Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 15 जनवरी 2023

तिली (तिल) बुंदेली दोहा संकलन

[14/01, 1:08 PM] Jai Hind Singh Palera: #अप्रतियोगी दोहे#
#बिषय...तिली(तिल)#

                    #१#
खरी तिली की डार कें, जवा चून लो घोर।
दूद जानवर खूब दें,होय चीकनों ढोर।।

                    #२#
तिली बांट मल आंग में,सपरै लेप लगाय।
बुड़की लैबै प्रेंम सें,जनम सफल हो जाय।।

                    #३#
तिली भूंज गुड़ पाग कें,लड़ुवा लेय बनाय।
बुड़की लैकें खाय जो,सबरे पाप नशाय।।

                    #४#
तिली दान तिल लेप कें,बुड़की लेव लगाय।
उमर सब‌इ पूरी करें,फिर बैकुण्ठै जाय।।

                    #५#
तिल पपड़ी गुर में बना,खाबै बाद खुराक।
अन्न पचै तन खों लगै,लेय तिली कौ पाक।।

                    #६#
तिली गजक है गजब की,बनें देवघर रोज।
बैजनाथ के नगर में,लेव दुकानन खोज।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[14/01, 1:16 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय- तिल (तिली)-*

*1*
परत तिली से काम है ,   बुड़की जब   भी आत |
#राना सपरत तिल लगा , लडुआ तिल के खात ||
*2*
तिल पूजौ तिल दान दो , तेल तिली को डार |
बुड़की लै लडुआ लयै   #राना  करौ  अहार ||
*3*
तिली बाँट पौतत बदन, अर्घ  सूर्य  भगवान  |
सपरत  है #राना नदी,  गंगा कौ  धर ध्यान ||
*4*
सपर खौर लडुआ तिली , #राना खात चपेट |
फिर पतंग खौं थाम कै ,   करतइ है आखेट ||
*5*
बुड़की पै मेला लगत ,    #राना  ऊ   में  जात |
मिलै तिली की जब गजक , लैकें घर में आत ||
*6*

तेल तिली कौ मूड़ में , चिकट गयै सब बाल |
ऊँछ ककइ से वें रयीं , बनै  मछौ के  जाल ||😂🙏
*** दिनांक-14-1-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[14/01, 1:17 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे.

तिली और गुड़ संग में,लडुआ बने तमाम/
भोग देवतन खों लगे, चले ओरछा धाम//

तिल गुड़ के लडुआ गजक, पपड़ी लई जमाय/
ऊ खों मिठया बेंच रय, बातें खूब बनाय//

लडुआ तिल गुड़ में  सने, मन की मेवा डार/
धन वैभव सुख संपदा, देत रयें त्यौहार//

करें मकर संक्रान्ति पर,नदियों में इस्नान/
तिल गुड़ के व्यंजन बने, और करें तिल दान//

तिली लेप कें भुंसरा, नदिया लेव नहाय/
खिचड़ी तिल को दान कर, जो त्यौहार मनाय//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[14/01, 1:56 PM] Subhash Singhai Jatara: बुड़की - मकर संक्रांति एवं लोहड़ी की शुभकामनाओं सहित💐💐

अप्रतियोगी दोहे 

नदिया में बुड़की लगा , करत तिली को  दान |
पैलउँ  अरघा देत है,    ऊगत   रवि  भगवान ||

जाड़ौ   बुड़की  से   करे , आगे खौ   प्रस्थान |
तिली    हवन  में डार कै , देत  विदाई  मान  ||

तेल तिली कौ खात जो , जठर अग्नि बढ़ जाय |
उल्टौ    सूदौ    पेट  में ,    सबखौ तुरत पचाय ||

खरी तिली की ढौर भी , चाँट- चाँट   के  खाँय |
काम किसानी हौ जितै ,  ताकत  खौ  बतलाँय ||

तेल तिली अब दूर है , खा रय सबइ रिफान्ड |
सौ हम सब भी देखतइ , खाली रैतइ माइन्ड ||

सूरज नें बदली दिशा , अब उत्तर खौं जाँय |
बुड़की में उम्दा तिली , पकवानों   में  खाँय ||

सुभाष सिंघई
[14/01, 2:24 PM] Amar Singh Rai Nowgang: अप्रतियोगी बुंदेली दोहे, विषय-तिली
दिनाँक 14/01/2023

भूँज तिली गुड़ चासनी, दोनों देव मिलाय।
छोटे या  चाहौ बड़े, लडुआ  लेव  बनाय।।

मूमफली उर हो तिली, लइयो तेल पिराय।
सब्जी भाजी लैं बना, चुपर चपाती खाय।

तेल तिली में रत बहुत, पचा न पाय शरीर।
तेजी सैं बढ़वै वजन, गरम  होय  तासीर।।

तिली चबा कैं खाय जो, रहैं  दाँत मजबूत।
और मसूड़े ठीक रँय, तिल के नफा अकूत।

निन्नैं खाए जो तिली, करै अपच  को  नाश।
कब्ज़ पेट को दूर हो,खाय ससुर चय सास।

खालो चाए  जौंन विद, रक्तचाप  कम  होय।
रखै खून तन को सही,खाय तिली जो कोय।

मौलिक/
                  अमर सिंह राय
                नौगाँव, मध्य प्रदेश
[14/01, 3:06 PM] Asha Richhariya Niwari: विषय।  तिली
तिली बड़ी हरि खों प्रिय, हर खों सोऊ भाय।
माघ मास अर्पित करो,पुन्य अधिक दै जाय।।
🌹
तिली डार लड़ुआ बने,खुरमा बतियां संग।
कुंडेसुर मेला चले,मन में भरें उमंग।।
🌹
नौने लडुआ तिली के, स्वाद बड़ो मन भाय।
हष्ट पुष्ट तन खों करें,सरदी सब भग जाय।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏
[14/01, 3:19 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: बुंदेली दोहे
1-कूट कुचर मउआ तिली,
मुरका बृज बनाय।
जड़कारे भर हर दिना,
उठ भुनसारे खाय।
2-बाबू बुढ़की के दिना,
तिली के लडुआ खात।
खिचड़ी बनबे अटकें,
स्याने जोई बतात।
3-साल भरे में आउत बृज,
बुढ़की को त्यौहार।
दान करत खिचड़ी तिली ,
जानत बृज संसार।
4-तिली के लडुआ रूचत हैं,
घर घर बनत दिखाय।
गिरे दांत मुरतइ नही,
बृज खाबे ललचाय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[14/01, 5:46 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बिषय.. तिली
14-01-2023
*प्रदीप खरे,मंजुल*
^^^^^^****^^^^^^^
1-
तिली लगा तन में लयी,
बुढ़की भेड़ाघाट।
लडुआ तिल के सूटते,
खूब खात रय चाट।।
2-
बुढ़की बेरां आँग में,
जो जन तिली लगाय।
सुखी सदाँ बौ जन रहै,
रोग दोष मिट जाय।।
3-
तिली मिला गुर में लयी,
पपड़ी लयी बनाय।
लडुआ डिब्बा धर लयै,
सबखौं दयै खबाय।
4-
बुढ़की कौ त्यौहार तौ,
आतन मन हरसात।
तिली लगा सपरें सभी,
खूब सूटकें खात।।
5-
तिली बिना होता नहीं,
बुढ़की कौ त्यौहार।
लमटेरा की तान बिन,
सूनौ पर्व हमार।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
[14/01, 5:47 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)१४/०१/०२३
 अप्रतियोगी दोहा 
बिषय=तिली /तिल बुंदेली दोहा 
१=बन्न -बन्न कौ गाउते ,पैलउ लोग लुगाइ ।
मेला देखन जात्ते ,भजिया तिली मगाइ ।।
२=खिचरी लडुआ गुड़ तिली ,होत हतौं घर खूब ।
अबतौ फसल हिरा गई, रैगइ बुड़की डूब ।।
३=घर नल कुँआ नहात है ,तीरथ "दाँगी" धाम ।
सबकौ पुण्य पिताप है ,तिली लगायें चाम ।।
४=बन्न बन्न के बनत्ते,पैलउँ लडुआ भौत ।
मैगाइ नैं मार दियो ,तिली  हो गई सौत ।।
५=काँलौं "दाँगी" मोल लैं ,तिली फायदे मंद ।
सौटेजी हर चीज में ,भले होय जा बंद ।।
६=सौ अरब रूपया करें ,नेतन पै हो खर्च ।
नइँ मानों तौ देखकैं ,"दाँगी" तिली असर्च ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[14/01, 6:47 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
~~~~~~
विषय- तिली (तिल)
~~~~~~~~~~~~
गुड़ में तिली मिलाय कै,प्रभु खौं  भोग लगाव।
लड़ुआ  खाओ रोज तुम, जाड़ौ  दूर  भगाव।।

तनक  मनक सो रूप है, काम करत हैरान।
जाड़ौ कौ वरदान है, तिली गुणन की खान।।

चना रिझाउत है तिली, ब्याव रचा ले संग।
उजरे  हम हैं कत  तिली, तेरो साँउर  रंग।।

~विद्या चौहान
[14/01, 6:48 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: संक्राती के अवसर पर तिल पर दोहे.
1.

"तिल के  फल की,जानियो, एक अनोखी बात,
कच्चे में तोड लो इसे,       पकतई  छितर जात."

2.

"भोत सकारे,जाग के,  नदिया सपरे जात,
तिल गुड  रोटी घर बनी,मों से स्वाद न जात."

3.

"वाणी ऐसी,बोलिये,  जो मन को भा जाय
तिल गुड की जे,चासनी,मुंह में घुलती  जाय."

4.
"तिल को उबटन,लीजिये,रगड सरीर नहाय,
लड़ड़ू खाबे, में तबइ,     मजा भोतई  आय."

5.

"भीम कुंड  में,भरत है,  मेला हर सकरात,
तिल गुड पट्टी मिलत,है, खाबे मन ललचात."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे
[14/01, 7:36 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *अप्रतियोगी दोहे*
विषय - *तिली*

*१*
सोने को तुम *हार* दो,
      तौ लौं नइँ जैं *हार*।
तिली मिली ती मूँग में,
       बीन-बीन गई *हार*।।

*२*
तेली के घर भइ तिली,
     धानक कें भइ धान।
चढ़ा तखइया सेट ने,
      लई अटारी तान।।
*३*
कारो तिल गोरो बदन,
       करमासन को घाट।
बुड़की लुड़की भोर सें,
     तिली के हो गय ठाट।।
*४*
लुचइँ, ठडूला, इँदरसे,
     तिल लड्डू, नमकीन।
स्वाद भरी सकराँत है,
     तवियत भइ रंगीन।।

   *संजय श्रीवास्तव* मवई 
       १४-१-२३😊दिल्ली
[14/01, 7:59 PM] Sr Saral Sir: बुंदेली दोहा विषय -तिली 

तिली लगा बुड़की लिऔ,करिऔ दीनन दान।
हात जोर  करिओं विनय, खुश राखै भगवान।।

तिली भूँज लडुआ बनय,कड़ गय बुड़की लेन।
माते  जू  आँगें   चलें,  पछया   गइ   मातेन।।

लडुआ धर कै घाट पै, मल मल तिली लगायँ।
डुपकी  लै  लै  कुण्ड  में , हल्के   बड़े  नहायँ।।

आसुन है माँगी  तिली, बिक  रइ दो  सै पार।
सबके  अच्छे  आय  दिन, कै  रइ  है सरकार।।

बुड़की  कों  मेला  लगों, *सरल*  देखवे  जायँ।
लडुआ  लयँ  हैं लाइ कै, बैठ  तिली के खायँ।।

    एस आर सरल
        टीकमगढ़
[14/01, 8:26 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: अप्रतियोगी दोहे
विषय:-तिली (तिल)
तिली लाइ उर चून के,लड़ुआ बॅंदबें ऐन।
बुड़की -बुड़की सी लगै,जब घर होबै बेन।।

तिली लगाकें आंग में, फिर मारी बमछार।
भीमकुण्ड में जा गिरे, भारी भरी दहार।।

सपरखोर कें घाट पै,खिचरी कर द‌इ दान।
तिली चढ़ा शनिदेव खों,ऊॅंगत पूजे भान।।

तेल तिली को मूड़ में, पटियां पारत जांय।
छोर कलेवा जुट गए, उर लम्टेरा गांय।।

बीसक लड़ुआ तिली के,सारी हसकें ख्वांय।
लगे ढाॅंड़बे आनकें, बैद समझ नै पांय।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
पटल के समस्त विद्वानों को मकर संक्रांति बुड़की की आत्मीय अनंत शुभकामनाओं सहित  हार्दिक बधाई।🙏🌹
[14/01, 8:34 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: अप्रतियोगी दोहे-तिली (तिल)
************************
चिकनी माटी संँग रुई,
            कुट-पिट हतीं उदास।
हिली-मिली संगै तिली,
          कर दव दिव्य प्रकास।।
************************
गादर काटत सब तिली,
             जो किसान हुसयार।
कय कै चिटकी खेत में,
              चिटियाँ लेत उतार।।
************************
अब लौ हमनें काउकौ,
           करिया तिल नइँ खाव।
पूत  कैत  माँ-बाप  सें, 
            जैसइ  होतइ  ब्याव।।
************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[14/01, 9:04 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,तिली,,
*****************************
तिली पीस तन पै मलो , तनक लगन दो घाम
सपरों नोने हिलुरकें , भजलो राधे श्याम
******************************
तिल लगाव तिल दान दो , जल में तिली चढ़ाव 
भूंज भर्र गुर में तिली , लडुआ बांदौ खाव
********************************
हिलिमिली घुस गई तिली , कोलू छेद मझार
कुचर जाठ ने पेर दइ , कड़ी तेल की धार 
*******************************
तिली सरसुआँ को लिखत , आसुन ब्याव प्रमोद
मूंगफली मौगी परी , राइ भरा रइ गोद 
********************************
तिली मिली ममआँवरे ,भर भादौ की रैन
मूंगफली ढूंढत फिरै , कितै हिरा गइ बैन
*********************************
मुरका में मउआ तिली , मिला मुराकें खात
बुंदेली मैं कलेवा ,जो प्रमोद हो जात
******************************
लटा चना मउआ तिली ,घी किनायनो डार 
धमक लेत पिरमोद जब , खुशबू देत डकार
*******************************
            ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
            ,, स्वरचित मौलिक,,
[14/01, 9:15 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-96*
शनिवार, दिनांक-14/01/2023
विषय- *तिली (तिल)*
संयोजक -राजीव नामदेव _राना लिधौरी'
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
बुड़की लै रय लोग हैं , तिली लगा   कें आज।
केउ जनें पौचे नदी , निपटा कें सब काज।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
*2*
"तिल के  फल की,जानियो एक अनोखी बात।
कच्चे में न तोडे तो,पकतई  बिखर जात।।
***
सुभाष बालकृष्ण सप्रे, भोपाल
*3*
मूँग  चना  उरदा तिली,  खेतन  में  लहराय।
निपटै कर्जा ब्याव सब, सोंच कृषक हर्साय।।
***
विद्या चौहान, फरीदाबाद
*4*
मले तिली-उबटन धना, उठे प्रात  सकरात ।
मेला देखन जाउने, जगत  रई  सवरात ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*5*
तिली तेल तन तन मलौ,तन की तुक बन जाय।
तिली तेल में तला कें,रोज ठड़ूला खाय।।
***
#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
*6*
गोरी नारी तिली को , करिया तिल से ब्याव।
खरी तेल ईसें कड़ो  , घी सँग उये जलाव।।
***
प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
*7*
भूँज तिली,गुर मिला कें,लडुआ खूब बनाव।
सपर खोर कें खाव तुम,फिर लमटेरा गाव।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*8*
अंग अंग मलकै तिली,डुपकी कुण्ड लगायँ।
लडुअन की छिटकी चढ़ा,बैठ घाट पै खायँ।।
***
     -एस आर सरल,टीकमगढ़
*9*
उतरायण सूरज भये,नाचे डोर पतंग।
लड़ुआ हैं गुर तिली के,बालक भरे उमंग।।
***
- आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*10*
हबन तिली सें होता है, लडुआ कोउ बनायँ।
तिली तेल सनि देव खों,उनके भक्त चडायँ।।
***
डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*11*
माघ मास में सूर्य जब , मकर राशि में आँय |
बुड़की  लैबै आँग में , पैलउँ  तिली लगाँय ||
**
सुभाष सिंघई , जतारा
*12*
खाव  तिली  होबै  भली, करवै  दूर  तनाव।
बुड़की में तन-तन तिली, तन में कूट लगाव।।
***
                 अमर सिंह राय, नौगांव
*13*

तन-तन करकें तन घुरो,तिली मिली ना तेल।     
जा किसान की जिंदगी,चल रइ धक्का पेल।।
     ***
     *संजय श्रीवास्तव* मवई  (दिल्ली)
*14*
तिली लेप कें   कुंड में,  बुड़की चलौ लगायँ।
शिव जी खों जल ढार कें, गुर उर तिली चड़ायँ।।
***

         ‌प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
*15*
तिली डेढ़ सौ सें बिकी, अब भइ दो सौ पार।
मैंगाई ने कर दओ, लडुअन खों बेकार।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव झांसी उप्र.
*16*

तिली लपैंड़ैं आँग में ,सुअर संग डुरयाँय ।
बुड़की कन्या रूप में ,मुँह में तिली दबाँय ।।
***
शोभारामदाँगी, नदनवारा
*17*
औरन  खों  दैबू  करे,  खूब   करत्ते   दान।
लै रय तिली दुकान सें,आसुन बेइ किसान।। 
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी(बुड़ेरा)
*18*
ऐक  लाइ, दो चूॅंन  के , और  तिली  के चार।
भोग लगा भगवान खौं ,लड़ुआ लो फटकार।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
*19*
जौ नर बुड़की के दिना,करै तिली कौ दान।
मिटत  दोष शनिदेव कौ, कहते वेद पुरान।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
*20*
गुर परिया लै हाथ में,पूँछत भाव कुरेद।
तिली तराजू में तुलै, करिया और सफेद।।
***
प्रदीप खरे टीकमगढ़

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