   गान |
#राना पालन जो करे , मिलता उसको मान ||
*3*
#राना करुणा उर रहे , जीव दया के भाव |
वहाँ   अहिंसा   जानिए , है  वैतरणी नाव  ||
*4*
जीवन में   उत्कर्ष नित , #राना  है आनंद ।
जहाँ अहिंसा मन रहे ,  वहाँ पुण्य‌ मकरंद  ||
*5*
सदा  अहिंसा पथ चले  , गांधी के सिद्धांत |
आजादी #राना मिली , कष्ट   हुए  विश्रांत ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[31/01, 2:33 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी दोहे  विषय   अहिंसा

हिंसा करें न भूल के,प्राणी  सभी  समान।
श्रेष्ठ अहिंसा धर्म है, सबसे  बड़ा  महान।।

सत्य अहिंसा से मिला, हमको  यह जनतंत्र।
गोरों को झुकना पड़ा, फूंका  ऐसा  मंत्र।।

जैन धर्म की तो टिकी, इस पर ही बुनियाद।
सत्य अहिंसा अपरिग्रह, करें न कभी विवाद।।

सत्य अहिंसा भावना , जीवन  में अपनायँ।
मनसा वाचा कर्मणा, कष्ट  नहीं  पहुँचायँ।।

सभी  अहिंसा मार्ग को, बतलाते  हैं ठीक।।
यद्यपि चलना है कठिन,  कभी  न  छोड़ें  लीक।।

        प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[31/01, 3:23 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (म प्र)३१/०१/०२३
बिषय--"अहिंसा" हिंदी दोहा (१२२)मो०=7612264326
1=दया धर्म तप त्याग में ,"दाँगी" हैं   तल्लीन ।
और अहिंसा के धनी ,रहें सदा आसीन  ।।
२=बनों अहिंसा के धनी ,संतों का हो संग  ।
दया करो सब जीव पर ,"दाँगी" रखो  उमंग ।।
३=पारब्रहम को चाहिये ,बनो अहिंसावान ।
जीव जंतु संसार के ,कर "दाँगी" कल्यान ।।
४=बनो अहिंसा के धनी ,होय मानवी ध्येय ।
हिंसक त्यागो भावना ,सबसे करो सनेह  ।।
५=रहे अहिंसा बान थे, राष्ट्र पिता 
  कहलाय ।
"दाँगी" इनसे सीख लैं , सावरमती सुहाय  ।।
६=तन मन धन अर्पण करो,बनो न हिंसा बान ।
 सभी अहिंसा बान बन,"दाँगी" रख ईमान ।।
७=लाख चुरासी योंनियाँ ,मानव मिला शरीर ।
जियें अहिंसा धर्म से ,"दाँगी" हैं गम्भीर  ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[31/01, 5:02 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: दोहा सृजन के वारे में अपनों से अपनी बात 🙏
*************************************
दोहा के विषम चरण की यति जब हम आत्मा, आस्था,रास्ता,वास्ता, ऊर्जा,ब्राह्मी, भार्या, नाश्ता,दोस्ती, वार्ता, बाल्टी, डेल्टा इत्यादि शब्दों से करते हैं तो बोलने में ये शब्द पाँच मात्राओं का समय लेकर चरण को गेय तो बना देते हैं, परन्तु मात्रा विधान के अनुसार इन या इन जैसे सभी शब्दों में चार मात्राएंँ ही गिनी जाती हैं। इसीलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग चरण के प्रारंभ में अथवा बीच में किया जाना उचित रहता है। ऐसा करने से दोहा छंद सभी दृष्टियों से उत्कृष्ट रहता है।एक उदाहरण से इसे और अच्छी तरह से समझा जा सकता है 🙏
*"वह भूलेगा रास्ता,जो होगा अनभिज्ञ।"*
यह गाने में सही इसलिए प्रतीत हो रहा है, क्योंकि हम रास्ता को रासता बोल रहे हैं। जबकि मात्राएंँ 13 की बजाय 12 ही हैं।अब इसका दूसरा रूप देखते हैं। अर्थात रास्ता शब्द को प्रारंभ में रखकर-
"रास्ता भूलेगा वह,जो होगा अनभिज्ञ।"
अब हमें स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि प्रथम चरण में एक मात्रा कम है।अब मात्रा की पूर्ति करके देखते हैं -
*"रास्ता भूलेगा वही,जो होगा अनभिज्ञ।"*
(वह=2,वही=3)
कुछ और उदाहरण देख लेते हैं -
वह पावन है आत्मा, जो है हरि के पास।
आत्मा पावन है वही, या
पावन आत्मा है वही, जो है हरि के पास।
ढँग से करिए नाश्ता,   (ढँग=2) 
नाश्ता करिए ढंग से,
करिए नाश्ता ढंग से,   (ढंग=3)
सबसे रखिए वास्ता,    (सबसे=4)
वास्ता रखिए सर्व से,
रखिए वास्ता सर्व से,   (सर्व से=5)
निवेदन यही है कि ऐसा प्रयोग करने से हमारे दोहे हर कसौटी पर उत्कृष्ट रहेंगे।
***************************
सादर 🙏
गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[31/01, 6:41 PM] Swami Prasad Shriwa Stabs Chatrepur1: हिन्दी दोहे - विषय- "अहिंसा"
  दिनांक- 31/01/2023
   
  महावीर  अरु  बुद्ध  ने, दिये  मंत्र  अनमोल  ।
  सत्य-अहिंसा राह चल, पियो मधुर रसघोल ।।

  किया अहिंसक पथ गमन, सत्याग्रह दे नाम  ।
  जीत  लिया  बापू  सहज,  स्वतंत्रता  संग्राम ।।

  अस्त्र - शस्त्र  हिंसा  दमन,  देते   दुष्परिणाम  ।
  सत्य-अहिंसा शस्त्र अस, जो दे शांति सुखाम ।।

  जीव-आत्मा एक है, नर पशु खग जलमीन ।
  रखो अहिंसा भाव हिय,  हिंसा तजो धुरीन ।।

  हिंसा कुत्सित कर्म है, अधम पाप अभिशाप  ।
  भव तारण पावन धरम, अहिंसा पुण्य प्रताप ।।

-- स्वरचित/मौलिक 
-- स्वामी प्रसाद श्रीवास्तव 
-- छतरपुर मध्यप्रदेश  ○○○○○
[31/01, 6:47 PM] Subhash Singhai Jatara: आदरणीय दादा जी 
सर्वप्रथम पटल पर स्वागत है 
श्रेष्ठ दोहे सृजित हुए है 
बस अंतिम दोहे का अंतिम चरण बारह मात्रा भार ले गया है व जिसका कारण  पंचकल से चरण प्रारंभ हो गया है 
पर आपका सृजन 👌👌👌🙏💐
[31/01, 6:47 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहे
विषय-अहिंसा
1- सत्य अहिंसा धर्म है,
हिंसा है अति पाप।
बृज प्रेमी समझें नही,
होगा पश्चाताप।
2- सत्य अहिंसा निमित यदि,
प्राण भले लग जाय।
बृजभूषण त्यागें नही।
रहे सदा अपनाय।
3-कहीं कोई हिंसा कभी,
हमसे न बन जाय।
सदा अहिंसा के लिए,
हम सब नरतन पाय।
4- सत्य अहिंसा राह पर,
कहते रहे सदैव।
बृजप्रेमी पातक कटें,
सत्य मान बस लेव।
5-चले न हिंसक राह पर,
अपना भारत देश।
बापूजी पालन किया,
दिया यही उपदेश।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[31/01, 7:14 PM] Swami Prasad Shriwa Stabs Chatrepur1: आदरणीय श्री! अंतिम दोहे के
सम और विषम चरण दोनों इस
तरह सुधार कर प्रस्तुत कर रहा हूँ  :-

मुक्ति दायिनी अहिंसा, पावन पुण्य प्रताप ।।
[31/01, 7:46 PM] Subhash Singhai Jatara: जी दादा , तब तेरह की यति अहिंसा से 122 हो जाएगी 
मुक्ति अहिंसा दायनी,  पावन पुण्य प्रताप 
शायद सही रहेगा 
सादर
[31/01, 7:50 PM] Subhash Singhai Jatara: दूसरा  दोहा -सत्य अहिंसा यदि निमित 
करना सही रहेगा 

तीसरा दोहा , पहला चरण 
अब कोई हिंसा कभी 
करना सही रहेगा 
सादर
[31/01, 8:23 PM] Subhash Singhai Jatara: बहुत ही सुंदर अनुपम दोहे 👌
अब बहुत ही बारीक तथ्य की ओर ध्यानाकर्षण कर रहा हूँ सर जी 
चौथे दोहे का चोथा चरण 
चरित्र का निर्माण 
मात्रा भार सही है , पर लय क्यों नहीं है ? 
कारण - चरित्र (जगण ) से चरण प्रारंभ है (चरित्र = च रि त् र  ) अत: 
"अब चरित्र निर्माण" करना कैसा रहेगा सर जी ?
[31/01, 8:28 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: हिंदी दोहे
विषय :-अहिंसा
मनसा बाचा कर्मणा, से जो रखता ध्यान।
दया धर्म जिनके हृदय,वही अहिंसा मान।।

सत्य अहिंसा का दिया, बापू ने उपदेश।
आजादी की राह का,था वह कार्य विशेष।।
भगवान सिंह लोधी अनुरागी
[31/01, 8:31 PM] Sr Saral Sir: हिन्दी  दोहा  विषय  अहिंसा 

नेक  नीति  सद्भाव  से, होता है उत्थान।
सत्य अहिंसा न्याय से, पाते नर सम्मान।

सदा अहिंसा भाव हो,उपजे नहीं विकार।
जीव दया हिय में रहे, निर्मल रहे विचार।।

होती है  सदधम्म में, दया  अहिंसा  मूल।
यही बीज बंधुत्व के ,जीवन के अनुकूल।

सत्य अहिंसा की डगर,से मानव कल्याण।
इनसे  ही  होता सदा , जन चरित्र  निर्माण।।

न्याय मिले हर जीव को,बढ़ें अहिंसा ओर।
जन-जन में करुणा बहे, रहे प्रेम की डोर।।
          एस आर सरल
              टीकमगढ़
[31/01, 9:45 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: विलम्बित पोस्ट
अहिंसा पर दोहे

1.
"जीव दया की भावना,  जिनके मन को भाय,
राह अहिंसा की चुनो,   सुगम रीत हो जाय."

2.

"जीव हिंसा से,पाप के, बनते  भागीदार,
अहिंसा पर विश्वास से, मिलता स्वर्ग द्वार."

3.

"कटु वाणी को,जानिये,हिंसा का ही प्रकार,
मीठी वाणी से मिले,      अहिंसा का विचार."

4.

"शत्रू सामने ज़ब दिखे,  हिंसा ही आधार,
अहिंसा तब त्यागिये,    करें न कोइ विचार."

5

"भोजन करना,है हमें,  जो है शाकाहार,
अहिंसा के बिना नहीं , होत सुलभ सुविचार."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल

रविवार, 29 जनवरी 2023

माउठ (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'


मावठ/माउठ (बुंदेली संकलन) ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'


     
माउठ/मावट (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  💐😊 माउठ(मावट)💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 131वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 29-1-2023

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र) 
05-विद्या चौहान (फरीदाबाद)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
08-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
09-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
10-एस आर सरल,टीकमगढ़
11-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
12-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर
13-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
14- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
15-संजय श्रीवास्तव* मवई  (दिल्ली)
16-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा
17-बृजभूषण दुबे बृज, (बक्सवाहा)
18-कल्याण दास साहू पोषक, (पृथ्वीपुर)
19- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)
20-सुनीता खरे टीकमगढ मध्य-प्रदेश
21*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
22- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
23*सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
24*डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
25*डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
##############################
        
*बुंदेली दोहा-प्रतियोगिता -98*
प्रदत्त शब्द-मावट दिनांक-28-1-2023
*************************
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*

*1*
माउठ की बूँदे परी,गोरी रही लजाय।
सकुची, सकुढ़ी सी निगै,गगरी भर घर आय।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़
*2*

*3*
मावट मइना माँव की, लीला  करै  विचित्र।
जौन गली कड़ जात है, बदल देत है चित्र।।
***
                 आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़
*4*
**
अगन मास मावट गिरै, होबें मंगल गान।
भरैं खोंड़ियां नाॅंज सें,‌तानें मूॅंछ किसान।।
***
-भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह
*5*
हालौ- फूलौ सरसुवाँ,चना दबो मुस्क्याय।
पिसी खुसी सें दै नची, माउठ बरसो आय।।
                    -डा देवदत्त द्विवेदी बडा मलेहरा
*6*
मावट पड़ती भाग से,धन्य सोई वो देश।
पे ओरे गिरवें नहीं, लगत करेजे ठेस।।
***
परम लाल तिवारी,खजुराहो
*7*
माउठ नहि इमरत कहो,करे फसल खों चंग।
छाती सें बालें लगें,हो जें सबरे दंग।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*8*
मावट के बदरा सदाँ, रूप धरत दो बन्न।
कै टपकाउत आपदा,कै बरसाउत अन्न।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी (बुड़ेरा)
*9*
मावट कौ पानी लगै ,फसलँन खाद समान ।
खेतन ओले ना गिरैं ,समजो प्रभु कौ दान ।।
***
शोभारामदाँगी नदनवारा
*10*
माउंठ परै फसल बडै,हरसित हुए किसान।
मांऊं फसल खों न लगै,ईसें जेउ निदान।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
*
*12*
मावठ की बूँदें परें , खुस हो जात किसान ।
कृपा करत हैं दीन पै , दीनबन्धु भगवान ।।
***
   ---  कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
*13*
मावठ के बदरा उठे,  रिमझिम  बरसै मेह।
पिया बसे परदेस में, नैनन बरसै नेह।।
***
         प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
*14*
बरखा को मौसम बनो, मावट जा वरदान। 
फसलों खों इमरत मिलो, खुस हैं आज किसान।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*15*
मावठ के बदरा घिरे,फिर रय मूड़ मुड़ायँ।
कउँ  बूँदा बाँदी करै, कउँ बरषै  मड़रायँ।।
***
      एस आर सरल, टीकमग
*16*
मावट  पा जावै  फसल, कन्या  वर  पा जाय।
खड़ी ऊँख बिक जाय तौ,जौ सुख कहाँ समाय।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*17*
"देख बादरे,आसमां, किसान खुस हो जात।
ज़ब मावट बरसन लगी,फ़सल उम्दा हो जात।।
***
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
*18*
फसलन खों उपहार है,माउठ की बरसात।     
हँस-हँस बाली झूमती,  पात-पात हरसात।।
***
     *संजय श्रीवास्तव* मवई ,दिल्ली
*19*
माघ मास  मावट परै, फसल पुष्ट  हो जाय।
सरर-सरर सुरकी चलै, ठंड विकट बरयाय।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
*20*
पोषित कर देती फसल, खेती खौं वरदान।
मावट बरसे ई तरां, हर्षित होय किसान।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु., बड़ागांव, झांसी

*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*


                     संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'माउठ/मावट ( 131वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 131 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 83 देश के लगभग 99000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 131वीं ई-बुक 'माउठ(मावट)'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। 
ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-28-1-2023 को बुंदेली दोहा  प्रतियोगिता-98 में दिये गये बिषय 'माउठ/मावट  पर दिनांक- 28-1-2023 को पटल पोस्ट किये गये थे।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-29-1-2023 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965 

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)



**संशोधित *बुंदेली दोहा बिषय-माउठ/मावट*

*1*
मानसून  बिन जल  गिरै  , जड़कारै   में  आन | 
मावट कात किसान है  , #राना  अमरत  मान  ||
*2*
#राना मावट  लाभ  दै  , और  कछू नुकसान |
जादाँ  गिर जै  हूँक कै, फसल गिरत है आन ||
*3*
हौवें मावट   टैम   से ,  सबइ  करत  गुणगान  |
पकी फसल पै जब गिरै , #राना तब नुकसान ||
*4*
मावट में #राना कभउँ ,   ओरा भी गिर जात |
पिसिया बालैं   टूटती , तब किसान अकुलात |
*5*
रामा से  #राना  कहै ,   मावट    दइयौ  यैन |
पर इतनी ना भेजियौ  , जीसै   हौं    बैचैन ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉                 
2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


     
रात दिना मावट गिरी , मान्स न मानें हार।
बागेश्वर में हो रही , बाबा की जय कार।।
***

       -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

   3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़

माव    मास  की   ठंड    में ,  हौ   मावट   बरसात |
हाड़ कृषक कै काँपतइ  , फसल  हँसै    दिन रात ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
***
       
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


मावट पाकैं जाय खिल,खिरमन सहित किसान।
बचै  फसल  नुकसान सें, ध्यावत है  भगवान ।।
        ***          

मौलिक/                                                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
           
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा




घिची काट मँहगाइ सैं,है किसान पै भार ।
काँलौं सऐ किसान ये ,कौन लगावै पार ।।
**
१=
मास मदिरा खाये जो ,घिची काटवैं रोज ।
"दाँगी" इनसैं दूर हैं ,मिटै न घरकौ खोज ।।
२=
झहड़ा झाँसौ होय तो ,घिची पकरवै पैल ।
जेल जाँय चाये कछू ,"दाँगी" बनैं हुडै़ल ।।
३=
धर दइ घींच मरोर कैं,जब भइ तनक नियाव ।
कपन लगे मड़वाइ से,बचौ न "दाँगी" ह्याव ।।
४=
घिची पकरवै तनकपै ,मरवे नही डरात ।
भड़या पिड़वै रात में,पाकैं आधी रात ।।
५=
मुर्गा बुकरा काटकैं ,खारय लाखन लोग ।
घिची मरोरत शानसैं ,"दाँगी" फैलौ रोग ।।

                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

7-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

प्रतियोगी दोहा-

बची न अबला आबरू, धन न बच रऔ आज।
दबा घिची बै लेत हैं,तनक न खा रय लाज।।

***
1-
साहूकारी फाँगटैं, जिन पर जइयौ भूल।
घिची मसक कैं लेत हैं,बढ़े चुभत हैं शूल।।
2-
रामादल की का कनें,जोश छाव भरपूर।
घिची मसक मारे सभी,निशचर मिल लंगूर।।
3-
लूट मची चहुँ ओर है,जाऔ भैया चेत।
नेता, अधिकारी इतै,घिची दवा कै लेत।
4-
लूट पाट चहुँ ओर है,बचौ न कौनउँ ठौर।
दबा घिची जे छीनते,मौरे मौं कौ कौर।।
5-
बची न अबला आबरू,न धन बच रऔ आज।
दबा घिची बै लेत हैं,तनक न खा रय लाज।।
***
             --प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

  8-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी

प्रतियोगी बुन्देली दोहा 
21-01-23

घिची दबा कें दीन की,जो पर धन हर लेत।
दीनबंधु  भगवान जी, नरक  ओइ खों देत।।
*****************************
अप्रतियोगी दोहे-

घरबारी दाबें घिची, सारौ पकरें हाँत।
ढक्का दै दव सास नें, टूटे सबरे दाँत।।

कुत्ता  आपस  में लरें, दाँत घिची में देत।
चाट  न पावै  वौ उतै,  सोउ मौत लै लेत।।

लिख लइती पैलें घिची,जब नइँ भव तौ टैम।
अब  भेजें  का  होत  है,  लगी  पटल पै रैम।

***

   -अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकान्त निवाड़ी

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

 09-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर


 सीमा पै दिख ग व कितउॅं , सुनलै बेटा मोइ। 
मुर्गी घाईं दाब  कैं  , घिची  मसक  दैं  तोइ।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 17/01/2023
                   ***
                    
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊

10-एस आर सरल,टीकमगढ़



सज्जतिया पंच्यात में ,जुल्मी है बिन्त्वार।
सिर झुकायँ डारै घिची,ठाँड़ौ सभा मजार।।
          ***
          
                 -एस आर सरल,टीकमगढ़

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


*11*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा

घिची प्याज सी काट कें,नीचट ‌लरी‌ लराइ।
गोरन पै भारी परी,रानी  लक्ष्मीबाइ ।।
***
अप्रतियोगी दोहा
विषय:-घिची

गाय भैंस छिरिया सुॅंगर,साॅंमर छिकरा रोज।
हत्यारे काटत घिची,मिटो जात है खोज।।

बिटियॅंन की काटत घिची,जनम लेन न‌इॅं देत।
  घरती पै हैं ‌भार जे, उन्ना पैरें ‌सेत।।

बसन सेत मांथें तिलक, करैं गुरीरी बात।
दिन डूबें काटें घिची,गीद देख शरमात।।

राम -राम झुक कें करी,रो- रो मांगे वोट।
अब बे काटत हैं घिची,मन में भारी खोट।।

अपनों नै काटी घिची,है गवाह इतिहास।
जी नै मारौ जौन खों,भय हैं दुश्मन खास।।
                  ***"
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
                         ***           
             
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

12-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर



**
-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


*13*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी



घिची मसक कें लूट रय,जनता है बेहाल। 
नेता नगरी है सफल, हो गई मालामाल।।
***

-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


14- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़


निसरी नैंनू  खाव  सो  , खूब दिखादव जोर।
दंतवक्र   चाणूर   की  , द‌इ  ती   घिची  मरोर।।
***
              
           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

15-संजय श्रीवास्तव, मवई  (दिल्ली)


घिची मसक कैं सत्य की, बेजाँ हँस रव झूँठ।     
बेइमान बरगद बने,सच्चे हो गय डूँठ।।
       ****
*अप्रतियोगी दोहे*

*१*
घिची काट प्रतियोगिता,
        राना जू करवायँ ।
शनिवार के दिना हमें,
      आपस मे लरवायँ।।
   
*२*   
घिची काटकैं रख दयी,
     तौ लौं नइँ विश्वास।
अपने बैरी से बुरे,
   कीसैं करबैं आस।।
***
  *संजय श्रीवास्तव* मवई 
     २१-१-२३😊दिल्ली
     
     

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

16-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा


घिची काटने काट लो,मानो मोरी बात।
लौटा दो सीता पिया,बात नीत की कात।।
***
#अप्रतियोगी  दोहे#घिची#

                    #१#
मरे जवानों की घिची,काटी पाकिस्तान 
अन्न बड़ा गव देश कौ,का ग‌इ ऊकी शान।।

                    #२#
घिची कटी आंखें मिचीं,लाश डरी संग्राम।
उनें शहीद बखानियें,करें देश कौ नाम।।

                    #३#
मुर्गा बुकरा की घिची,काटत कैसें लोग।
आबै ना उनखों दया,बनें काटबे जोग।।

                    #४#
राइ घटै ना तिल बड़ै,जियन जोइया होय।
घिची कटे सें ना मरै,राखै उमर सजोय।।

                    #५#
अड़ियल और गंवार कौ,लोभी कौ धन सूर।
घिची कटे पै ही मिलै,र‌इयौ इनसें दूर।।
***
#जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा जिला टीकमगढ़# 

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

17-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा


अप्रतियोगी दोहे
1-
घिची काट दइ बैठवे,कहत गड़त हैं बार।
जस करतन अपजस बनत,बृज देखो संसार।
2-
सुनत सुनत जब ऊब गय,गारी सईं  नंदलाल।
घिची काट शिशुपाल की,मा डारो तत्काल।
3-
घिची काट दइ छल करो,बृजभूषण कय नीक।
बर्बरीक का युद्ध में,नेई पहुंचवो ठीक।
4-
कुनर मुनर ठूटा करी,थापर हन दव छूट।
बृज मथुरा के लाल पे,घिची गई है टूट।
5- 
राहू ने चुपचाप जब,अमृत पी लव झट्ट।
चक्र सुदर्शन से हरी,घिची कटी हैं कट्ट।
***
- बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

18- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)


पइसा की तौ  ई बखत, ऐसी  फैली  छूत।
घिची काटबे बाप की,तुले कलजुगी पूत।।
*******
अप्रतियोगी दोहे,विषय-घिची🌹
*************************
रिस्ते-नातों   में   भरो,
               बिष की नाँइ खटास।
घिची काटकें धर दिऔ,
              तौ  नइयाँ   विस्वास।।
*************************
अफसर नेता दोइ मिल,
                ऐसी    बाँदें    बान।
घिची दबा रय छोड़ रय,
             कड़न नि दै रय प्रान।।
*************************
जो  मोंड़ी-मोंड़ा  चलत,
              घिची   नवाकें   राह।
उनके  लानें  ही  कड़त,
               सबके मुँह सें  वाह!!
*************************
घिची  दबा  लैबू  करे,
              मूर-ब्याज पै  त्याज।
अब रिनियाँ हैं  चैन में,
             जबसें आव स्वराज।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी,बुडेरा

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

19-सुनीता खरे टीकमगढ मध्य-प्रदेश


सौदा समर सदाँ कीजिये,लूट मची चहुँ ओर।
दया धरम न कोउ करें,दै रयै घिची मरोर।।
**
सुनीता खरे टीकमगढ मध्य-प्रदेश
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*20*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.


सेवा कोने में धरी,भय बूढे बीमार।
घिची मसक कें मांग रव, बेटा अब अधिकार।।
***
अप्रतियोगी दोहे... 

घिची झुकी उनकी रये,लख मौंडन बैहार/
बूढ़े दादा बाइ पे, कर रय अत्याचार/

 बात-बात में ऐंठ है, गाली और गलौंच/
बडबोले अपनी घिची, उठा दिखा रय पौंच//

ठुसी घिची में लल्लडी़,सीता रामी हार/
गोरी खौं गुलुबंद की, बनी रहे दरकार//

मैंगाई दाबै घिची, और न हैं रुजगार/
वादे करे लुभावने,दिशा हीन सरकार//

हती घूसखोरी इतै,दय आतंकी तोड़/
शासन ने कुछ तो दई, उनकी घिची मरोड़//

***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*21*- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.


घिची दूख रइ काल सें, कुजने काय पिरात। 
भौजी बिलना फेर दयँ, आपहुँ सइ हो जात ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*22*सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल

"मम्मा खडे ते,खेत में,फ़सल देख हरषाय।
घिच्ची पकडे,चोर की, लठिया से गरियाय।।
***
घिच्ची(गर्दन)
1
"मम्मा खडे ते,खेत में,फ़सल देख हरषाय।
घिच्ची पकडे,चोर की, लठिया से गरियाय।
2

"आसों जाडो,भोतई,    ठंडो पडो सरीर।
घिच्ची पिरानी,रात भर, जुडा गओ सब नीर।।
3

"घिच्ची जिनकी होत है, नोनी सुराहिदार।
तुरतइ  पिरान लगत है, धरत तनक सो भार।।
4.

"दद्दा बेठात,रोज़ई, बच्चा कन्धा भार।
मोडा घिच्ची,पकड़ के,गिरबे नइ घबरात।।

***

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*23*डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा


मेरइ बारे आज तौ,मिलकें देबें मार।
घिची काटकें बे सुनों, पलकन देबें पार।
            ***
डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*24*डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

घिची नई झुकने दई,लक्ष्मी बड़ी महान।
देश को मान बड़ गऔदुश्मन हो बेजान।।
***
डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

##############################  

 💐😊 माउठ(मावट)) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                    की 131वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

   ई बुक प्रकाशन दिनांक 29-1-2023

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965

मंगलवार, 24 जनवरी 2023

घिची(गर्दन) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़ (मप्र)

घिची (गर्दन (बुंदेली संकलन) ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
     घिची (गर्दन (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  💐😊 घिची (गर्दन💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 130वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-1-2023

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र) 
05-विद्या चौहान (फरीदाबाद)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
08-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
09-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
10-एस आर सरल,टीकमगढ़
11-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
12-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर
13-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
14- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
15-संजय श्रीवास्तव* मवई  (दिल्ली)
16-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा
17-बृजभूषण दुबे बृज, (बक्सवाहा)
18-कल्याण दास साहू पोषक, (पृथ्वीपुर)
19- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)
20-सुनीता खरे टीकमगढ मध्य-प्रदेश
21*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
22- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
23*सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
24*डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
25*डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
##############################
        

                     संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'घिची (गर्दन) ' ( 130वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 130 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 83 देश के लगभग 99000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 130वीं ई-बुक 'घिची (गर्दन)'  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। 
ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने मंगलवार दिनांक-17-1-2023 को बुंदेली दोहा  प्रतियोगिता-97 में दिये गये बिषय 'घिची (गर्दन)  पर दिनांक- 22-1-2023 को पटल पोस्ट किये गये थे।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-23-1-2023 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965 

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
#शनिवार#दिनांक २१.०१.२.२३#
#बुन्देली दोहा प्रतियोगिता ९७#घिची
####################


01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)



**बुंदेली दोहा -घिची (गर्दन)*
*1*
घिची झुकै लगबै शरम  ,  करौ न ऐसौ  काम |
#राना    पंचन   बीच   में ,   नैचौ  हौवें  नाम ||
*2*
#राना  घिची  झुकात  है , गुरुवर  ठाड़ै  हौय  |
राम- राम   उनखौ   करै , जौरे  हाथन   दौय ||
*3*
झुकौ नईं   #राना  उतै ,    खड़पंचौ  जब आय |
सदा सत्य कौ संग दौ ,  घिची  चाय  कट जाय ||

*(खड़पंचौ =बिना मतलब की  पंचायत )*
*4*
घिची कटा गय देश हित , कर गय  अपनौ काम |
#राना  उनखौं  है  करत ,   मुड़िया  झुका प्रनाम ||
*5*
ऊँची   हौतइ  है   घिची ,   हौवें  नौनों  काम |
आतइ #राना है मजा , भलौ करत सब राम ||

*एक शृंगार दोहा-*
*6*
घिची हिला छितरा दयै  , जब गोरी ने बाल |
बदरा छा गय गैल में , #राना  करत  ख्याल ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com


🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉                 
2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


     
घिची पौल कें जोर दइ ,गज मुख हुये गनेश ।
पीठ चुखरवा की डटे , मेंटत सबइ कलेश।।
***

,, अप्रतियोगी दोहा,,
         विषय,, घिची,
*********************************
घिची खिची आँखें मिची , निकरे प्रान प्रमोद
मां ममता मुसकान की , सूनी पर गइ गोद
*******************************
बिटियन की पुल रइ घिची , रोती भारत मात
कपटी छल कर प्रेम सें , करते विश्वा घात
*******************************
घिची पौल कें मूंढ़ लै, अश्वत्थामा दाग 
जरजोधन रोने लगा , आँखन ओलट भाग
*******************************
रुबिका श्रद्धा की घिची , पौलीं करकें प्यार 
कव प्रमोद ई करम को ,को हैं जिम्मेदार
*******************************
घिची फांस दइ फाँस में , कस दइ काड़ें प्रान
भगत सिंह बलिदान को ,जानत सकल जहान
*********************************
पकरें घिची हलाइती , मोरी दुपरे आज
स्वापी सें कस तइ हतो , जो प्रमोद महराज
********************************
        
       -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

   3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़

मथुरा में   तुलसी  कहैं   , घिची   झुकेगी नाथ  |
ऊँकै   पैलउँ  लौ  पकर,   तीर  धनुइयाँ  हाथ  ||
***
अप्रतियोगी दोहे , विषय - घिची 

माला पैरत ही  तनत  , करतइ कछु ना काम |
हाथ पाँव  मैनत  करैं ,  पातइ  घिची  इनाम ||

तिरिया भी अपनी घिची , करतइ खूब  सँबार |
डारै  फिरतइ   लल्लरी , गुरिया  करैं  निखार ||

जौन घिची में डार दै ,  दुल्लौ  अब  वरमाल |
औइ  गरै में  नौचिया , लैतइ  रत  हर  हाल ||

घिची पकरतइ है पुलिस , बिद जाबै जब  चोर  |
टूटत  है   तब  चामरौ ,  मचत  गाँव  में   शोर   ||

सबखौ हम सम्मान दें , घिची झुका कै आज | 
सबरै  गुनियाँ  है  इतै , जीपै   मोखौ    नाज ||

बुंदेली   कमजौर  थी , अब  भी  है  कमजौर |
घिची  झुका  कै है  कहत , देते  रहियौ   ठौर ||

***

सुभाष सिंघई , जतारा
***
       
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर



गलत झूँठ बाढ़ो बिकट, लगी सही की बाट।
लोग भरोसो नइँ करैं, रखौ घिची चय काट।।
****
बुंदेली दोहे, विषय- घिची (गर्दन)

गौरा  गइँ  जब  मायके, उतै भओ अपमान।
घिची काट दइ दक्ष की, आ शंकर भगवान।

परशुराम  जू  ते  छठे,  बिष्नू  के  अवतार।
तात कहे से मात की, करो  घिची  पै वार।।

द्वारपाल ते बिघ्नहर, पितु से भओ कलेश।
काट दई शिव ने घिची, तलफत रहे गनेश।

आसतीन  के  साँप  जो, करते  बारा  बाट।
कई जनें  विश्वास में, देत  घिची  हैं  काट।।

घिची चढ़े रँय रात दिन,जब लौ बनत न काम।
काम सटो दुख गौ बिसर, फिर करवैँ बदनाम।

सिलोचना ती पतिव्रता, जानत सकल जहान।
कटी घिची पति की हँसा,सच को दओ प्रमान।

'अमर' राँय चय जाँय मर, या तन टकै बिकाय।
मुकरैं नइँ हम बात से, घिची भले  कट जाय।।

***

मौलिक/                                                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

05-विद्या चौहान (फरीदाबाद)


कटवा कै अपनी घिची, करौ देस आजाद।
वंदन ऐसी  कोख़ खौं, पूत  जनी  फ़ौलाद।।
***
बुंदेली दोहे 
~~~~~~~~
विषय- घिची (गर्दन)
~~~~~~~~~~~~
मोबाइल  नै  हात  से, लओ  लड़कपन  छीन।
घिची झुकी है बाल की, रात दिनाँ तल्लीन।।

मैया  बिटिया  से  कहै, तुम हौ घर की आन।
घिची झुके ना बाप की, रखियो ईको ध्यान।।

अच्छाई   पैलाँ  हती, अब कलजुग घनघोर।
मीठी  छुरी  जबान पै, दे  रय  घिची   मरोर।।

घिची सूदरी रख चलत, जिनके हिय ईमान।
गटा  चुराउत  सत्य से,  लबरन  की  पैचान।।

जब धरती  पै पाप  से, बढ़न  लगो तो भार।
दुर्गा  माँ  नै  दैत्य  की, घिची  उतारी  पार।।

***

✍️ विद्या चौहान,फ़रीदाबाद, हरियाणा

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
           
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा




घिची काट मँहगाइ सैं,है किसान पै भार ।
काँलौं सऐ किसान ये ,कौन लगावै पार ।।
**
१=
मास मदिरा खाये जो ,घिची काटवैं रोज ।
"दाँगी" इनसैं दूर हैं ,मिटै न घरकौ खोज ।।
२=
झहड़ा झाँसौ होय तो ,घिची पकरवै पैल ।
जेल जाँय चाये कछू ,"दाँगी" बनैं हुडै़ल ।।
३=
धर दइ घींच मरोर कैं,जब भइ तनक नियाव ।
कपन लगे मड़वाइ से,बचौ न "दाँगी" ह्याव ।।
४=
घिची पकरवै तनकपै ,मरवे नही डरात ।
भड़या पिड़वै रात में,पाकैं आधी रात ।।
५=
मुर्गा बुकरा काटकैं ,खारय लाखन लोग ।
घिची मरोरत शानसैं ,"दाँगी" फैलौ रोग ।।

                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

7-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

प्रतियोगी दोहा-

बची न अबला आबरू, धन न बच रऔ आज।
दबा घिची बै लेत हैं,तनक न खा रय लाज।।

***
1-
साहूकारी फाँगटैं, जिन पर जइयौ भूल।
घिची मसक कैं लेत हैं,बढ़े चुभत हैं शूल।।
2-
रामादल की का कनें,जोश छाव भरपूर।
घिची मसक मारे सभी,निशचर मिल लंगूर।।
3-
लूट मची चहुँ ओर है,जाऔ भैया चेत।
नेता, अधिकारी इतै,घिची दवा कै लेत।
4-
लूट पाट चहुँ ओर है,बचौ न कौनउँ ठौर।
दबा घिची जे छीनते,मौरे मौं कौ कौर।।
5-
बची न अबला आबरू,न धन बच रऔ आज।
दबा घिची बै लेत हैं,तनक न खा रय लाज।।
***
             --प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

  8-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी

प्रतियोगी बुन्देली दोहा 
21-01-23

घिची दबा कें दीन की,जो पर धन हर लेत।
दीनबंधु  भगवान जी, नरक  ओइ खों देत।।
*****************************
अप्रतियोगी दोहे-

घरबारी दाबें घिची, सारौ पकरें हाँत।
ढक्का दै दव सास नें, टूटे सबरे दाँत।।

कुत्ता  आपस  में लरें, दाँत घिची में देत।
चाट  न पावै  वौ उतै,  सोउ मौत लै लेत।।

लिख लइती पैलें घिची,जब नइँ भव तौ टैम।
अब  भेजें  का  होत  है,  लगी  पटल पै रैम।

***

   -अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकान्त निवाड़ी

🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊🎇

 09-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर


 सीमा पै दिख ग व कितउॅं , सुनलै बेटा मोइ। 
मुर्गी घाईं दाब  कैं  , घिची  मसक  दैं  तोइ।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 17/01/2023
                   ***
                    
🎊🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎊🎊

10-एस आर सरल,टीकमगढ़



सज्जतिया पंच्यात में ,जुल्मी है बिन्त्वार।
सिर झुकायँ डारै घिची,ठाँड़ौ सभा मजार।।
          ***
          
                 -एस आर सरल,टीकमगढ़

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


*11*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा

घिची प्याज सी काट कें,नीचट ‌लरी‌ लराइ।
गोरन पै भारी परी,रानी  लक्ष्मीबाइ ।।
***
अप्रतियोगी दोहा
विषय:-घिची

गाय भैंस छिरिया सुॅंगर,साॅंमर छिकरा रोज।
हत्यारे काटत घिची,मिटो जात है खोज।।

बिटियॅंन की काटत घिची,जनम लेन न‌इॅं देत।
  घरती पै हैं ‌भार जे, उन्ना पैरें ‌सेत।।

बसन सेत मांथें तिलक, करैं गुरीरी बात।
दिन डूबें काटें घिची,गीद देख शरमात।।

राम -राम झुक कें करी,रो- रो मांगे वोट।
अब बे काटत हैं घिची,मन में भारी खोट।।

अपनों नै काटी घिची,है गवाह इतिहास।
जी नै मारौ जौन खों,भय हैं दुश्मन खास।।
                  ***"
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
                         ***           
             
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

12-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर



**
-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


*13*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी



घिची मसक कें लूट रय,जनता है बेहाल। 
नेता नगरी है सफल, हो गई मालामाल।।
***

-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


14- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़


निसरी नैंनू  खाव  सो  , खूब दिखादव जोर।
दंतवक्र   चाणूर   की  , द‌इ  ती   घिची  मरोर।।
***
              
           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

15-संजय श्रीवास्तव, मवई  (दिल्ली)


घिची मसक कैं सत्य की, बेजाँ हँस रव झूँठ।     
बेइमान बरगद बने,सच्चे हो गय डूँठ।।
       ****
*अप्रतियोगी दोहे*

*१*
घिची काट प्रतियोगिता,
        राना जू करवायँ ।
शनिवार के दिना हमें,
      आपस मे लरवायँ।।
   
*२*   
घिची काटकैं रख दयी,
     तौ लौं नइँ विश्वास।
अपने बैरी से बुरे,
   कीसैं करबैं आस।।
***
  *संजय श्रीवास्तव* मवई 
     २१-१-२३😊दिल्ली
     
     

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

16-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा


घिची काटने काट लो,मानो मोरी बात।
लौटा दो सीता पिया,बात नीत की कात।।
***
#अप्रतियोगी  दोहे#घिची#

                    #१#
मरे जवानों की घिची,काटी पाकिस्तान 
अन्न बड़ा गव देश कौ,का ग‌इ ऊकी शान।।

                    #२#
घिची कटी आंखें मिचीं,लाश डरी संग्राम।
उनें शहीद बखानियें,करें देश कौ नाम।।

                    #३#
मुर्गा बुकरा की घिची,काटत कैसें लोग।
आबै ना उनखों दया,बनें काटबे जोग।।

                    #४#
राइ घटै ना तिल बड़ै,जियन जोइया होय।
घिची कटे सें ना मरै,राखै उमर सजोय।।

                    #५#
अड़ियल और गंवार कौ,लोभी कौ धन सूर।
घिची कटे पै ही मिलै,र‌इयौ इनसें दूर।।
***
#जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा जिला टीकमगढ़# 

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

17-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा


अप्रतियोगी दोहे
1-
घिची काट दइ बैठवे,कहत गड़त हैं बार।
जस करतन अपजस बनत,बृज देखो संसार।
2-
सुनत सुनत जब ऊब गय,गारी सईं  नंदलाल।
घिची काट शिशुपाल की,मा डारो तत्काल।
3-
घिची काट दइ छल करो,बृजभूषण कय नीक।
बर्बरीक का युद्ध में,नेई पहुंचवो ठीक।
4-
कुनर मुनर ठूटा करी,थापर हन दव छूट।
बृज मथुरा के लाल पे,घिची गई है टूट।
5- 
राहू ने चुपचाप जब,अमृत पी लव झट्ट।
चक्र सुदर्शन से हरी,घिची कटी हैं कट्ट।
***
- बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

18- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)


पइसा की तौ  ई बखत, ऐसी  फैली  छूत।
घिची काटबे बाप की,तुले कलजुगी पूत।।
*******
अप्रतियोगी दोहे,विषय-घिची🌹
*************************
रिस्ते-नातों   में   भरो,
               बिष की नाँइ खटास।
घिची काटकें धर दिऔ,
              तौ  नइयाँ   विस्वास।।
*************************
अफसर नेता दोइ मिल,
                ऐसी    बाँदें    बान।
घिची दबा रय छोड़ रय,
             कड़न नि दै रय प्रान।।
*************************
जो  मोंड़ी-मोंड़ा  चलत,
              घिची   नवाकें   राह।
उनके  लानें  ही  कड़त,
               सबके मुँह सें  वाह!!
*************************
घिची  दबा  लैबू  करे,
              मूर-ब्याज पै  त्याज।
अब रिनियाँ हैं  चैन में,
             जबसें आव स्वराज।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी,बुडेरा

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

19-सुनीता खरे टीकमगढ मध्य-प्रदेश

सौदा समर सदाँ कीजिये,लूट मची चहुँ ओर।
दया धरम न कोउ करें,दै रयै घिची मरोर।।
**
सुनीता खरे टीकमगढ मध्य-प्रदेश
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*20*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.

सेवा कोने में धरी,भय बूढे बीमार।
घिची मसक कें मांग रव, बेटा अब अधिकार।।
***
अप्रतियोगी दोहे... 

घिची झुकी उनकी रये,लख मौंडन बैहार/
बूढ़े दादा बाइ पे, कर रय अत्याचार/

 बात-बात में ऐंठ है, गाली और गलौंच/
बडबोले अपनी घिची, उठा दिखा रय पौंच//

ठुसी घिची में लल्लडी़,सीता रामी हार/
गोरी खौं गुलुबंद की, बनी रहे दरकार//

मैंगाई दाबै घिची, और न हैं रुजगार/
वादे करे लुभावने,दिशा हीन सरकार//

हती घूसखोरी इतै,दय आतंकी तोड़/
शासन ने कुछ तो दई, उनकी घिची मरोड़//

***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*21*- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.

घिची दूख रइ काल सें, कुजने काय पिरात। 
भौजी बिलना फेर दयँ, आपहुँ सइ हो जात ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*22*सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
"मम्मा खडे ते,खेत में,फ़सल देख हरषाय।
घिच्ची पकडे,चोर की, लठिया से गरियाय।।
***
घिच्ची(गर्दन)
1
"मम्मा खडे ते,खेत में,फ़सल देख हरषाय।
घिच्ची पकडे,चोर की, लठिया से गरियाय।
2

"आसों जाडो,भोतई,    ठंडो पडो सरीर।
घिच्ची पिरानी,रात भर, जुडा गओ सब नीर।।
3

"घिच्ची जिनकी होत है, नोनी सुराहिदार।
तुरतइ  पिरान लगत है, धरत तनक सो भार।।
4.

"दद्दा बेठात,रोज़ई, बच्चा कन्धा भार।
मोडा घिच्ची,पकड़ के,गिरबे नइ घबरात।।

***

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*23*डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा

मेरइ बारे आज तौ,मिलकें देबें मार।
घिची काटकें बे सुनों, पलकन देबें पार।
            ***
डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*24*डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
घिची नई झुकने दई,लक्ष्मी बड़ी महान।
देश को मान बड़ गऔदुश्मन हो बेजान।।
***
डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

##############################  

 💐😊 घिची (गर्दन) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                    की 130वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

   ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-1-2023

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965