*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
गरी, चिंरोंचीं,औ फरा,दाखें देखौ डार।
मउअन की डुबरी बनें,बा मीठी रसदार।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी ,बडा मलेहरा
*2*
आँखन पै बिस्वास कर, सूरत पै ना जाव।
सखत गरी है बायरै, भीतर नरम सुभाव।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*3*
गरी मिठाई आजकल, सबइ लगाएँ भोग ।
नकली मावा है बिकत, खाबै सें हो रोग ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*4*
गरी सौंठ गुर चूँन में ,घी किनायनो डार ।
लडुआ धना बनाउँती , बुढ़की को त्यौहार।।
***
-प्रमोद कुमार मिश्रा, बल्देवगढ़
*5*
बुड़की के लडुआ बनैं ,गरी छुआँरे डार ।
दाख चिरौंजी डारकैं ,बनैं मखानैं दार ।।
***
शोभारामदाँगी, नदनवारा
*6*
गरी बाप को दिल रयै , नरियल चिहरा होय |
जाने सुत अहसास खौ , बाप बनै पर सोय ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
*7*
गरी खायँ ना गुलगुला,पइसा लैं ना हार ।
भगवन भूखे भाव के, ढारो अँसुअन धार ।।
***
*संजय श्रीवास्तव* मवई (दिल्ली)
*8*
तेल गरी कौ डार कें, रुच रुच पटियां पार।
कुसुम कली करबे चलीं,सखियन संग बजार।।
***
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
*9*
घी, जीरे गुर सौंठ लै, मेवा गरी मिलाव।
लडुआ बाँदौ चून के,संकराँत में खाव।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी 'श्रीकांत', निवाड़ी
*10*
घरी घरी में गरी कौ,मुरा मुरा लो स्वाद।
भोग लगै हर देवता,पूरी करत मुराद।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
*11*
गोरी की गोदी भरी,बैठी घूँघट डार।
हाथ गरी गोला लयै,गरे फूल कौ हार।।
***
-प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़
***
*12*
अछरू माता कुंड सैं , मौं मांगौ वर देत।
दाख लोंग निबुआ गरी,फल ,शुभ के संकेत।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*13*
दास कबीरा कै गए, सबसें साॅंसी बात।
जटा खपरियाॅं देव खों,गरी आदमी खात।।
***
भगवान सिंह लोधी अनुरागी,हटा, दमोह
*14*
उमर पचासी हो गई, रोजउॅं गरी चवात।
मौं में दाॅंत न एकऊ, सेंगी गुटकत जात।।
***
-रामसेवक पाठक'हरिकिंकर', ललितपुर
*15*
डार मखानें सौठ घ्यू, लडुआ हनकै खाव।।
फली छुआरे गुर गरी, खा खा ठंड छुटाव।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
*16*
हर खों नीको लगत है ,माघ मास है आव।
तिल सें शिव पूजन करो,गोला गरी चढ़ाव।।
****
- आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*17*
गरी छुआरा किशमिशें, पिस्ता और बदाम।
गुड़ आटा के संग में, लडुआ बने तमाम।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*18*
गरी बुरादा डार केँ , लडुआ रोजउँ खाव
बुड़की आ रइ आप भी , लडुआ खाबे आव
***
- वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
07/01, 9:17 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-शनिवार। बुन्देली प्रतियोगिता-95
उमर पचासी हो गई, रोजउॅं गरी चवात।
मौं में दाॅंत न एकऊ, सेंगी गुटकत जात।।
गरी गरे में अटक गइ, फॅंसी टेंटुआ जाय।
वा न भीतर जा रई, औ न बायरै आय।।
खूब उॅंगइयाॅं गरे में,पेंड़ी कैऊ बार।
तौउ न उलटी आ रही, मैं तौ गउ अब हार।।
अब तौ गरौ चिरावनें,अच्छी सुन ली राम।
पोंच जैंउ जल्दी उतै, सुनलइ है घनश्याम।।
हरिकिंकर
[07/01, 11:46 AM] Jai Hind Singh Palera: #अप्रतियोगी दोहे#
#१#
गरी देखकें देवता,होबें खूब प्रशन्न।
चड़ै नारियल चौंतरा,होंय कभउं ना खिन्न।।
#२#
गरी धरी ती डबुलिया,किस कें डारौ खीर।
खीर बनालो दूध की,या डारौ रसखीर।।
#३#
गरी चड़ै हर देवता,रोज नारियल फोर।
मेवन कौ सेवन करौ,रै देवन से डोर।।
#४#
गरी गरे में लग गई, जाबै तब जा आंस।
ठसका जो लग जाय तौ,लेबै फिर हरसांस।।
#५#
रोज गरी के तेल खों,बारन में लो डार।
जो घर में मिल ना सके,ल्याबै तुरत उदार।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द #
#पलेरा जिला टीकमगढ़ #
#मो०-६२६०८८६५९६#
[07/01, 1:24 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय- गरी (नारियल)*
*1*
#राना फौरे नारियल , निकरी गरी चढ़ात |
फिर परसादी बाँटतइ , सबरै मुड़ी झुकात ||
*2*
गरी मिलत मेवा बनें , नैंगचार जब हौय |
औली बिटियाँ की भरत , #राना वर की सौय ||
*3*
जीखौं कात किनायनौ , #राना गरी मिलात |
डारत हैं मिष्ठान में , स्वाद अलग से आत ||
*4*
तेल गरी कौ चीकनौं , #राना खूब लगात |
चिकटत नइयाँ बार है , साँसी बात बतात ||
*5*
धागा की निसरी मिलै , #राना दानेदार |
गरी मिला कै खाव जू , बढ़े बदन कौ भार ||
( धागा डालकर एक निसरी बनाई जाती है , जो स्वाद में भी कुछ अलग होती है )
*6*
#राना चिकनइ तन मिलै , गरी खात जौ लोग |
साठ मिनिट में दूर हौ , कंडियाइ कौ रोग ||
***दिनांक-7-1-2023
(कंडियाइ = लघुशंका में जलन होना इत्यादि )
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogsp
[07/01, 2:15 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: प्रतियोगी दोहे.
गरी बुरादा डार कें, बरफी करें जमाव/
ऊ खों मिठया बेंच रय,फिर खोया के भाव//
साबूदाना दूध में,ऊ ने खूब पकाय/
गरी छुआरे डार कें, तसमइ लई बनाय//
भोग लगावे खों गये, खूब करी फरियाद/
गरी देवतन खों चढी, पूरी होय मुराद//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[07/01, 2:20 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,गरी,,
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गोला गरी बगाज खों , कलाकंद श्री राम
वेल पात शिव खों सुमन ,शुभ प्रमोद सब काम
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गरी कंदारे में धरी , चिमदी जार उठाव
धनियाँ रेवरी सँग तुम , खालो हमें खुआव
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धनियाँ डारें मूंढ़ में,तेल गरी को ऐंन
बार ककइ सें ऊंछती , चउअर फरकत नैन
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ब्याव काज में नारियल , दइ देवतन खों जात
छिटकी डारी खुपट कें , गरी बराती खात
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शुगर दांत दिल हड्डियाँ ,करती गरी सुधार
कब्ज कैंसर रोकती ,बढ़े रक्त संचार
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गौंड़ गुरइयाँ घाट कें , खबबिश भूत परीत
छिटकी लेती सौदनी,गरी खुपट की रीत
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हलुवा में हिलरी गरी ,सूजी शक्कर सँग
धरी लटोर अकोर घी , दाखेँ भरत उमंग
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,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
[07/01, 3:54 PM] Subhash Singhai Jatara: गरी चढ़त जब देवता ,बनतइ नौनों योग |
बाँटत माँगत है सबइ , मानत सब है भोग ||
गरी बुरादा पान में , सँग में चमन बहार |
गोरी रच रय औंठ है , लगत बाग गुलजार |$
गरी गरीवन के गरै , बन कै आतई जोग |
बड़े प्रेम से खात बै , कत है मिल गव भोग ||
गरी गुर्र कै डार दइ , लडुआ लये बनाय |
मजा पड़त खाओ अगर , स्वाद अलग ही आय ||
सुभाष सिंघई
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[07/01, 6:25 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: शनिवारी दोहे
1-शक्कर की कर चाशनी,
बर्फी बृज बनायें।
गरी खूब किस लइ धरी,
काजू पीस मिलाय।
2-गरी नारियल खुरूरु,
खोपरा श्रीफल कात,
चना चिरौंजी लाई बृज,
मिला भोग बन जात।
3-किसी गरी बृज खात रव,
भारी गजब मिठाय।
पान के संगे खाय से,
छालौ तक मिट जाय।
4-पूजत रव देवी देवता,
नारियल गरी चढायें।
बृजभूषण मन कामना,
तब पूरी हो पाय।
5-गरी धरी मनयाइ जब,
गरी तेल पिरवाव।
नौनी कोंरी त्वचा रत,
बृज जब चाय लगाव।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[07/01, 7:17 PM] Amar Singh Rai Nowgang: दोहे - गरी, दिनांक 7/1/2023
खाव खूब कच्ची गरी, कमजोरी हो दूर।
आलस सुस्ती भागवें, मिलै जोश भरपूर।।
उल्टी मतली बंद हो, देवे भूख दबाय।
गरी दूधिया खाय सैं,बढ़ो वजन घट जाय।
गरी बतासा खाव जो, तौ आउत आनंद।
खात जाय ऐसो लगत, करै न खाबो बंद।
क्षमता प्रतिरोधक बढ़े, रोग होन नइँ देत।
रोज नारियल की गरी,दवा समझ जो लेत।
गुलकतरी गुलकंद सँग,डारो चमन बहार।
गरी बुरादा पान में, खाओ दो-दो दार ।।
धूप बैठ मालिश करौ, होय गरी को तेल।
चमक चमड़ी है विकट,मल लौ तेल-फुलेल।।
गरभवती कच्ची गरी,नियमित जो कहुं खाय।
एसो सब जन कात हैं, रंग साफ हो जाय।।
मौलिक
अमर सिंह राय
नौगांव
[07/01, 8:23 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बिषय.. गरी
*प्रदीप खरे, मंजुल*
07-01-2023
%%%%%%%%%%%
गोरी की गोदी भरी,
बैठी घूँघट डार।
हाथ गरी गोला लयै,
गरे फूल कौ हार।।
2-
गरी बुरादा डार कैं,
लौंग लायची डार।
मीठौ पान खबाइयौ,
भैया अबकी दार।
3-
सरसौं तेल लगायकें,
मालिश करौ हमेश।
गरी तेल नित डारियौ,
जासैं झरैं न केश।
4-
गरी गिरी गर हाथ सैं,
गुरगा लेत उठाय।
पौंछ पाँछ फिर लेत हैं,
अपनें गाल दबाय।
5-
गरी तेल में डारियौ,
थौरौ रोज कपूर।
लगा लियौ निज माथ पै,
दरद होत है दूर।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[07/01, 8:43 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: अप्रतियोगी दोहे
7 जनवरी 2023
लडुवन में डारौ गरी, काजू सँग बादाम।
देसी घी में भूँज कें,खाव सुबह औ शाम।।
सबरे मेवा काटकें, गरी मखाने संग।
घी गुर के लडुवा बनें,बज्र होंय सब अंग।।
लगुन, शगुन के थार में, गोलागरी सजात।
फल मेवा के साथ में, खुशी-खुशी लै जात।।
छोड़ा में बाँदी गरी, कठमलिया दइ डार।
नाती माँगौ माइ सें, मौडा खों रुजगार।।
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
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