बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-94*
दिनांक- 31 दिसंबर 2022 बिषय-लाली
*संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
ओंठन में लाली लगा,सेंदुर भर रइँ माँग।
मैंनें काली कै धरी, दइ छाती में साँग।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*2*
लाल लाल लाली लसैं,औंठन गजब सुहात ।
चंद्र बदन मृग नैन जो,लखैं नींद नइ आत ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*3*
लाल औंठ लाली चढ़ी , सूरज भी शरमाय |
अपनी लाली बाँध कै , पश्चिम में दुक जाय ||
****
-सुभाष सिंघई, जतारा
*4*
रास देखबै चल दिए, धर गोपी कौ भेष।
बम भोले लाली लगा,ढाॅंकें सिर के केश।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
*5*
कजरारे नैना लगैं,बाँके मीठे बोल।
लाली अधरन पै सजी,नीके लाल कपोल।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल' टीकमगढ़
*6*
ओंठन पै लाली लगा , गई चमेली हाट।
सबसें पैलां पौंचकें , खाई मन भर चाट।।
***
वीरेंद्र चंसौरिया ,टीकमगढ़
*7*
साली की लाली लगै,फूलो होय गुलाब।
मतवारी सारी फिरै,जैसें पियें शराब।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
*8*
ओंठन पै तौ लालिमा, खुदइ देत भगवान।
जीके मौं लाली दिखै, जोकर ऊखौं जान।।
***
रामसेवक पाठक,"हरिकिंकर ", ललितपुर
*9*
लुकलुकात लोला लुके, लपके लगे लुलात ।
लाली लब लखवे लली , लुबयाने लुमयात।।
***
प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
*10*
नइँ सोला सिंगार में, पर लाली सिंगार।
ओंठ और नो हों रँगे, लगवे नोनी नार।।
***
अमर सिंह राय, नौगांव
*11*
अधरन पे लाली सजे, जे कजरारे नैन ।
दरस बिना बेचैन मन, देखें कटत न रैन ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*12*
बूॅंदा चमकै चाॅंद सौ , कजरा करै कमाल ।
औंठन लाली देख कैं , कैउ होत बेहाल ।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*13*
होंठन पे लाली रचें,आंखिन कजरा डार।
गोरी को मौं चंद्रमा,करत रये उजियार।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*14*
लाल लाल लाली लगा, करें शौक सिंगार।
दमका रइँ मुख चंद सौ, बूँदा जडें लिलार।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
*15*
लाली लाली ले लगाबंधन तुम नव जोड़।
अलख पिया जी की जगाबाबुल का घर छोड़।।
***
-डां.प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
###########
*16*
लाली अधरन की गजब,घुॅंघरारे हैं बाल।
श्याम बरन हैं श्याम जू,गल बैजयंती माल।।
***
-आशा रिछारिया,निवाड़ी
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"17*
ओंठन पै लाली रची,हँस मुस्काँनी हेर।
नैनन तीर चलायकें,चली गई मों फेर।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी बडा मलेहरा
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[31/12/2022, 9:37 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-शनिवार। विषय-लाली।
ओंठों पै तो लालिमा,खुदइ देत भगवान।
जीके मौं लाली लगी, जोकर ऊखौं जान।।
सोलह जो सिंगार ते, लाली उन से दूर।
जौ फूहड़पन आज कौ, को करतइ मंज़ूर।।
माथे पै बिन्दी रये , रये माॅंग सिन्दूर।
विद्वषी नारी तौ रहत, ई लाली सें दूर।।
बदसूरत जो औरतें, लाली पोतत बेइ।
लगत बंदइयाॅं सी सबइ, कीसें का कै देइ।।
"हरिकिंकर"
[31/12/2022, 1:31 PM] Shyam Rao Dharampurikar Gunjbasoda: 7999062830
अप्रतियोगी दोहे:-
शनिवार, दिनांक 31/12/2022
बिषय- लाली
-
चटक लाल लाली लगे, बागन खिले गुलाब।
सोवो मुसकल हो गओ, नयनन टेखे ख्वाब।।
आज लगा लाली धना, मनई मन मुसकाय।
ताक-झाँक करवै लगी, देखत कोऊ नाय।।
बेर-बेर लाली लगे, होवैं ओंठ खराब।
बिन लाली कें ओंठ जे, लगवैं लाल गुलाब।।
लाली मों पे जा लगे, गोरी पान चबाए ।
देखन-वारे का करें, जियरा धड़को जाए ।।
-
- श्यामराव धर्मपुरीकर
गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
[31/12/2022, 1:39 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: अप्रतियोगी दोहे *बुंदेली दोहा बिषय-लाली*
*1*
गोरी कड़ गइँ पोत कै ,औठन लाली लाल |
मेला में #राना दिखीं ,करतीं हुईं कमाल ||
*2*
लाली लगकैं औठ सें , #राना नईं कमाल |
कारण गोरी पैल से , हैं कनेर -सी लाल ||
*3*
जब पैलउँ से लाल है , लाली कौ का काम |
#राना सौसत रत इतै , खर्च करत कय दाम ||
*4*
धरीं साँवरी बिन्नु हैं , लाली लइ है पोत |
#राना लगतइ रामधइ ,ज्यौं चिंगी में जोत ||🤔🙏
***दिनांक-31-12-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[31/12/2022, 1:55 PM] Amar Singh Rai Nowgang: अप्रतियोगी बुन्देली दोहे- लाली,
दिनांक- 31/12/2022
लगा लगा लाली करें, ओंठ गुलाबी लाल।
पाँव महावार में लगा, गोरी चले कमाल।।
लाली सें रँग ओंठ लय, तिल ठुड्डी पै धार।
रूप सलोनो गैल धर, चली सुहागन नार।।
मिलत देखबे आजकल,लाली के कइ रूप।
चढ़ी परत सिंगार की, पिघलत पाकें धूप।।
लाली लली लगाय कैं, रही देख मुस्काय।
गलयारो भी गैल भर, मुड़-मुड़ देखत जाय।
लाली ओंठन पै लगा,कम्मर बिछुआ धार।
ठुमकत चलवै गैल में, धरवै पाँव सँभार।।
बाहर बइरैं जाँय जब, लाली खूब लगाँय।
होंठ लाल ऐसे लगैं, मूस बिलइया खाँय।।
अमर सिंह राय
नौगांव
[31/12/2022, 1:57 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे.
जय बुंदेली मंच के, कविवर करें कमाल/
लाली पे दोहा लिखें, जी सें सब बेहाल//
चंदा मौं घूंघट ढकौ, जैसें रस को जाम/
लाली देखन जो गओ, ऊ को भओ गुलाम//
होंठन पे लाली रचें,आंखिन कजरा डार/
गोरी को मौं चंद्रमा,करत रये उजियार//
होंठन पे लाली लगी, मौं पर लंय मुस्कान/
गोरी चलती राह में, खेंचे सबको ध्यान//
चंदा मौं घूंघट ढकौ, झलकें कुंडल कान/
होंठन लाली देख कें, भागे दूर थकान//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[31/12/2022, 3:22 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,लाली,,
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लाली ओंठन पै छबा, धना धमकतीं बात
करतीं दतनिपुरइ मुलक,खोर दोर इठलात
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खनकाती पग पैजना ,कर चुरियाँ रँगदार
लाली लखी प्रमोद ने , घुंघटा पहरेदार
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घूंघट हुंन घूंरत गटा, गोरें गोला गाल
लाली लगत ललात सी, उड़रय उमरें बाल
*******************************
घरबाली साली घिसे , लाली ओंठ सकाँउ
लगवै आगइ भोर से ,चूहा टोरें म्याँउ
*******************************
फटे दरंगा ओंठ के ,लाली लेत लुकाय
रँगदारी सब रूपकी, रहे प्रमोद सुनाय
*******************************
पोत पात लाली निगी , धनियाँ सारी पैर
घूंघट करें प्रमोद खों ,सकरी परगइ सैर
******************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
[31/12/2022, 4:46 PM] Sr Saral Sir: *बुन्देली दोहा विषय -लाली*
तकता में मुइयाँ तकै,लाली औठ रचाय।
देख जुवानी सुन्दरी,चउअर नैन चलाय।।
औठन पै लाली लगा ,बूँदा लगा लिलार।
छमका पावौ पायलै, चली नवेली नार।।
औठन पै लाली लगी ,नैनन काजर कोर।
बूँदा लगा लिलार पै, हींड़त ठाँड़ी दोर।।
ओठन पै लाली रचा, मौ पै क्रीम लगाय।
माँग भरें सिंदूर सै , नैन रईं मटकाय।।
लोला खौ लाली तकैं ,*सरल* परै ना चैन।
ऊखौ दमदम सी परै, कब मटकावै नैन।।
*एस आर सरल*
*टीकमगढ़*
[31/12/2022, 5:43 PM] Asha Richhariya Niwari: ओंठन पे लाली लगी,मो में दाबें पान।
सजना टुक टुक देखबें, सजनी की मुसकान।।
🌹
सिया ओंठ लाली गजब,नक मोती परछांइ।
तोता असमंजस भरो,है अनार के घांइ।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏
[31/12/2022, 6:49 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: अप्रतियोगी दोहे
दिनांक 31 12 2022
तन तन सीं बिटियाँ सुनौ,बातन खों रईं गौंठ।
फैशन में कंडा ठुकौ, लाली रच रइँ ओंठ।।
बाँड़े उन्ना पैर कें, छूटे डारें केश।
ओठन पै लाली लगी,है काली कौ भेष।।
गोरी निकरीं हार खों,लाली लाल लगायँ।
धानी फरिया ओड़ कें,हरिया खेत भगायँ।।
जा रइँ हैं मटकत धना,लाली ओंठ लगायँ।
मौड़ीं मौडा गैल के, काली कै कै जायँ।।
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[31/12/2022, 7:03 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा
विषय-लाली
1-लाल लाल लाली लसें,
काली माँ कहलाय।
कय बृज काल विनासनी,
सबके काज बनाय।
2-बृजविचित्र लाली चढ़ी,
उतर एक दिन जाय।
खबरदार राखो खबर,
जाँदा मत इतराय।
3-बृजभूषण लाली बड़ी,
चबड़ -चबड़ बतयाय।
तुमसें कम कोऊ नहीं,
गर्मी कय झलकाय।
4-होंठन लाली सोहती,
लगत पान सो खाय।
बृजभूषण घर लक्ष्मी,
सुन्दर रूप बनाय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[31/12/2022, 8:36 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: अप्रतियोगी दोहे
विषय:-लाली
लाल -लाल लाली लगी, बोलत मीठे बैन।
कजरारी अखियाॅंन नै,हरौ जिया कौ चैन।।
लाली ओंठन देख कें,लगत निकर रय भान।
बूॅंदा सोहत भाल पै, भौंहें बनी कमान।।
अधरन की लाली लखी, उर मतवारे नैन।
लूम-झूम गिर-गिर परत,मुख सें कड़े न बैन।।
पिब बैनी मुख चंद्रमा,हंस चाल मृग नैन।
लाली लख घायल भये,मसकइॅं करतीं सैन।।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी हटा दमोह
[31/12/2022, 8:44 PM] Shobha Ram Dandi 2: अप्रतियोगी बुंदेली दोहा
शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)३१/१२/०२२
बिषय--"लाली"(लिपस्टिक)
1=रास रचावै बिरज में ,"दाँगी" लख हरसात ।
औंठन लाली नन्द के, शोभा नही समात ।।
2=धरैं खेप ठाँड़ी रवैं ,करती हैं बतकाव ।
औंठन लाली पोतकैं , "दाँगी" जिन दिखलाव ।।
3=औंठन लाली खूब दै,नथनी चमके यार ।
हिृय खटकै ये लखतनैं ,कड़तन "दाँगी" हार ।।
4=राधा लाली लाल दै ,गई श्याम के पास ।
श्याम नथुनियाँ देखकैं ,मधुवन करवैं रास ।।
5=चली चमेली हार खौं ,औंठन लाली मार ।
गुटटा कम्मर दाबकैं ,"दाँगी" लख श्रृँगार ।।
6=कमर करधनी पैरकैं,साड़ी गोटे डार ।
ललि औंठन लाली दऐं,"दाँगी" बैठे हार ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[31/12/2022, 9:08 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: बिलंब के लिए क्षमा याचना सहित 🙏
💋अप्रतियोगी दोहे-लाली💋
************************
पैलइँ सें तन लाल है,
खा-खा चोखौ माल।
ऊपर सें लाली लगा,
ल्या देतीं भूचाल।।
************************
कजरारे नैना भले,
कंचन गादर गात।
ओंठ रसीले लाल लख,
लाली खा रइ मात।।
************************
लाली ओंठन पै रची,
सुरमा आँजे नैन।
रस टपकत बतयात में,
रसिया खो रय चैन।।
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गाल गुलाबी गुलगुले,
लाली-से दुइ ओंठ।
बे अदरक-सीं रसभरीं,
सैंयाँ गट्ठी सोंठ।।
************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
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