Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 30 मार्च 2021

बुंदेली ग़ज़ल "होरी"- ग़ज़लकार-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)

**बुंदेली ग़ज़ल-*होरी*(राजीव नामदेव "राना लिधौरी")
*बुंदेली ग़ज़ल-*

खूबई हंसी ठिठौली हो रई।
होरी रंग-रंगोली हो रई।।

चुनाव आ रय फिर कैं भइया।
टिकटन की फिर बोली हो रई।।

ऊपर से़ तो दिखे हैं बाबा।
बदमाशन की टोली हो रई।।

मेंगाई जा बढ़तई जा रई।
अर्थव्यवस्था पोली हो रई।।

उनकैं मौ में लगौ मसूका।
दूर-दूर हमजोली हो रई।।

उनैं देख कै नसा सो आ रऔ।
बा तौ भाँग की गोली हो रई।।

उनकी मींठी लगत है सुनकै।
बुन्देली रस-बोली हो रई।।
          *** 
*-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* 
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
   टीकमगढ़ (मप्र) मो.-९८९३५२०९६५
खूबई हंसी ठिठौली हो रई।
होरी रंग-रंगोली हो रई।।

चुनाव आ रय फिर कैं भइया।
टिकटन की फिर बोली हो रई।।

ऊपर से़ तो दिखे हैं बाबा।
बदमाशन की टोली हो रई।।

मेंगाई जा बढ़तई जा रई।
अर्थव्यवस्था पोली हो रई।।

उनकैं मौ में लगौ मसूका।
दूर-दूर हमजोली हो रई।।

उनैं देख कै नसा सो आ रऔ।
बा तौ भाँग की गोली हो रई।।

उनकी मींठी लगत है सुनकै।
बुन्देली रस-बोली हो रई।।
          *** 
*-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* 
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
   टीकमगढ़ (मप्र) मो.-९८९३५२०९६५
खूबई हंसी ठिठौली हो रई।
होरी रंग-रंगोली हो रई।।

चुनाव आ रय फिर कैं भइया।
टिकटन की फिर बोली हो रई।।

ऊपर से़ तो दिखे हैं बाबा।
बदमाशन की टोली हो रई।।

मेंगाई जा बढ़तई जा रई।
अर्थव्यवस्था पोली हो रई।।

उनकैं मौ में लगौ मसूका।
दूर-दूर हमजोली हो रई।।

उनैं देख कै नसा सो आ रऔ।
बा तौ भाँग की गोली हो रई।।

उनकी मींठी लगत है सुनकै।
बुन्देली रस-बोली हो रई।।
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©-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"* 
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
   टीकमगढ़ (मप्र) मो.-९८९३५२०९६५