Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 16 जनवरी 2023

कुइया (छोटा कुआं) बुंदेली दोहा संकलन

[16/01, 8:55 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *बिषय.. कुइयाँ*
16-01-2023
*प्रदीप खरे,मंजुल*
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1-
कुइयाँ राजा दूर है,
पानी भरो न जाय।
सैयाँ मौरी सुन लियौ, 
कुइयां दियौ खुदाय।
2-
सैयाँ नीकौ नहिं मिलो,
खूबइ रहो सताय।
कुइयाँ आँगन में खुदी,
लगै डूब मर जाय।।
3-
कुइयाँ पै संजा सुनौं,
गोरी सज धज जाँय।
झटका उनके देखकें,
प्रान गरे नौ आँय।।
4-
गगरी सिर, घूँघट करें,
नैन रही मटकाय।
कुइयाँ बढ़ भागी बढ़ी,
जापै गोरी जाय।।
5-
कुइयाँ पै सपरत हते,
सब ते उन्ना धोत।
कुइयाँ बिन पूजैं सुनौ,
नेंग चार नहिं होत।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[16/01, 9:49 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा दिवस , विषय‌ - कुइया 

कुइया घर में देख कै , सगया  भयै प्रसन्न |
कै गय मोड़ी खायगी   ,‌येइ घरै‌ अब अन्न ||

बिन्नु गयीं जब सासरें , खिच  गइ   मन में  रेख | 
कुइया घर की थी भरी,   हँस  गइ ऊखौं   देख ||

तीन खेप मुड़िया धरै , गयीं  कुआँ तक रोज |
कुइया हती न मायकै , पानू‌   की  रइ  खोज ||

कुआँ  बड़ौ  संसार  है , कुइया   घर  परिवार |
ज्ञानी  सबसे  कात है  ,रखौ  प्रेम   की  धार ||

सबकी प्यास बुझाउते , कुआँ  चौपरा    ताल |
कुइया घर परिवार कौ , राखत दिल से ख्याल ||

नीर न सूकै काउ कौ ,  विनती  है भगवान |
कुआँ चौपरा ताल हौ , या कुइया की आन ||

सुभाष सिंघई जतारा
[16/01, 10:22 AM] Jai Hind Singh Palera: #कुइया(छोटे कुंआ)पर दोहे#

                    #१#
पैलां गैलारे चले,धर कें लोटा डोर।
कुइया सें पानी भरो,करो कलेवा छोर।।

                    #२#
कछवारें कुइया खुदी,ढार खेत हम गांय।
सब‌इ जीव पानी पियें, सब्जी़ सब हरयांय।।
                    #३#
आंगन में कुइया खुदी,कड़ो मिठौवा नीर।
बारे सें पानी भरो,अब मिट ग‌इ  सब पीर।।

                    #४#
कुइया एक खुदाय लो,गर्रा लेव डराय।
पानी भीतर ही मिलै,बाहर भरो न जाय।।

                    #५#
पैलां कुइयां जो हतीं,अब हो रय हैं बोर।
पानी कौ साधन हतो,पियें मान्स उर ढोर।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[16/01, 10:35 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 बुंदेली दोहा🥀
   ( विषय कुइया)

राम रंग जिनपै चडै,
      बे माया ठुकरायँ।
कुइया खोदें भाब की,
       प्रेम रंग बरसायँ।।

 भरत भरत सब हार गय,
         कोऊ नें भर पाय।
यैसी कुइया पेट की,
   सौ मन अन्न पचाय।।

 बैठे हम तुम चाटकें,
      दै रय की खों खोर।
आँगन में कुइया हती,
    हतै बगर भर ढोर।।

खाय बैर मौआ लटा,
    हाँकौ  हँसकें राँट।
रीती कुइया,ढीलकें,
    बैलन धर दव बाँट।।

 कुइया के जल नें घटें,
   थोरौ सौ जो प्याव।
प्यासे खों गोरी धना,
      प्यासौ नें लौटाव।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[16/01, 10:46 AM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुंदेली दोहे
 विषय- कुइया 
 दिनांक- 16 जनवरी 2023

मन की  कुइया  में  भरे, बिष अमरत हैं दोउ।
बिष सब खों सजौ लगै,पियै न अमरत  कोउ।।

 जा घरबारी कूप की, ईकौ नौनों नूर।
आँगन में कुइया खुदै,देय नीर भरपूर।।

बीच खेत कुइया खुदी,सींचै पूरौ खेत।
डारौ गगरी बाँद कें,पीवे खों जल देत।।

असुआ  ढारै  आँख  सें, कुइया  लटके पाँव।
बुरयँ बोल गइ ननदिया, लगत डूब मार जाँव।।

घर में कुइया गइ विला,और विला गइ प्रीत।
सबरे  रिश्ते  गय  विला, कितै  धरे मनमीत।

कुइया जोरा गगरियाँ, बोलौ कियै सुहायँ।
कुआ फुआ बगुला सुआ,आँखन नहीं दिखायँ।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[16/01, 11:04 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली बिषय- कुइया*

*1*
घर में कुइया होत ती ,#राना गोल मटोल |
ताजै-ठंडै   नीर कौ , सदा रहत  तौ डौल ||

*2*
आंगन   में   कुइया  बनी , जौरु   धमकी  देत |
डूब  इसी में  जाउँगी , #राना  सुन  हँस   लेत ||

*3*
घर में कुइया होय तो , किचर -पिचर भी होत | 
#राना घर   कै  सब उतइँ  , सपरत उन्ना धोत ||

*4*
#राना कुइया के लिगा , लगीं   कियारी  हौंय |
धना   पुदीना फूल भी , हँसबै   खिलबै  सौंय ||

*5*
अब तो कुइया की जगाँ , #राना लग गव बोर |
ताजौ पानू खेंच लौ ,  सबइ बिला गय शोर ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[16/01, 11:11 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुंदेली दोहा
विषय:-कुइया
कुइया पै दोहा लिखत, हमें न द‌इयो खोर।
उथले मन जब सें भये,घर-घर खुद गय बोर।।

नाते में लगबौ करी,कुआ कि कुइया बेन।
पनिहारिन की थीं लगत,पैल भुन्सरां लेंन।।

पनिहारि दोइ जोर जब,कुइया कोदीं जात।
"अनुरागी" बैठे तकें,रोटी लौ‌ न‌इॅं खात।। 

कोंड़े कुआ अथाइ अरु, नै कुइया पै भीर।
अब न‌इॅं कोन‌उॅं में बची,पैंलाॅं कैसी धीर।।

कुइया पै पानी भरै,धरें पाट पै पाॅंव।
"अनुरागी" खों है लगत,नोनो अपनौ गाॅंव।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
🙏🙏
[16/01, 12:21 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)16/01/023
बिषय--कुइया /छोटा कुंआ 
बुंदेली  दोहा नं०=148
1=बेड़ा में कुइया खुदी ,गैरी बीसक हाथ ।
"दाँगी" निरमल नीर जो ,देवै सबकौ साथ  ।।
2=अँगना कुइया खोदकैं ,"दाँगी" भव बेकार ।
मरवे की धमकी मिलै ,घरै होय तकरार ।।
3=घर में कुइया होय सैं ,पानू सुविदा होय ।
ठंडौ निरमल नीर जो ,"दाँगी" पिए सब कोय ।।
4="दाँगी" कुइया  ऐंगरै ,है तुलसी कौ पेड़  ।
ताजौं जल तुलसी चढै , बनी पुदीना मेंड़ ।।
5=बाग बगीचा
दूर खों ,"दाँगी" खूब लगाँय ।
कुइया सैं साँटा डरौ ,सुमन खूब मुसकाँय ।।
6=कुइया अाँगन में भली , सावधान सब राँय ।
तन-तन की ही न्याव पै, घर में सबइ बताँय ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[16/01, 12:33 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,, कुइया ,,
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खैप धरें लचकत चलीं , पग पैंजनि झनकार
कत प्रमोद बुलया हँसत , पौंची कुइया पार
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कुइया पै ठांडी धना ,भरी खैप धर मूंढ़
घूंघट उंगरि दुबीच हुन, रइ प्रमोद खों ढूंढ़
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मांजत गुण्ड कसेड़िया , कुइया पाट पखार
घूंघट दांत दबाउतीं , गोरी नजर पसार
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ज्यौरा में डबला फसा , दव कुइया में बोर
उखरो भरो डुबाउती , पनियाँ खूब हिलोर
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गैरी कुइया सें भरें ,पानी धना निकार
खैंचें ज्यौरा न्यौर कें ,कमर लफै सबयार
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प्यासे बैठे पार पै , रय कुइया में हैर
पनहारी के मैर में, भव प्रमोद अब फैर
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कुइया नाकत भोर सें , धनियाँ पाय प्रमोद
छैल गैल ठांडे मिले , बिहीं बहेरें कोद
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         ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
         ,, स्वरचित मौलिक,,
[16/01, 12:40 PM] Asha Richhariya Niwari: प्रदत्त शब्द कुइया
🌹लै कलसा गोरी चलीं,कुइया भरवे नीर।
सखी सहेली बोल कैं,बांटें अपनी पीर।।
🌹
पानी भरवे कोस भर,उठत भोर सें जांय।
कहियो राजा जेठ सें,कुइया अंगन खुदांय।।
🌹
पैलें आगन होत ती,कुइया घर की शान।
बोर खुदेओ नल  लगे,मिट गय नाम निशान।।
🌹अंगना की कुइया हती, गोरी को हथियार।
धमकी देवें भोर हैं,सैया रय लाचार।।
🌹
जब सें कुइया पुर गयी,गोरी हो गयीं शांत।
मरवे की धमकी नहीं,सुखी हो गये कांत।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏🌹
[16/01, 2:13 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय -कुइया 
(१)
कुइया खुदवा कैं गए,  पुरखा  चतुर सुजान।
कछू  दिना  पैलां हती , कुइया घर  की शान ।।
(२)
घर- घर  में  अब  हो  रहे  , हैं  पाताली  बोर ।
मिट गय  कुइया  उर कुआ , भूले  गर्रा  डोर ।।
(३)
कुइया  बाय  कहात ते  ,  हतो  पुरा  में  नाव ।
उनके  मन  में नइॅं रऔ , अपनों और  पराव ।।
(४)
कुइया  पै  होबू  करौ  , घर भर  कौ निसतार ।
रीत  नईं  पाये  कभउॅं ,  गगरी   मटका   डार ।।
(५)
चंदेलन   नें   बावरी  , तला   कुआ   बॅंदवाय ।
बगिया  में  कुइया खुदा , मंदिर  दय  बनवाय ।।

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
(स्वरचित ) 16/01/2023
[16/01, 2:16 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: बुन्देली दोहे विषय-कुइया🌹
**********************
शुचि रामेश्वर धाम में,
             कुइयाँ  हैं  बाईस।
जिनके पावन नीर सें,
       मिटत हृदय की टीस।।
**********************
कुइया ज्यों गैरी खुदें,
           जादाँ   पानी   देत।
बैसइ अक्कल घोकिया,
        घोक अकल पा लेत।।
**********************
कुइया आँगन दोर की,
          हती बड़न की शान।
अब सब कूड़ाघर बनी,
           मिटन लगी पैचान।।
**********************
बतया रय कुइया-कुआ,
            अत निरास हैं दोउ।
गुर लगाँय नइँ पूंँछरय,
            हमें तुमें अब कोउ।।
***********************
कितै बचे कुइया कुआ,
              गर्रा   डोरी   पाट।
कुआ पुजत सो रैत अब,
             हैन्डपम्प के ठाट।।
***********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[16/01, 2:38 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: बुंदेली दोहे
विषय -कुइया
1-काया कुइया सी बनी,
सांसों रूपी डोर।
मन- घट से भर भजन जल,
खैचत रव कर जोर।
2-पनहारी पानी भरन,
जाती भारी दूर।
कुइया नइयांं जरों जब,
भरवे खों मजबूर।
3-कुइया खुदवा दइ पिया,
घर आंगन के बीच।
मन मन को पानी भरत,
भारी रहे उलीच।
4-कुइया डब्बू सी भरी,
भारी मीठो नीर।
पीने जब जी भर पियो,
बृज कय होत अधीर।
5-कुइया सकरी सी भली ,
पानी झिरत अपार।
सूकी रीति नइ तकी,
भरत रहत करतार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[16/01, 2:50 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे - कुइया 

सकरी कुइया दम घुटै, हवा नहीं मिल पात।
नईं देर ज्यादा रुकत, झट ऊपर आ जात।।

कुइया में गुइयाँ मिली, देख-देख मुसकाय।
यादें फिर हरया गईं, हँस-हँस कैं बतियाय।

खुदी  हती  कुइया  घरै,  उऐ  मूँदने  आव।
सालन से सूखी हती, पानी कभउँ न पाव।

कुइया की घट पूँछ गइ,चल गय जबसे पंप।
पानी गौ  पाताल खों, मचो  परो  हड़कंप।।

सँकरी कुइया बाँधबो, नईं सबसे बन पाय।
कारीगर जो बांधतइ, कलाकार कहलाय।।

दो मकान के बीच में, कुइया ते  खुदवात।
दो हिस्सन में बाँट कैं, हते दिवार बनात।।

अब कुइया सूखी डरीं,कौनउँ काम न आँय।
केवल जगा अँगोटवैं, पानी पुजा न पाँय ।।

मौलिक/
                       अमर सिंह राय
                           नौगाँव
[16/01, 4:35 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे    विषय  कुइया

कुअला पै  जाकें जुरै, नय लरकन कौ ठट्ट।
आंगन में कुइया पिया, खुदवा दिइयौ झट्ट।।

आंगन में कुइया खुदी ,झिर मीठी कड़ आइ।
पानी भरबे गांव कीं , आन  लगीं  भौजाइ।।

घर में न‌इ कुइया खुदी, नव गर्रा डरवाव।
न‌इ ब‌उधन सें मैर कौ , पानी फिर भरवाव।।

घर में कुइया होय सो, चिन्ता की का बात।
बड़े भोर पानी भरौ , होन न दिइयौ रात।।

नल कौ पानी मोय तौ, बिल्कुल न‌ईं पुसात।
घर की बा कुइया हमें, सपनन रोज दिखात।।

            प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[16/01, 4:53 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
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विषय- कुइया (छोटा कुआँ)
~~~~~~~~~~~~~~~

१)
कुइया  पै  राधा  चली, गुइयाँ  संगे  जोर।
घट  पै  कँकरा  मार कै, तोड़ें  नंद किशोर।।

२)
नैंचें  जो  कोई   गिरो,  कुइया  में  अँदियार।
उठियो ऊपर आप खौं, दिखै जगत उजियार।।

३)
धरैं  गगरिया  मूड़  पै, चलीं  गाँव  की  नार।
उतरत  कुइया  पाट पै, उनके  मन को भार।।

४)
बुंदेली   भू   भाग  में,  एक   छतरपुर  गाँव।
उतइँ  हमाये खेत हैं,  कुइया  पीपल  छाँव।।

५)
तन  कुइया है  मुन्स की, भरो लोभ को नीर।
इच्छा  की  हद  पाट पै, खैंचो  एक  लकीर।।

~विद्या चौहान
[16/01, 4:57 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय कुइया
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 सास हार खो गइ चली, 
  सैंया गारी देत। 
  कुइया में जा डूब जा, 
  मोरो परचव लेत।। 
 
2 गोरन ने बंदूक से, 
   खेली खूनी फाग। 
   कुइया में लाशें डरीं, 
   जलियांवारो बाग।। 
  
3 कुइया में गिर्रा डरो, 
   ज्योरा पकरे साथ। 
   घूंघट घालत छूट गौ, 
   सास मसक रइ हाथ।। 

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
                       डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
                       सादर समीक्षार्थ 
                       स्वरचित मौलिक
[16/01, 5:51 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: लम्बीं - चौंरीं  बाखरें , पूरौ  कुटुम  समाय ।
हिलमिल रत ते सब जनें,कुइया एक खुदाय ।।

बखरी में कुइया खुदी,उमदा उनके ठाट ।
गर्रा  पै  डोरी  डरी , बिछे सपरवे पाट ।।

कुइया  होवै  ऊथली , पानी हो अंबोक ।
मीठौ पानी सब जनें , पियें लगाकें  ओक ।।

कुइया कुअला बावरी , राखत हैं सब मान ।
पोषक औसर काज पै , पूजत पैल निमान ।।

मीठी  कुइया  बावरी , हतीं गाँव के छोर ।
प्यास बुझावें सब जनें , चिरइ चेनुआँ ढोर ।।

कुइया कुअला बावरी , ताल-तलैंयाँ झील ।
नरवा-झिरवा कुंड नद , पानी रउत सुनील ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

          ( मौलिक एवं स्वरचित )
[16/01, 6:01 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली दोहा  विषय- कुइया 
****************************
बखरी में  कुइया खुदी, पानी  है  भरपूर।
अब कोंनउँ पनहाइ खौ, जानें नइयाँ दूर।।

पनहारन  कैवे लगी, कुइया  बखरी बीच।
रोजउ बखरी में मचों,रत किचकंदौ कीच।।

खेती है घर के लिगाँ, बलया चली उनाइ।
टुल्लू  कुइया  पै  धरें, दद्दा  करें  सिचाइ।।

पनया कुइया होय तौ, आबै  सबके काम।
होतइ सबकी पूरती, बनतइ  काम तमाम।।

देखत में  सकरी लगै, कुइया भरी अथाह।
कइयक दिग्गज लोर गय,मानें सबइ पनाह।
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         एस आर सरल
             टीकमगढ़

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