गदा
गदा
(बुंदेली दोहा संकलन) ई बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 6-03-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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अनुक्रमणिका-
1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
2-कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
3-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
4-अशोक पटसारिया 'नादान' लिधौरा (टीकमगढ़)
5-रामानन्द पाठक,नैगुवा(म.प्र.)
6-रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
07-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल,(म.प्र.)
08- राम कुमार शुक्ला चंदेरा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ मप्र
10-डां सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा
11- सरस कुमार, दोह, खरगापुर
12- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़
13- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
14- संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
**गदा**
*1*
ईमानदार है गदा,
करत सदा है काम।
रंग रूप कौ देखकै,
काय करत बदनाम।।
*2*
सूदो सादो है गदा,
कामचोर नइ होत।
जितना भी धर दो वज़न,
खुसी खुसी से ढोत।।
*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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सबसें सूदौ जानवर ,
गदा चन्द कहलात ।
जेठमास मुटयात है ,
साँउन में दुबरात ।।
-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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3-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
मूरख कहते गदा खों,
जो है अति बलवान।
बजनदार लादै बजन,
बजनदार है शान।।
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
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4-अशोक पटसारिया नादान ,लिधौरा ,टीकमगढ़
गदा कीमती हो गए,
राजनीति में आज।
गउअन की कीमत नहीं,
सिंह खुजावें खाज।।
-अशोक नादान ,लिधौरा, टीकमगढ़
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5-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा,
पसु तौ पसु ही रहत है,
कछु नर गदा समान।
भले बुरे का ज्ञान नइ ,
रावै सदा अज्ञान।
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा,
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6-रामेश्वर प्रसाद गुप्त, बड़ागांव, झांसी
कैउ गदा से हैं लगत,
कैऊ हैं हुशियार।
जीखों जैसे लग रये,
उनके सोच विचार।।
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)
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07-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल, (म.प्र.)
-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल
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08-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा, (टीकमगढ़)
गदा सूदरौ होत है,
सबसे मुजरा लेत।
जब ऊकौ गुस्सा बडे़,
उचक दुलत्तू देत।।
-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा, टीकमगढ़
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9-प्रदीप खरे, टीकमगढ़ (मप्र)
गदा गुरू सै कम नहीं,
गदा के गुर लो जान।
गदा के गुर धारन करौ,
पा जेहौ सम्मान।
-प्रदीप खरे, टीकमगढ़ (मप्र)
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10-डॉ सुशील शर्मा ,गाडरवारा
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11- सरस कुमार, दोह, खरगापुर
गदा गदा सब कात है,
मेनत को है काम ।
करे काम ना आदमी,
गदा होत बदनाम ।।
- सरस कुमार, दोह, खरगापुर
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12- गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़
दोहा बिषय ,,,गदा
होत गदा जा हात में
है महावीर बलवान
जीके मारे मोड़ में
कडत जात है प्रान
- गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़
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13- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
जिन गदन पै भार कम
बेई मिल्ला होंय।
फच्ची बे रै जात हैं,
अदक भार जो ढोंय।
काल पटल पै अवतरे,
गदा एक सें एक।
भोरे-भारे, मेनती,
संतोषी अरु नेक।।
सबई प्रकार के गदन खों प्रणाम
- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
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14- संजय श्रीवास्तव,मबई, हाल दिल्ली (म.प्र.)
घोड़े बहुत निराश हैं,
हाथी रहत उदास ।
गदहे मिलकर खा रहे,
सारा चवनप्राश ।।
-संजय श्रीवास्तव,मवई
७-३-२१ दिल्ली
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जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली में दोहा लेखन
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