Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 3 जनवरी 2023

बाबूजी (हिंदी दोहा संकलन) ई-बुक- संपादक- राजीव नामदेव राना लिधौरी

संजोजक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

[03/01, 8:16 AM] Amar Singh Rai Nowgang: हिन्दी दोहे - बाबू जी (पिता जी)
   दिनाँक - 03/01/2023

बाबू जी दिखला गए, सत्य  धर्म  की  राह।
रहो डटे सतमार्ग पर, बिना किसी परवाह।।

बाबू  जी  दिल  के  धनी, वक्ता  रहे  महान।
कई जिलों में नाम था, सामाजिक था ज्ञान।

मुँह देखी  बोले नहीं, बोला  मुँह  पर  सत्य।
बाबू जी का ध्येय था, सहना नहीं अकृत्य।।

नई  सीख  देता  रहा, बाबू  जी  का  क्रोध।
नहीं  रहे  संसार  में, तभी  हुआ यह बोध।।

बाबू जी जब से गए, कुनबा  हुआ  अनाथ।
गया आत्मबल आसरा,था जो सर पर हाथ।

असमय जाने पर हुआ, असहनीय संताप।
बाबू जी के अंत पर, मिला कष्ट अनमाप।।

बाबू जी दिल में बसे, करूँ नित्य मैं ध्यान।
जो मेरे आदर्श थे, उनका  किया  बखान।।

मौलिक/
                          अमर सिंह राय
                        नौगांव, मध्यप्रदेश
[03/01, 8:27 AM] Subhash Singhai Jatara: विषय‌ - बाबू जी (पिता जी )

बाबू जी श्रीफल लगें , दिखते बड़े  कठोर |
नीर मृदुल भीतर भरा , लेता सदा हिलोर ||

बाबूजी  हैं  बाँटते   , अनुशासन   का पाठ |
कड़क रखें चेहरा सदा , देनें सुत को‌ ठाठ || 2

बाबूजी छाती रखें ,   गहरी   और   विशाल |
जिसके अंदर सुत सदा , होता रहे निहाल ||3

अनुभव को साँझा करें  , सदा सुतों के साथ | 
बाबू जी जब तक रहें   , कोई  नहीं  अनाथ  ||4

नेक विरासत  के धनी‌,  बाबू   जी  भरपूर |
पथ अनुगामी जो बने ,  बनता जग में नूर  ||5

सुभाष सिंघई 
~~~~~~~~~
[03/01, 9:02 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन -मंगलवार।विषय-बाबूजी(पिता जी)
पिता के प्रति-
बाबू जी को सुत सभी, होते एक समान।
कोई सुत रूठे नहीं, रखे सदा यह ध्यान।।१
हर सुत को देता रहे, लेना समझे पाप।
कभी स्वप्न में ले नहीं, वह कहलाता बाप।।२
है पितु का कर्त्तव्य यह,जो कुछ उसके पास।
सदा समान देता रहे,रखें न कुछ भी आस।।३
सुत के प्रति-
पिप्पल से कह सुकर्मा,सुनहु सत्य यह बात।
सेवा ही पितु मातु की,दे सुत को सुख सात।।४
अनुष्ठान अरु यज्ञ से,फल जो सुत जग पाय।
पितु की सेवा मात्र से,बिन प्रयास पा जाय।।५
पितु समीप प्रयाग है, दर्शन पुष्कर मान।
पावन फल हर तीर्थ का, पितु सेवा ही जान।।६
"हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य
[03/01, 10:40 AM] Vidhaya Chohan Faridabad: हिंदी दोहे
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विषय- बाबूजी (पिताजी)
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लाख  मुसीबत  हो खड़ी, या  आये तूफ़ान।
बाबूजी   रोके   रहे,  बन   सशक्त  चट्टान।।

बाबूजी  के  राज  में,  हम  तो  थे  धनवान।
थोड़ा  ही  था  जेब  में,  पूर्ण  किये  अरमान।।

बाबूजी  के  हाथ  से,  होती  धन   बरसात।
खेल-खिलौने ढेर भर, ख़ुशियों की सौग़ात।।

बिंदी, बिछिया, चूड़ियाँ, गले स्वर्ण का हार।
बाबूजी   सौभाग्य   हैं,  माँ  का  हर  शृंगार।।

बाबूजी   वट  वृक्ष   से,  देते   शीतल  छाँव।
कड़ी  धूप  में  आसरा, मिला सुरक्षित ठाँव।।

कहते  बाबूजी  सदा, सत्य  वचन  ही बोल।
जीवन के  सिद्धांत का, ज्ञान  दिये अनमोल।।

बेटे  हों  या  बेटियाँ,  सब  हैं   एक  समान।
बाबूजी ने  सिद्ध कर, दिया तथ्य  को मान।।

~विद्या चौहान
[03/01, 11:00 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिंदी बिषय:- बाबू जी (पिताजी)*
*1*
बाबूजी घर की सदा , #राना  है बुनियाद |
पहले उनका मान है  , फिर कोई  है बाद ||
*2*
बाबू जी #राना  सदा ,   रखें  खोलकर नैन |
खबर सदा अच्छी रहे , मिलता उनको चैन ||
*3*
बाबू जी की जब छड़ी , हल्के से दे  चोट |
समझो कोई काम में , आई #राना  खोट ||
*4*
बाबू जी   की   बात है  , #राना  बजनीदार |
अनुभव के   हैं  देवता   , सबको है  उपहार ||
*5*
बाबू जी  के  सामने , हम  बबुआ कहलाँय‌ |
#राना  घर आनंद है , सबको  यही  सुनाँय ||
*** दिनांक-3-12-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
[03/01, 11:24 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 हिंदी दोहा 🥀
     (विषय- बाबूजी)

रिश्ते नाते माप कर,
    देख लिया संसार।
माता सी ममता कहाँ,
    बाबूजी सा प्यार।।

जीवन के दाता सरस,
      रखते पूरा ध्यान।
बाबूजी हैं जगत में,
    बच्चों के भगवान।।

वृद्धाश्रम में घुट रहे,
     बाबूजी के ख्वाब।
खत का भी बेटा कभी,
      देता नहीं जवाब।।

जिस घर में बेटा रखें,
      बाबू जी का ध्यान।
देव रहें अनुकूल सब,
     घर हो स्वर्ग समान।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[03/01, 11:29 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
        विषय ,,बाबूजी,,
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बाबूजी के साथ हम ,नजर बाग गय शाम
शिव दर्शन पिरमोद कर ,खाए मीठे आम
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झिरकी बगिया गए कभि, हम बाबू जी साथ
रस्ते में पिरमोद का ,पकड़े रहते हाथ
********************************
अब प्रमोद बैठो यहाँ, अंग्रेजी बतलात
बाबू जी देकर कलम , अक्षर ज्ञान सिखात
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गए पहाड़ा भूल जब ,बाल खींचते गाल
बाबूजी पिरमोद को , प्रमुदित रहे संभाल 
*******************************
बाबू जी नहला रहे ,मेला आऐं घूम
मालिश कर पिरमोद तन ,लेते माथा चूम
*******************************
जबतक बाबूजी रहे ,था प्रमोद बेजोड़
अब अशेष यादें रही , चले गए वह छोड़
*****************************
बाबू जी के श्री चरण ,करता जो स्पर्श 
पाता सदा प्रमोद वह, जीवन भर उत्कर्ष
******************************
        ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
        ,, स्वरचित मौलिक,,
[03/01, 2:30 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *बिषय-बाबूजी*
03-12-2022
*प्रदीप खरे, मंजुल*
%%%%%%%%%%
1-
बचपन में हम खेलते, 
बाबूजी के साथ।
बातन में बिलमा रहे, 
लयै खिलौना हाथ।
2-
खुशी-खुशी सहते रहे, 
सारा अपना दर्द। 
बिरले बाबू जी रहे, 
बढ़े रहे खुदगर्ज।।
3-
घर की मेरी शान हैं,
पूजैं दिन अरु रैन।
बाबू जी तो देव हैं,
लागैं प्यारे नैन।।
4-
रौनक घर की आप से,
बँधी आप से डोर।
बाबू जी की का कहें,
जितना कय सो थोर।
5-
रूखी सूखी खाय कैं,
करत रहे सब काज।
बाबू जी के प्रेम में,
भूले सुख दुख आज।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
[03/01, 3:02 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा
विषय -बाबूजी
1-बाबूजी परिवार का,
हर पल रखते ध्यान।
अपना भी कर्तव्य बृज,
करें मान सम्मान।
2-बाबूजी की सदा ही,
आती रहती याद।
बर्बादी से बचाया,
किया सुखद आजाद।
3-बाबूजी की जीवनी,
सुन्दर अमित मिसाल।
बृजभूषण मनमोहनी,
पक्ष पात न जाल।
4-बाबूजी की सादगी,
साधारण वर्ताव।
कायम श्री सद्भावना,
नहीं बृज देखा ताव।
[03/01, 3:02 PM] Asha Richhariya Niwari: हिंदी दोहा दिवस दिनांक 3.1.2023प्रदत्त विषय बाबूजी
🌹
जब तक बाबूजी रहें,रहे तभी तक ऐश।
फिर तो बस संघर्ष है,हो चाहे जितना कैश।।
🌹
बाबूजी सा दूसरा,जग में नहीं दिखाय।
कद काठी में रौब था, दुःख में रहे सहाय।।
🌹
माता का श्रंगार थे,चूड़ी बिंदिया मान।
जब से बाबूजी गये,सब सपाट वीरान।।
🌹
बाबूजी के शिष्य गण,उनका करते मान। 
शिक्षक थे वरद् हस्त थे,थे गुरु जन की शान ।।
,🌹
बाहर से तो कठोर हैं,भीतर से हैं मोम।
बाबूजी सूरज बनें,बने कभी बे सोम।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻🌹
[03/01, 3:36 PM] Jai Hind Singh Palera: #बाबूजी पर दोहे#

                    #१#
अनुशासन  में मैं रहूं,पढूं लिखूं दिल खोल।
कभी नहीं भूलें मुझे,बाबू जी के बोल।।

                   #२#
बाबू जी मेरे भले,रखते मेरा ख्याल।
खर्च पढ़ाई भेजते ,रकम मुझे तत्काल।।

                     #३#
दिन प्रति दिन पाते रहें,भाई बहिन नित प्यार।
शीतल चंदन सा लगे,बाबू जी ब्योहार।।

                    #४#
बाबू जी छाया मेरी,माता ममता खान।
दोनों की हम पाई  है,मनमोहक मुस्कान ।।

                    #५#
बाबू जी सुन लीजिये, पत्र लिखा सब हाल।
आग लगा मन मीत ने,घासलेट  तन डाल।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[03/01, 3:43 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा -बाबू जी
                  01
बाबू जी सेवा करी ,सुबह नहीं तो शाम ।
सुखमय जीवन बीतता, पावत है निजधाम ।
                   02
जिस घर में है पूजते, बाबू जी के पांव ।
कुशल क्षेम रहती सदा ,रहे प्यार की छांव ।
                      03
 साक्षात देव है सुनो ,बाबू जी कहलाय ।
सेवा उनकी तुम करो , जनम धन्य हो जाय।
                      04
 जिस घर के जन-जन रखें ,बाबूजी का मान ।
 घर ना ही वह स्वर्ग है , रहते देव समान। स्वरचित 
डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "
छतरपुर।
[03/01, 3:47 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी  दोहे  विषय  बाबू जी (पिता जी)

बाबू  जी  देते  रहे, अनुभव   रूपी  ‌ज्ञान ।
हम सबके अरमान थे , आन बान अरु शान।।

बाबू जी जब साथ  थे ,  रहे  दुखों से  दूर।
उनके जाते  ही  हुए ‌,   सपने   चकनाचूर।।

बाबू जी के साथ ही  ,  छूट  गया है  गांव।
छूटी पनघट की डगर,  वट ‌ पीपल की  छांव।।

दीवारें हँसती   दिखीं ,  मुस्काता  सा  गेह।
बाबू जी के नेह का ,  रहा ‌ बरसता  मेह।।

मेरे   बाबू  जी   रहे ,  शिक्षक   एक  महान।
भव्य दिव्य व्यक्तित्व था,  भारतीय  परिधान।।

           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ 

 ,
[03/01, 5:25 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: पांच दोहे. बाबूजी.

बाबूजी धीरें चलें, सबका रखते ध्यान/
आज बुढापा घेरता, जो घर की हैं शान//

बाबूजी मुझसे भले, जाकर रहते दूर/
कभी -कभी ही मिल सकें,उनसे इंदु जरूर//

बाबूजी की बात हर, अपने जहन उतार/
जीवन यह सुधरा भला, अच्छा बुरा विचार//

बाबूजी घर के बडे़, उनसे सबकी शान/
आफत में वे साथ दें,पग-पग बता निदान//

बाबूजी घर जब कभी, आते खुश सब लोग/
भूल दर्द अपने सभी, दें सेवा संयोग//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[03/01, 5:48 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: हिंदी दोहा
विषय: -बाबूजी (पिताजी)
गिनती गा मा दूनियाॅं,हाॅंथ पकड़ सिखलांय।
जो बाबूजी कह ग‌ए,उसे भूल ना पांय।।

बाबूजी कहते सदा, कर्म करो नित नेक।
जैसे फल देते तरू,मारत पत्थर फेक।।

आज पश्चिमी सभ्यता,रही अधिक फल फूल।
सास ससुर नीके लगें,गय बाबूजी भूल।।

बाबूजी के साथ में, करने पहुॅंचे हाट।
ठग ने ‌मूरख ठग लिए,चतुर गय सब काट।।

माया मोह छल दंभ से, रय बाबूजी दूर।
सीख हमें वह दे ग‌ए,राम नाम है मूर।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
[03/01, 10:16 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ(म प्र)०३/०१/०२३
बिषय--बाबू जी(पिता जी)बुंदेली दोहा =११८ ,
१=गणेश
बाँध मेला अति ,नंदनवारा गाँव ।
बाबू जी के साथमें,"दाँगी"करते नाँव  ।।
२=अति उमंग मन भाव से,बाबू जी के साथ ।
जाते तीर्थ यात्रा ,"दाँगी" टेकै माथ।।
३=पाला मुझको प्रेम से,रखा हमेशा ख्याल ।
बाबू जी कि कृपा से,"दाँगी" माला माल ।।
४=बाबू जी को खुश रखो,"दाँगी" कहते बात ।
वात्शल्य दुगना मिले ,कभी न हो आघात ।।
५=बाबू जी की आग्या ,मानें घर के लोग ।
प्रेम रहे परिवार में ,"दाँगी" सा सुख भोग ।।
६=रामबाण सी औषधी ,है बाबू का प्यार ।
"दाँगी" सेवा में सदाँ ,मेवा खाए हजार ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[03/01, 10:16 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: दिनांक- 3 जनवरी 2023
 " महिला शिक्षा की प्रतीक   सावित्रीबाई फुले"
 

 महिला शिक्षा का प्रतीक थीं,
 खुद सावित्रीबाई।
 प्रथम शिक्षिका थीं भारत की,
 शिक्षा ज्योति जलाई।

 माता लक्ष्मी बाई आपकी,
 जिनसे जीवन पाया।
 महिला शिक्षा के प्रसार हित,
 आगे कदम बढ़ाया। 

 ज्योतिराव गोविंदराव सँग,
 कई विद्यालय खोले।
 हो प्रसार महिला शिक्षा का,
 उठे हृदय में शोले।

 महानायिका हैं भारत की,
 जिनकी अमिट कहानी।
 सामाजिक अपमान सहे पर,
 हार कभी ना मानी।

 खूब पढ़ाया कन्याओं को,
 जीवन दाँव लगाया।
 छुआछूत का भेद मिटाकर,
 जग में नाम कमाया।

 अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[03/01, 10:22 PM] Dr. Preeti Parmar Tikamgarh: बाबूजी घर के बड़े
  भजते रहते राम
  साथ हमारे वे खडे
  बने नहीं जब काम
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कम नंबर लाते जब
 बाबूजी हो  लाल
छड़ी हाथ में पड़े तब
सुजा देत  वह गाल
स्वरचित मौलिक डॉ प्रीति सिंह परमार

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