*ग़ज़ल- दिल में समाई होगी*
जब हंसी हौठों पै आई होगी।
अदा वो दिल में समाई होगी।।
रात भर जागता रहा हूं मैं।
नींद तुमको भी न आई होगी।।
हसीं है वो तो जवां हूं मैं भी।
कशिश मेरी खींच लाई होगी।।
उड़ी तो होगी गुलों की रंगत।
चमन में जब वो लजाई होगी।।
फ़लक ज़मीं पै झुक आया होगा।
नज़र जब उसने उठाई होगी।।
ख़बर है बज्म में 'राना' उसने।
ग़ज़ल मेरी ही सुनाई होगी।।
© राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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2 टिप्पणियां:
जी बहुत अच्छी लगी आपकी रचना
अच्छा लगा पढ़कर गजल को मनमैसमाईमेरे
पेरेम
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