Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

जय शिव शंकर (हिंदी काव्य संकलन ई बुक) राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़



                      जय शिव शंकर
                  (हिन्दी काव्य संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

                            जय शिव शंकर
                  (हिन्दी काव्य संकलन) ई बुक
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

ई बुक प्रकाशन दिनांक 11-03-2021
        टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
         मोबाइल-9893520965

😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


              अनुक्रमणिका-

1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
2-अशोक पटसारिया 'नादान' लिधौरा (टीकमगढ़) 
3-पूजा शर्मा, गाडरवाड़ा,जिला- नरसिंहपुर
4-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
5-किशन तिवारी, भोपाल(म.प्र.)
6-सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ (म.प्र.)
07-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल,(म.प्र.)
08- राम कुमार शुक्ला चंदेरा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ मप्र
10-डां सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा (मप्र)
11- सरस कुमार, दोह, खरगापुर 
12- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़
13- शील चंद्र जैन शास्त्री, ललितपुर(उ.प्र.)
14- रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)
15- डी.पी.शुक्ला,'सरस',टीकमगढ़ (मप्र)
16- राज गोस्वामी, दतिया(मप्र)
17-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़(मप्र)
18- अभिनंदन गोइल, इंदौर (मप्र)
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
*तीन हाइकु-जय शिवशंकर*

शिव शंकर,
जय हो भोलेनाथ ।
सदा हो साथ ।।
                     हे नीलकंठ,
                     ऊं बम बम बोले ।
                     जोर से बोलें ।।
महामंत्र है,
ओम नमः शिवाय ।
कष्ट मिटाय ।।
****
✍️राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

2-अशोक पटसारिया नादान ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 

काल के कपाल पर,जो तांडव रचाता है।
भूतनाथ आदिदेव,शंकर कहलाता है।।

कैलाश केदार ,अमरनाथ वासी है।
भयंकर प्रलय में भी,डमरू बजाता है।।

नागों के हार गले,भूतों के भूतनाथ।
श्मशान में भी जो,भस्मी रमाता है।।

डमरू त्रिशूलपाणी,चन्द्रमौलि मुण्डमाल।
भागीरथी गंगा ,जटा में समाता है।।

भोला भंडारी है,महाकाल महादेव।
जन जन के हित में,हलाहल पी जाता है।।

त्रिनेत्रधारी है,पशुपति हारी है।
रहता दिगम्बर ,समाधी लगाता है।।

नदीश्वर नागेश्वर, भूत पिशाचेश्वर।
नादान है भांग बूटी,चढ़ाता है।।

        ✍️ -अशोक पटसारिया 'नादान',लिधौरा, टीकमगढ़ 

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

3--पूजा शर्मा, गाडरवाड़ा,जिला- नरसिंहपुर
मैं महाकाल हूँ
                 -पूजा शर्मा

सृजन विश्व आधारभूत, 
विध्वंस विकट विकराल हूँ।
पालक नितांत ब्रह्मांड अनंत, 
मैं अथक समय की चाल हूँ।।

मैं क्षणिक निरंतर शून्य,
समस्त अंतरिक्ष का मंच हूँ।
कर्ता और अकर्ता मैं, 
नारायण और विरंच हूँ।।

मैं वैराग्य विदित योगी, 
मोहांतक ध्यान विलीन हूँ।
 महाविलासी शक्ति पति, 
मैं विश्व भोगी प्राचीन हूँ।।

मैं वर्तमान शून्य रिक्त स्थान,
मैं अणु पंच महाभूत हूँ।
लघुतम अदृश्य असीमादृष्य,
 सर्वदृष्य केंद्रिभूत हूँ।।

प्राण ज्ञान अनुभव अस्तित्व,
 जगत चेतना विशाल हूँ।
साक्षात्कार अंत का मैं
मैं मृत्युंजय महाकाल हूँ।।

✍️ पूजा शर्मा, गाडरवाड़ा,जिला- नरसिंहपुर

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

4-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
                    
         #भजन...द्वादस ज्योतिर्लिंग#
*************************
               #भजन#
प्रथम गणेश मनाऊं,माँ गौरी को ध्याऊं।
बम बम लहरी तेरी भँगिया घुटाँऊं।।
                    #1#
कार्तिकेय संग श्री गणेश ने,पाया प्यार तुम्हारा।
नन्दीबनी सवारी तेरी,शिर गंगा की धारा।।
यश में तेरा गाँऊं,मैं ध्यान लगाऊं।
बम बम लहरी........
                    #2#
सोमनाथ संग नागेश्वर बन बैद्यनाथ हो प्यारे।
केदारनाथ बन बसे हिमालय,
विश्वनाथ मतवारे।।
मैं तेरा यश गाँऊं,त्रिपुण्ड लगाऊं।
बम बम लहरी.........
                    #3#
महाकाल रामेश्वर घृष्णेश्वर हो जग रखवाले।
त्रयंबकेश्वर रूप संग में बृह्मा बिष्णु निराले।।
दर्शन कर सुख पाऊं,भष्म रमाऊं।
बम बम लहरी.........
                    #4#
मल्लिकार्जुन भीमाशंकर हर मन डेरा डारें।
ओंकारेश्वर-ममलेश्वर हैं द्वादस नाम तुम्हारे।।
जयहिन्द ज्योति जलाऊं,आनंद पाऊं।
बम बम लहरी........
✍️ जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

5-किशन तिवारी, भोपाल (मध्यप्रदेश)
          ग़ज़ल

आज  के दौर में  जिसकी  नहीं ख़ता कोई 
रोज़ आँखों में उसकी ख़ौफ़ झलकता कोई 

बेबसी  आपकी  सब देख  के चल देते हैं 
लोग  डरते  हैं सही  बात  न  कहता कोई 

वो   गुनहगार  नहीं   है  उसे   बचा   लेना 
आँख  में  उसकी है तूफ़ान मचलता कोई 

आज चेहरे पे कहकहों को किये है चस्पाँ 
महफ़िलों में हँसा चुपचाप ही रोता कोई 

लोग चुपचाप हैं सन्नाटा शहर में क्यूं है 
और ये मज़हबी  बारूद  उगलता  कोई     
                 ✍️ -किशन तिवारी भोपाल

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

6-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़

👏शिवरात्री पर विशेष👏
महादेव ,महादेव ,महादेव 
देवों के देव महादेव ।
मैं नाम उच्चारण करूं महादेव
भक्त उपासक बनूँ महादेव 
बनकर पूजक करूँ तेरी पूजा 
तुमसा सृष्टि में नहीं कोई दूजा ।
सबसे प्रिय नामों में नाम महादेव 
महादेव महादेव महादेव ।
तुम हो अभीष्ट सिद्धि दायक
तुम्हीं हो सर्वश्व विनायक ।
बारह लिंगों में प्रगट महादेव 
महादेव महादेव महादेव ।
सत्य और शिव हो तुम्हीं 
रुद्र बम बम भोला तुम्हीं 
 औघड़दानी  हो शंकर महादेव
महादेव महादेव महादेव।
तुम्हीं अर्द्धनारीश्वर हो
तुम्हीं सारे जग के ईश्वर हो 
कालों के काल महाकाल महादेव 
महादेव महादेव महादेव ।
      ✍️ सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

07-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल, (म.प्र.)
      

शिव विवाह आधारित 
गारी गीत 

हिमांचल के द्वौरे आई बारात 
आ गये बरतिया
 खावै जैवनार।

भूत प्रेत जैवन खों आऐं,
नर मुडौंसे खुद खों सजाऐं,
उनमें नहिऐं कोनऊ एकई नार ।
आ गये बरतिया...

शुकर शनिचर शिव संगे बैठे 
पेट पिलघाऐं मूछें ऐंठें
रसगुल्लन के उड़ा रऐ
थाल अपार ,
आ गये बरतिया ....

परसत परसत सबरै हारै ,
रीतै हो रऐ सब भंडारै ,
अचरज सै दैखैं सब नरनार ,
आ गये बरतिया ...

काना फूसीं सबमें हो रई ,
कैसी पंगत खतमई नै हो रई,
परसईयों में मच रई हा हाकार ,
आ गये बरतिया खावै जैवनार।

दूल्हा बने भोलै मुस्कां रऐ ,
इते उतै देखें कछु नै कै रऐ.
उनकी लीला  हो रई अपंंरमपार ,
आ गये ....।।

✍️ हंसा श्रीवास्तव, भोपाल   

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

08-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा, (टीकमगढ़)

फाल्गुन के इस मास में,
           फूल खिले बहु रंग  ।
शिव प्रसाद के असर से,
           मन मोरौ चितभंग।।
राम कुमार शुक्ल
✍️ राम कुमार शुक्ल,चंदेरा, टीकमगढ़

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

9-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
*ब्रह्मा, बिष्णु ने किया, मां को जब इंकार।
मां ने भी तब कर दिया, दोनों का संहार।
शादी के प्रस्ताव को, जो देवों ने ठुकराया। 
शक्ति को यह फैसला, तनिक न मन को भाया। 
अंत में शिव ने हांमी भरके, मां से वर हैं मांगे।
तब कहीं ब्रह्मा बिष्नु जी, चिर निद्रा से जागे
मां ने जीवित किया देवों को, शिव से ब्याह रचाया।
मां ने रूप लिया सति का, शिव जी से वर पाये।
अपना नेत्र दिया माई नें, शिव त्रिनेत्र हैं पाये। 
शिव बिन शक्ति, शक्ति बिन शिव, कभी होंयै न पूरे। 
शिव शक्ति की पूजा सें, रहें न काज अधूरे। 
                ✍️ प्रदीप खरे 'मंजुल' टीकमगढ़ (मप्र)

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

10-डॉ सुशील शर्मा ,गाडरवारा (मप्र)

शिव संकल्प 
                -डॉ सुशील शर्मा 

शुभ विचार एकाग्रता 
हो कल्याण प्रकल्प। 
अहंकार का नाश ही 
होता शिव संकल्प। 

मृत्यु में जीवन निहित 
जीवन से उत्कर्ष। 
अधिष्ठात्र शिव देव हैं 
शिव संकल्प प्रकर्ष। 

सर्वमुक्त हैं शिव सदा 
हैं अनादि आलोक। 
प्राण अपान उदान में 
नभ अंतर भूलोक। 

सौम्य भयंकर शिव स्वयं 
अभ्यंकर अतिरूप। 
शून्य सूक्ष्म परमाणु तम 
अति विराट प्रारूप। 

शुद्ध सत्य निरपेक्ष हैं 
तत्व सार आदर्श। 
सृजन लिए संहार में 
मानवता प्रादर्श। 

राम जिन्हें उर में लिए 
भजते हैं दिन रात। 
रावण के भी इष्ट शिव 
किलष्ट शिष्ट निष्णात। 

देव दनुज मानव सभी 
जिनके हों प्रिय भक्त। 
पूर्ण मिदं पूर्णात शिव 
परिपूर्णम अभिसिक्त। 

शिव परिग्रह शिक्षित करे 
जीवन के आकल्प। 
दीन दुखी के दुःख हरो 
सत्य शिवम संकल्प। 

मस्तक पर चंदा सजे 
अरु विषधर शिव कंठ 
आत्म भूत खुद को रखें 
छोड़ भोग वैकुण्ठ। 

निज सुख भोगों से विलग 
छोड़ राज सुख धाम। 
दीन हीन पशु संग शिव 
हैं अनादि आयाम। 

शिव चरित्र का संचरण 
है मुक्ति का छोर। 
घोर तिमिर का नाश कर 
शुभ निर्वाण विभोर। 

हैं शिव कल्याणक सदा 
परम सरल आवाह्य। 
महादेव निज शरण लो 
जप लो नमः शिवाय। 

✍️ डॉ सुशील शर्मा ,गाडरवारा (मप्र)

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

11- सरस कुमार, दोह, खरगापुर 
शीर्षक - विनयगान 

हे शिव शंकर, हे कैलाशी 
तुम दीन - हीन के रक्षक 
सृष्टि की क्रिया - प्रतिक्रिया
के तुम संचालक 

तुम गहरे दुख को हरते 
सुख के सूर्य बनाते 
तुम बिन पर के पंछी को
नीलगगन तक लाते 

शिव - शंभु ,भोले - भंडारी
नीलकंठ, शंकर जी 
अनगिन नाम तेरे ईश्वर 
तेरे सब अंदर जी 

मुझको दोष, विकार मुक्त कर 
गुण की खान बना दो 
दीन - हीन बुध्दि विहीन हूँ 
हीरे - सा चमका दो 

सत्य पथ चलू हमेशा 
झूठ निकट न आबे 
न्याय, नीति, ईमानदारी 
कभी दूर न जाबे 

रटता रहूँ नाम तेरा मैं 
शिव - शिव, बम - बम भोले 
साँझ तेरी चौखट पे होबे 
भोर नैन यही खोले 

नाम - सरस कुमार 
पता - दोह, खरगापुर 

✍️ सरस कुमार, दोह, खरगापुर ,जिला टीकमगढ़

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12- गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़ (मप्र)
हिन्दी-हाइकु
बिषय-महाशिव रात्रि

1-शिव विवाह
आज हरे मंडव
गारी जेगाह

2सुनो बहिना
धाम शिव चलना
जय कहना

3-धर्म पुन्य
सबको जो मिलेगा
बजे झुन्य

✍️  गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा,टीकमगढ़

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

13- शील चंद्र जैन शास्त्री, ललितपुर (उ.प्र)
सारे जग की पीर हरो , त्रिशूलपाणि त्रिपुरारी !
माँ गंगा सा पावन कर दो निर्मलगंगा सिरधारी !।

निर्भय निर्विष निर्मल कर दो नीलकंठ सोमेश्वर !
'शील' सत्य शिव सुन्दर कर दो , हे बाघम्बरधारी !।
✍️ शील चंद्र जैन शास्त्री, ललितपुर (उ.प्र)
           
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14- रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु',बडागांव,झांसी (उप्र.)

भोले बाबा...... 

आज रंग में भोले बाबा/
सती संग में भोले बाबा//

खांय धतूरा चिलम लगाये, 
मस्त भंग में भोले बाबा/

बिच्छू और ततइयां भारी, 
संग भुजंग में भोले बाबा/

भूत भभूत रमाये रग-रग, 
अंग- अंग में भोले बाबा/

नंदी नाचे बम-बम बोले, 
है अनंग में भोले बाबा/

सती साथ में बाघम्बर पे, 
अब तरंग में भोले बाबा/ 

डमरू औ त्रिशूल हाथ में, 
इंदु गंगा सिर भोले बाबा/

ओम- ओम है सोम व्योम में, 
कह उमंग में भोले बाबा//

✍️  - रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)

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15-एस आर सरल, टीकमगढ़,(म.प्र.)
🌷🌷भोले भंडारी🌷

 काल के कपाल पर, कैलाश अमरनाथ बिराजे! केदारनाथ पशुपतिनाथ, श्वेत वस्त्र साजे !!

डम डम डमरू बाजे हाथ,
भूत पिसाच चलें बजाउत  बाजे!! 
भाल पै है चंद्र सोहत, 
 गल मुंडमाल है राजे!! 

त्रिनेत्र धारी बागम्वरकारी, रमांऐं भभूति भस्म है ताजे!!
 भोला भंडारी त्रिपुरारी! 
ले बरात चले गाजे-बाजे!

 ,,सरस,, देख नंदीश्वर  गण  समेत !
नागों के हार गल कंठ साजे,!
 भागीरथी की बहती धार! पापनाशिनी वन करें तकाजे!! 

                ✍️  डी.पी.शुक्ला 'सरस', टीकमगढ़(म.प्र.)

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16- राज गोस्वामी, दतिया(म.प्र.)


शंभू भोला नाथ हमारे संग नादिया वारे । 
डूडा वाहन करत सवारी साप गरे मे डारे ।।

है त्रिनेत्र पर खोलत नैया पारवती के प्यारे ।
राज मगन है अपनी धुन मे घोटत भंग बिचारे ।।
                                
✍️ राज गोस्वामी, दतिया(मप्र)

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

17- वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़

जय हो प्रभु तुम्हारी , हे नाथ जय तुम्हारी
मेरी जिन्दगी तुम्हारी, सारी जिन्दगी तुम्हारी
चाहे इसे बना दो ,चाहे इसे मिटा दो
चाहे इसे उठा दो, चाहे इसे गिरा दो
जय हो प्रभु--------
मेरी जिन्दगी------
------------स्वरचित-------------- 
-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

18- अभिनंदन गोइल, इंदौर (मप्र)
शिव तत्व को नमन्
----------+++-------
नमन करूँ उस तत्व को,जो है शांति स्वरूप।
नमस्कार  उस   तेज  को,जो सुखमय चिद्रूप।।

बोध  प्राप्त  उसका हुआ, टूट गई सब भ्रांति।
जैसे   टूटा  स्वप्न  हो, उदित  हुई  नव क्रांति।।
                                 - अभिनन्दन गोइल, इंदौर

ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं

आज की पटल समीक्षा- 
समीक्षक -राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़
170-आज की समीक्षा** *दिनांक -11-3-2021*
समीक्षक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
 *बिषय-हिंदी बिषय- महाशिवरात्रि*
सर्वप्रथम आप सभी को महाशिवरात्रि पर्व की अनंत शुभकामनायें।
आज पटल पर हिंदी में *महाशिवरात्रि* केन्द्रित रचनाएं पोस्ट करनी थी  सभी साथियों ने भोलेनाथ पर बेहतरीन रचनाएं लिखी है आनंद आ गया। को बधाई।
आज  सबसे पहले *1-श्री राज गोस्वामी दतिया* ने भोलेनाथ के रुप का बहुत बढ़िया वर्णन किया है-
शंभू भोला नाथ हमारे संग नादिया वारे । 
डूडा वाहन करत सवारी साप गरे मे डारे ।।
*2-सरस कुमार जी, दोह, खरगापुर* लिखते हैं कि शिवशंकर दीन-हीन के रक्षक है-
हे शिव शंकर, हे कैलाशी 
तुम दीन - हीन के रक्षक 
सृष्टि की क्रिया प्रतिक्रियाके तुम संचालक 
तुम गहरे दुख को हरते।।

*3-पूजा शर्मा, गाडरवाड़ा* से  महाकाल पर बहुत सुंदर रचना लिखा शब्दों का चयन बधाई के काबिल है-
मैं क्षणिक निरंतर शून्य,
समस्त अंतरिक्ष का मंच हूँ।
कर्ता और अकर्ता मैं, 
नारायण और विरंच हूँ।।
*4*हंसा श्रीवास्तव जी भोपाल* से शिव विवाह पर बहुत उमदा गारी लिखी है-
हिमांचल के द्वौरे आई बारात 
आ गये बरतिया खावै जैवनार।
भूत प्रेत जैवन खों आऐं,
नर मुडौंसे खुद खों सजाऐं,
उनमें नहिऐं कोनऊ एकई नार ।
*5-श्री अशोक पटसारिया नादान लिधौरा* ने शंकर जी के श्रृंगार पर शानदार रचना लिखी है-
नागों के हार गले,भूतों के भूतनाथ।
श्मशान में भी जो,भस्मी रमाता है।।
डमरू त्रिशूलपाणी,चन्द्रमौलि मुण्डमाल।
भागीरथी गंगा ,जटा में समाता है।।
*6-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा* ने बढ़िया हाइकु रचे है बधाई-
1-शिव विवाह/आज हरे मंडव /गारी जेगाह
2सुनो बहिना/धाम शिव चलना/जय कहना
*7-जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा* से भजन में कहते है-
प्रथम गणेश मनाऊं,माँ गौरी को ध्याऊं।
बम बम लहरी तेरी भँगिया घुटाँऊं।।
कार्तिकेय संग श्री गणेश ने,पाया प्यार तुम्हारा।
नन्दीबनी सवारी तेरी,शिर गंगा की धारा।।
यश में तेरा गाँऊं,मैं ध्यान लगाऊं।
बम बम लहरी........
*8 श्री अभिनन्दन जी गोइल इंदौर* से शिव तत्व को नमन् कर रहे है-
नमन करूँ उस तत्व को,जो है शांति स्वरूप।
नमस्कार  उस   तेज  को,जो सुखमय चिद्रूप।।
बोध  प्राप्त  उसका हुआ, टूट गई सब भ्रांति।
जैसे   टूटा  स्वप्न  हो, उदित  हुई  नव क्रांति।।
*9- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* टीकमगढ़ ने शिवजी पर केंद्रित तीन हाइकु लिखे-
शिव शंकर/जय हो भोलेनाथ/ सदा हो साथ ।।
 हे नीलकंठ/ऊं बम बम बोले /जोर से बोलें ।।
 महामंत्र है/ओम नमः शिवाय/कष्ट मिटाय ।।                  
  *10- सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़* ने महादेव महिमा लिखी-
महादेव ,महादेव ,महादेव/देवों के देव महादेव ।
मैं नाम उच्चारण करूं महादेव/भक्त उपासक बनूँ महादेव 
*11-डॉ सुशील शर्मा जी गाडरवारा* से शिव संकल्प लिख रहे हैं-
शुभ विचार एकाग्रता ,हो कल्याण प्रकल्प। 
अहंकार का नाश ही होता शिव संकल्प। ।
मृत्यु में जीवन निहित जीवन से उत्कर्ष। 
अधिष्ठात्र शिव देव हैं शिव संकल्प प्रकर्ष। 
*12-किशन तिवारी भोपाल* ने अपनी ग़ज़ल में शानदार शेर कहे है बधाई 
आज  के दौर में  जिसकी  नहीं ख़ता कोई 
रोज़ आँखों में उसकी ख़ौफ़ झलकता कोई 

लोग चुपचाप हैं सन्नाटा शहर में क्यूं है ।
और ये मज़हबी  बारूद  उगलता  कोई ।।
*13-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु बडागांव झांसी* भोले बाबा के रंग पर लिखा है-.
आज रंग में भोले बाबा/सती संग में भोले बाबा//
खांय धतूरा चिलम लगाये, मस्त भंग में भोले बाबा/
बिच्छू और ततइयां भारी, संग भुजंग में भोले बाबा/
*14-राम कुमार शुक्ल जी चंदेरा* से लिख रहे है-
फाल्गुन के इस मास में,फूल खिले बहु रंग  ।
 शिव प्रसाद के असर से,  मन मोरौ चितभंग।।
*15-डी.पी. शुक्ला ,,सरस,  टीकमगढ़* ने भी अच्छी कविता रची-
काल के कपाल पर, कैलाश अमरनाथ बिराजे! 
केदारनाथ पशुपतिनाथ, श्वेत वस्त्र साजे !!
*16-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़* ने छोटी रचना लिखी लेकिन गागर में सागर है-
जय हो प्रभु तुम्हारी , हे नाथ जय तुम्हारी
मेरी जिन्दगी तुम्हारी, सारी जिन्दगी तुम्हारी
चाहे इसे बना दो ,चाहे इसे मिटा दो
चाहे इसे उठा दो, चाहे इसे गिरा दो
*17- प्रदीप खरे 'मंजुल' जी* ने बहुत बढ़िया और भावपूर्ण रचना लिखी है बधाई
मां ने जीवित किया देवों को, शिव से ब्याह रचाया।
मां ने रूप लिया सति का, शिव जी से वर पाये।
अपना नेत्र दिया माई नें, शिव त्रिनेत्र हैं पाये। 
शिव बिन शक्ति, शक्ति बिन शिव, कभी होंयै न पूरे। 
शिव शक्ति की पूजा सें, रहें न काज अधूरे। 
*18-शील चन्द्र जैन, ललितपुर (उ0प्र0)* सुंदर भावभरे है-
सारे जग की पीर हरो , त्रिशूलपाणि त्रिपुरारी !
माँ गंगा सा पावन कर दो निर्मलगंगा सिरधारी !।

कुछ साथियों ने पटल पर मना करने के वावजूद भी पटल पर फोटो पोस्ट की है तो वहीं कुछ अतिउत्साही साथियों ने दो -दो रचनाएं पोस्ट करके क्या साबित करना चाहते है समज में नहीं आता पटल के सभी साथियों में इतनी क्षमता है कि वे एक दिन में किसी भी बिषय पर 10-10 रचनाएं लिख सकते है फिर भी सभी साथी नियमों का पालन करते आ रहे लेकिन बहुत दुःख होता है कि कुछ साथी नियमों का पालन नहीं करते है  मुझे बार बार लिखने में शर्म आती है लेकिन.....
हम पुनः सभी साथियों ने अनुरोध करते हैं कि पटल पर कोई भी फोटो पोस्ट न करे केवल एक बार में ही एक रचना पोस्ट करें।
आज वाकई सभी ने  शिवजी पर एक से बढ़कर एक रचनाएं पोस्ट की भोलेनाथ की कृपा उनपर सदा बनी रहे यही कामना करते हैं।
*समीक्षक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*

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          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

         ईबुक प्रकाशन दिनांक 11-03-2021
            टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
                 मोबाइल-9893520965

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