Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 10 जनवरी 2023

बेतवा (हिंदी दोहा संकलन) ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

[10/01, 8:06 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-मंगलवार।हिन्दी दोहा।विषय(११९)वेतवा(नदी)
नदी वेतवा ही प्रमुख, बुन्देलों की शान।
बिजली पानी पा सदा, हम करते  अभिमान।।
" हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[10/01, 8:26 AM] Jai Hind Singh Palera: #बेतवा पर दोहे#

                    #१#
गुजरी है भोपाल से,लेती चली विराम।
चरण पखारे बेतवा,राम ओरछा धाम ।

                    #२#
नगर ओरछा धाम है,बसत बेतवा तीर।
दर्शन राजाराम के,पुलकित  होय शरीर।।

                    #३#
तीर बेतवा के बसे,सांची शहर महान।
नगर भोजपुर ओरछा,संग देवगढ़ धाम।

                    #४#
बेत्रा शुक्ती बेतवा,शुक्तिमती निज नाम।
बेत्रबती पद चूमती,स्वामी राजा राम।।

                    #५#
माताटीला धुरवरा,राजघाट विख्यात।
पारीछा में बेतवा,पहुची रातोंरात।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[10/01, 9:20 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बिषय-बेतवा
10-09-2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
1-
मातु बेतवा पूजते, 
पहुंच ओरछा धाम।
मैया अपने लाल के,
 करती पूरन काम।
2-
मातु बेतवा का मिला,
हम सबको वरदान।
पानी की भरमार है,
है खुश यहाँ किसान।।
3-
यहाँ नगरिया राम की,
बसी बेतवा तीर।
पाप सभी मिट जात हैं,
निर्मल जाकौ नीर।।
4-
नदियों की महिमा यहाँ,
पूजत हर इंसान।
गंगा, यमुना, बेतवा,
करती हैं कल्यान।
5-
पापी धोकर पाप को, 
पा जाते सम्मान।
बहे बेतबा नीर जो,
देता पुण्य महान।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
[10/01, 10:19 AM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *हिंदी दोहे*
विषय - *बेतवा*

*१*
पुण्य नदी है बेतवा,
     पावन है इतिहास ।
उदगम स्थल झिरी है,
     विंध्याचल के पास ।।

*२*
मीलों चलकर बेतवा,
    यमुना में मिल जाय।
बूँद-बूँद सब सौंपकर,
    मन ही मन हर्षाय ।।

*३*
भाग्यवान है बेतवा,
    बसत ओरछा धाम ।
पुण्य धरा बुन्देखण्ड,
     राजा हैं श्री राम।।

*४*
मध्यप्रदेश में बेतवा,
     है नदियों की शान ।
हरी-भरी धरती रखे,
     जीव-जंतु जलपान ।।

*५*
मिली बेतवा से गले,
        हलाली अरु धसान ।
हिलमिल कर जलधार में,
       करें जगत कल्यान ।।

   *संजय श्रीवास्तव* मवई
       १०-१-२३😊दिल्ली
[10/01, 10:46 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार हिन्दी दोहा दिवस
विषय ,,बेतवा,,(नदी)
*******************************
तीर बेतवा के बसा , नगर ओरछा धाम
महाराज रघुवर तिलक ,करें प्रमोद प्रणाम
*******************************
वन संपदा विशालतम , लिए बेतवा गोद
पशु पक्षी जलपान कर , पोषित करें प्रमोद 
*******************************
अर्ध रात्रि में बेतवा , करती भीषण राग
प्रातः काल प्रमोद लख , चली उदधि को भाग
********************************
जीवन पथ में प्रेम का , मिला प्रथम उपहार
प्रमुदित पुष्प प्रमोद ने , लिया बेतवा पार
********************************
सरिता में सौभाग्य से , कर समुचित स्नान 
अर्पित पुष्प प्रमोद कर ,किया बेतवा मान
*******************************
महा ऋषि राजेंद्र की ,धेनु प्रमोद तमाम 
नित्य बेतवा जल पिऐं , बसती सुरभी धाम
********************************
      ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
      ,, स्वरचित मौलिक,,
[10/01, 11:28 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: हिंदी दोहे
विषय:-बेतवा
भारत मध्यप्रदेश में, नगर ओरछा धाम।
कल -कल बहती बेतवा, ब्राजे राजाराम।।

सिंध बेतवा केन संग, रेवा और धसान।
पुण्य दायिनी हैं सभी,बुॅंदेलखंड कि शान।।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
[10/01, 11:39 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: हिंदी दोहा विषय -बेतवा (नदी)
(१)
विंध्याचल से चल पड़ी,कल-कल करती गान।
कहलाई   है  बेतवा   ,  करते   वेद   बखान।।
(२)
वसा  बेतवा  तीर  पर  , नगर  ओरछा  धाम ।
जहाॅं   राजसी  भेष   में  ,  राजे   राजा राम ।।
(३)
वरदानी  माॅं   बेतवा  ,  पावन  निर्मल   नीर ।
गंगा सम फलदायिनी , हरतीं सब  की  पीर ।।
(४)
यमुना में मिल  बेतवा , श्याम वर्ण  हो जाय ।
जहॅं गंगा यमुना मिलीं , वह संगम कहलाय।।
(५)
कल-कल करती बेतवा ,अविरल बहती धार।
हरी भरी  धरती  रहे , वन उपवन  गुलजार ।।

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
 ( स्वरचित ) 10/01/2023
[10/01, 11:47 AM] Vidhaya Chohan Faridabad: हिंदी दोहे
~~~~~
विषय- बेतवा (नदी)
~~~~~~~~~~~
१) 
दोनों  तट  को  बेतवा,  बेबस  रही  निहार।
साथ चलें  हैं  दूर भी, मिला  न पायी  धार।।

२)
दुहिता तटिनी बेतवा, जनक विंध्य के शैल।
धोया जल में तन मलिन, चित्त समाये मैल।।

३)
गिरि से धरती पर उतर, चली लिये विश्वास।
शहर  गाँव  में  बेतवा, तृप्त  करेगी  प्यास।।

४)
चली लहर कर बेतवा, चंचल शोख़ स्वभाव।
मनमौजी   मझधार  में,  डगमग   डोले  नाव।।

५)
गंगा    यमुना   बेतवा,   संयम   साधे   तीर।
देते   जीवन   मंत्र   भी, चलने   की  तदबीर।।

६)
वेत्रवती   के  नाम  से,  एक   नदी   प्राचीन।
विदिशा, साँची, ओरछा, तट पर हैं आसीन।।

~विद्या चौहान
फ़रीदाबाद, हरियाणा
[10/01, 11:48 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिंदी दोहा बिषय:- बेतवा*
*1*
बोल  बदलती  बेतवा ,  नगर   ओरछा आन |
यहाँ   कंचनाघाट पर , #राना   है प्रतिमान |।
      
( ओरछा में कंचनाघाट  पर , सुबह दोपहर शाम रात , में बेतवा के बहने के सुर अलग अलग होते है )
***
*2*
वेत्रवती   है   बेतवा , #राना    है  इतिहास |
चेदि राज्य की पूज्यता , रखती अपने पास |।

(चेदि राजाओं नें बेतवा नदी को विशेष बहुमान दिया है )
***
*3*
#राना आकर  ओरछा,    हुई   बेतवा  धन्य |
राम चरण इसने छुए   , जागा अनुपम  पुन्य ||
                  ***
*4*
माताटीला बाँध से , इसका   उन्नत भाल |
नगर औरछा बेतवा , दिखता रुप विशाल  ||
               ***
*5*
नौसेना ने रख लिया , युद्धपोत का नाम |
आईएनएस बेतवा , सागर में   अविराम ||
*
(बेतवा नदी के सम्मान में, भारतीय नौसेना ने अपने एक युद्धपोत का नाम आईएनएस बेतवा भी रखा है।)
**दिनांक-10-1-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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[10/01, 12:05 PM] Subhash Singhai Jatara: ॐ नम: वेत्रवती (बेतवा)  पवित्रों पवित्राय वास्तुनिष्ठ मोक्ष जलधाराय‌  नमो नम: 

हिंदी दोहा दिवस , विषय‌ बेतवा (नदी ) 


उद्गम  जानो      बेतवा ,       रायसेन    आबाद |
झिरी   बहेड़ा   ग्राम से  , इसकी शुचि बुनियाद ||


रातापानी वन   झिरी ,   अभयारण्य  विहार |
यहीं  प्रकट है   बेतवा  , आगे  फिर  कोलार ||

जलधारा शुचि बेतवा  , कितने तथ्य विशेष |
उत्तर   पूरव  में   बहे ,  रहे  वास्तु   परिवेश ||

नदी  बेतवा  शान   है , गरिमा    मध्य  प्रदेश |
ठहरी‌ कुछ भोपाल में , आगे   बनी    विशेष ||

विदिशा कुरबाई  बहे  , बीना     बाँटे  प्यार   |
राजघाट पर   बेतवा ,    करती   है    शृंगार ||

ग्यारह  नदियाँ बेतवा , मिलकर   देती‌  मान  |
प्रमुख जामनी जानिए , सँग में  सुनो धसान ||

है   हमीरपुर  पूर्व   में , यमुना  की  जलधार |
मिलन बेतवा जब करे‌ , दिखती है  जयकार ||

पाँच शतक के मील का , लगता है अनुमान |
पावन करती एम पी ,    फिर यू पी प्रस्थान ||

क्षमा करें हम पांच दोहों में बेतवा जी को समाहित नहीं कर पा रहे थें | आठ लिख गये है  , फिर भी महिमा वर्णन अधूरा है 🙏

सुभाष ‌सिंघई जतारा 
~~~~~~~~~~
[10/01, 12:08 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)10/01/023
बिषय--बेतवा (नदी)हिन्दी
119
1=कल कल करती जा रही ,नदी बेतवा पास ।
राम जी के चरण छुऐ ,पास ओरछा खास ।।
२=अवध नगर सरयू बहै ,बसो गंग के तीर ।  
नदी बेतवा ओरछा,निर्मल"दाँगी" नीर ।।
३=नदी बेतवा तट बना ,सुंदर कंचन घाट ।
"दाँगी"निर्मल जल पिऐ, बंदर भरें उचाट ।।
४=स्नान करें मंदाकिनी ,चित्रकूट से धाम ।                             नदी बेतवाओरछा,बैठेराजाराम ।।
५=गंगा यमुना सरस्वती ,जमुना नदी महान ।
नदी बेतवा सिद्ध हुई ,"दाँगी"करें सनान ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[10/01, 12:11 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)10/01/023
बिषय--बेतवा (नदी)हिन्दी
119
1=कल कल करती जा रही ,नदी बेतवा पास ।
राम जी के चरण छुऐ ,पास ओरछा खास ।।
२=अवध नगर सरयू बहै ,बसो गंग के तीर ।  
नदी बेतवा ओरछा,निर्मल"दाँगी" नीर ।।
३=नदी बेतवा तट बना ,सुंदर कंचन घाट ।
"दाँगी"निर्मल जल पिऐ, बंदर भरें उचाट ।।
४=स्नान करें मंदाकिनी ,चित्रकूट से धाम ।                             नदी बेतवाओरछा,बैठेराजाराम ।।
५=गंगा यमुना सरस्वती ,जमुना नदी महान ।
नदी बेतवा सिद्ध हुई ,"दाँगी"करें सनान ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[10/01, 12:11 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: हिंदी दोहा.
बिषय- बेतवा.

सब नदियों में बेतवा, रखे इतै इस्थान/
तीर बसै श्री राम जी, राजा बने महान//

तीर बेतवा पे बसै, कैऊ नगर सु-ग्राम/
बुंदेली गंगा परम, बहती ललित ललाम//

बुंदेली सिंचित धरा, करती है अविराम/
धन्य बेतवा पर बसै, हरि के सुदर धाम//

बुझा रही जो बेतवा, तन की मन की प्यास /
कै पावे वो कौन कवि, ई को अब इतिहास//

बंदन करके बेतवा, दोहा में कुछ छंद/
कवि लिख कें कुछ बांट रय, जीवन को आनन्द//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[10/01, 2:26 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी  दोहे   विषय  बेतवा

झिरी बहेरा में झिरी , मृदु शीतल जल धार।
नदी बेतवा रूप में , किया बहुत  विस्तार।।

बेंतों की वृक्षावली , शोभित ललित ललाम।
बेत्रवती अरु बेतवा, मिला इन्हीं से नाम।।

कलियुग में गंगा यही , पतित पावनी धार।
करने को मां बेतवा  ,  आईं   हैं   उद्धार।।

आकर श्रृद्धा भाव से , डुबकी  लोग लगायँ।
माइ बेतवा से सभी , धन वैभव यश  पायँ।।

राजघाट में  बेतवा  ,  करतीं  हैं  सिंगार।
पहुंच ओरछा राम के, लेतीं चरण पखार।।

         प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[10/01, 4:16 PM] Ramlal Duvedi Karbi, Chitrakut: दोहे
   विषय बेतवा नदी

विंध्याचल से निर्गता, सिंचित मध्य-  प्रदेश ।
धवल नी र कल - कल करे, धोती यमुना केश।1

दक्षिण दिश गि रि विंध्य से, निकल बेतवा मात ।
रामरजा सरकार के, गीली करती गात।2

 राज रहे प्रभु ओरछा, रामरजा सरकार ।
पैर धो रही बेतवा, चहुं दिश जय जय कार।3 

नदी बेतवा बह रही, विदिशा अरु भोपाल ।
श्रृंगारित कर ओरछा, पुर हमीर रुकि चाल।4

 प्रायः नदियां ढो रहीं, गंदे का अंबार।
 वहीं बेतवा हर्ष दे, बहती निर्मल धार। 5

 स्वरचित /मौलिक 

रामलाल द्विवेदी प्राणेश 
 कर्वी चित्रकूट
[10/01, 4:17 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: बेतवा पर दोहे
1.

"झिरी से हुआ,बेतवा,  नदी,का है उदगम,
पतली धारा,थी कभी,  अब बढा है दम खम."

2.

"दिल में इसके,प्यार है,लोग भोले भाले
पाट बेतवा का बडा, सभी को संभाले."

3.

"पूज्य सबको,राम जी,ओरछा है निवास,
बेतवा नदी,देखिये,     नित्य करे अरदास."

4.

"टीकम गढ के,पास ही, परम सर्वोच्य धाम,
खेत गांव के,सींचती,    करे पुण्य का काम."

5.

"हमीरपुर के पास ही,यमुना में ये मिले,
कहती है ये,छोड अब, सारे गले शिकवे."
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे
[10/01, 5:25 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: मंच को सादर नमन 🙏
🌹हिन्दी दोहे, विषय-वेतवा🌹
*************************
निर्मल शीतल अनवरत,
                 बहे   वेतवा   नीर।
जिसमें मज्जन से मिटे,
           जन तन-मन की पीर।।
*************************
चली  विहँसती  वेतवा,
           निशि-वासर अविराम।
बड़ी बहन से जा मिली,
            यमुना जिसका नाम।। 
*************************
नहीं  वेतवा-सी  नदी, 
             इस प्रखण्ड में अन्य।
बुन्देली   पावन   धरा,
            हुई सभी विधि धन्य।।
*************************
प्रथम वेतवा स्नान कर,
            करते   भक्त   प्रणाम।
पुनि दर्शन कर राम के,
             पाते फल अभिराम।।
*************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[10/01, 6:26 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: हिंदी दोहे
विषय -वेतवा
1-नदी बेतवा की सभी ,
करते जय  जयकार।
बृज बुंदेली भूमि पर,
जिसका अति उपकार।
2-झिरि ग्राम सें झिरि बृज,
नदी बेतवा नाम।।
धरा बुंदेली सींचतीं,
पूरण करतीं काम।
3-नदी बेतवा का सभी ,
करते हैं सम्मान।
बृज बुंदेली भूमि पर,
बहती परम महान।
4-सदियों से नदियां यहांँ,
रखतीं सबका ख्याल।
नदी बेतवा नीर बृज,
बना रहा खुशहाल।
5-प्रमुख तीर्थ स्थल नगर,
बसें बेतवा तीर।
नर नारी स्नान कर,
निर्मल करत शरीर।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[10/01, 7:00 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: रायसेन उद्गम जिला , सूबा  मध्यप्रदेश ।
तृप्त बेतवा माँ करे , उत्तर दिशि परिवेश ।।

साँची विदिशा देवगढ़ , एरच पुरम हमीर ।
नगर ओरछा धाम शुभ , बसौ बेतवा तीर ।।

रामलला  सरयू  तटी , बसे  बेतवा  तीर ।
यहीं ओरछाधीश बन , हरते जग की पीर ।।

गंग बेतवा कूल पर , बनों कंचना घाट ।
दुनिया में मशहूर है , खण्ड बुँदेली ठाट ।।

नदी बेतवा जामुनी , जुडी़ं ओरछा पास ।
बरुआसागर इसलिए , है उपजाऊ खास ।।

रिवर बेतवा पर बनें , पोषक  बाँध  विशाल ।
झाँसी जनपद लल्तपुर,कोंच उरइ खुशहाल ।।

दर्शनीय थल हैं बहुत , नदी बेतवा तीर ।
तृप्त जीवधारी सभी , हरी-भरी जागीर ।।

सरी बेतवा ओरछा , कुदरत के वरदान ।
बढा़ रहे हैं विश्व में , इकदूजे का मान ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
[10/01, 8:18 PM] Amar Singh Rai Nowgang: हिन्दी दोहे - बेतवा (नदी)


नदी बेतवा है बड़ी, लम्बा  इसका  पाट।
नगर कई तट पर बसे, होता चौड़ा घाट।

उद्गम स्थल है झिरी, रायसेन  का ग्राम।
जो है मध्य प्रदेश में, नदी बेतवा नाम।।

नदी बेतवा बह रही, उत्तर मध्य प्रदेश।
कई कारणों से इसे, माने लोग विशेष।

नदी किनारे बेतवा, नगर ओरछा  धाम।
उप-अयोध्या भी कहें,जहां विराजे राम।

गंगा मध्य प्रदेश की,कहते इसको लोग।
राजघाट बंधा बंधा, है आश्रित उद्योग।।

प्रमुख नदी है बेतवा,उप-नदियां लो जान।
एक हलाली नाम है, दूजा  नाम  धसान।।

नदी बेतवा जा मिली, यमुना जी के साथ।
भारतीय हैं पूजते, झुका- झुका के माथ।।

मौलिक/
                     अमर सिंह राय
                           नौगाँव

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