Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 21 जनवरी 2023

घुमक्कड़ी सरकनपुर जिला टीकमगढ़ (मप्र)


घुमक्कडी सरकरपुर जिला टीकमगढ़ (मप्र)

 सरकनपुर के अद्भुत मठ :-

                    बुंदेलखंड के टीकमगढ़  जिला मुख्यालय से लगभग30 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा गांव सरकनपुर प्राचीन मठों तालाबों एवं मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इस बार हमारी घुमक्कड़ी वहीं पर हुई साथ में हमारे मार्गदर्शक श्री रामगोपाल रैकवार जी साहित्यकार और श्री विजय मेहरा जी (लाइब्रेरियन) के साथ हम लोग दिनांक 21जनवरी2023 को टीकमगढ़ से सरकनपुर की ओर निकल पडे चूंकि हमें वहां चलित पुस्तकालय भी लगाना था इसलिए हमारे पास समय था स्कूल पंहुचने में साढ़े बारह बज गये और एक घंटे बाद ही बच्चों का लंच होना था और हमें लगभग 2घंटे का समय चाहिए था अतः हम लोगों ने पहले घुमक्कड़ी करने का विचार किया बाद में मोबाइल लाइब्रेरी लगाने का कार्यक्रम रखा।
          हमारे साथ श्री राजेश रैकवार जी हो लिये जिन्होंने एक अच्छे गाइड की तरह हमें घुमाया सबसे पहले हम एक प्राचीन हनुमान जी के मंदिर दर्शन करने गये मूर्ति प्राचीन थी। पास ही एक खंडित मूर्ति थी जिसका केवल सिर था।
         फिर हम एक मठ देखने गये जो कि एक छोटी पहाड़ियां पर था स्थित है देखने में बहुत अद्भुत है सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यह ज्यो का त्यो है अर्थात इसकी क्षति बाहरे से बहुत कम हुई है हां अंदर नीचे कुछ पत्थर हटाये गये थे जो कि धन खोजने के लिए चोरो द्वारा खोदे गये थे यहां पर कोई मूर्ति नहीं थी। हां पास में ही एक जगह कुछ मूर्तियां देखने को मिली जो कि क्षतिग्रस्त थी। इस मठ के पास दो छोटी सी पहाड़ियां है पूर्व मुखी है दूर से यह मठ सूर्य मंदिर जैसा दिखाई देता है लेकिन यह मंदिर नहीं मठ है। 
एक दूसरा मठ हमें एक तालाब के किनारे पर देखने को मिला जो कि जमीन से नीचाई पर है यहां भी कोई मूर्ति हमें देखने को नहीं मिली ऐसा सुना जाता है कि यहां पर राजा एवं मंत्री लोग आराम करते थे एवं मनोरंजन करते थे।
दूसरे मठ के सामने खड़े हो कर तालाब का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। तालाब में सफेद बगुले और बडे आकाय के सारस तालाब की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। शहर के कोलाहल से एकदम शांत और सुंदर वातावरण में कुछ समय गुजर कर हम तनाव मुक्त हो सकते हैं ।यहां बैठ कर अद्भुत आनन्द मिलता है।
ये मठ चंदेलकालीन है लेकिन हमें लगता है कि ये आरामगाह रहे होंगे कोई दूसरे स्थान से आने वाले मुसाफिरों के ठहरने का स्थान रहा होगा क्योंकि उस समय कोई सराय तो होती नहीं थी अतः ये मठ ही सराय का काम करते थे।
इन मठों के आसपास मंदिर भी रहे होंगे जोकि अब नष्ट हो गये है लेकिन यहां पर पत्थरों का ढेर लगा हुआ है यहां दो प्रकार के पत्थर देखने को मिलते है एक तो ग्रेनाइट और दूसरा सफेद रंग मटमेला सा। ग्रेनाइट पत्थर से मंदिरों व मठों का निर्माण किया गया और मूर्ति के लिए सफेद या काला पत्थर प्रयोग किया गया है।
   हमारे साथी आदरणीय श्री रामगोपाल रैकवार जी बताते है कि सरकनपुर का प्राचीन नाम बिलासपुर था फिर लाशपुर हुआ और अब सरकनपुर हो गया। इसे  चंदेल राजा सलक्षण वर्मा (सन 1100-1115 ई.) द्वारा बसाया गया था।
ये सब घुमने में दो बज चुके थे हमें अपना चलित पुस्तकालय भी लगाना था हम लोग वापिस स्कूल आ गये वहां लगभग 80बच्चों के साथ ढाई घंटे बिताए। आज की घुमक्कड़ी बढ़िया रही हमारे दोनों काम हो गये शेष बचे कुछ स्थान हम अगली बार देखने आ जायेंगे।
यहां पर दो मठ, दो तालाब, दो देवी मंदिर, हनुमान जी का मंदिर, एक जैन मंदिर,एक वराह की मूर्ति, दो पहाड़ियां आदि दर्शनीय स्थल हैं।
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-@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

          


कुछ झलकियां
दूसरा णठ तालाब के किनारे वाला

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