अनोखा बिना मूर्ति का लक्ष्मीनारायण मंदिर ओरछा (जिला निवाड़ी)
Laxmi temple Orchha (mp)
राजा राम जी की नगरी ओरछा जिला निवाड़ी (मप्र) की एक पवित्र एवं ऐतिहासिक नगरी है। छोटी अयोध्या के नाम से विख्यात है। यहां भगवान श्रीराम जी का राज चलता है।
सन् 1605 से 1627 में बना ओरछा का यह अद्भुत लक्ष्मी मंदिर वीर सिंह देव ने बनवाया था। यहां पर बहुत ही आकर्षक चित्र दीवारों पर बनाये गये है जो कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित है ज्यामितीय आकृतियों के बने चित्रों को फूलों एवं जानवरों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
कहते है कि श्राप से बचने के लिए बनवाया गया था मंदिर प्राचीन काल में ओरछा में व्यास लोग रहा करते थे। जनश्रुति के अनुसार इन व्यासों को सोने बनाने की तकनीक का ज्ञान हो गया था। जिसके कारण इन्हें अपने धन का मद हो गया था। उसी घमंड से चूर होकर इन्होंने लक्ष्मी जी की मूर्ति को लक्ष्मी ताल झांसी में विसर्जित कर दिया। जिसके कारण माता लक्ष्मी ओरछा बुंदेला राजधानी से नाराज हो गई थी।
जिसके बाद तत्कालीन राजा वीर सिंह बुंदेला ने माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया।
कुछ लोग इसको तांत्रिक मंदिर भी मानते हैं, जो की पूरी तरह श्री यंत्र के आकार में निर्मित है। जिसमें सामने से देखने पर उल्लू की चोंच स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। क्योंकि लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू होता है। इसी वजह से इस मंदिर को उसी तरह की स्थापत्य कला में बनाया गया है। यह मंदिर पूर्व की तरफ मुंह न करके पूर्वोत्तर की तरफ किए हुए हैं। जिसे वास्तुकला में ईशान कोण कहते हैं, मंदिर को बनाने में तंत्र एवं वास्तु का पूरा ध्यान रखा गया है।
देश में यह इकलौता मंदिर है। जिसका निर्माण तत्कालीन विद्वानों द्वारा श्रीयंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए किया गया है. इसके अलावा 17वीं सदी में बने इस मंदिर की मान्यता है कि दिवाली के दिन इस सिद्ध मंदिर में दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि सन्1983 में मंदिर में स्थापित मूर्तियों को चोरों ने चुरा लिया था। तब से आज तक मंदिर के गर्भगृह का सिंहासन सूना पड़ा है। मंदिर के महत्व को जानकर बुंदेलखंड से आने वाले श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर माथा टेककर बिना मां लक्ष्मी के दर्शन किए निराश लौट जाते हैं। लेकिन यहां पर चौखट पर दीप जलाकर लक्ष्मी जी प्रसन्न किया जाता है।
यहां दीवारों पर अद्भुत चित्रकारी की गयी है ऐसा लगता है कि ये चित्र मानो अभी बने हो। ज्यामितीय आकृतियों के बने चित्रों को फूलों एवं जानवरों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है।कलाप्रेमियों को यहां एक बार जरूर जाना चाहिए।
*****
आलेख- *© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें