महिला शक्ति
महिला शक्ति
(हिन्दी दोहा संकलन) ई बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 9-03-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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अनुक्रमणिका-
1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
2-अशोक पटसारिया 'नादान' लिधौरा (टीकमगढ़)
3-कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
4-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
5-रामानन्द पाठक,नैगुवा(म.प्र.)
6-सियाराम अहिरवार टीकमगढ़ (म.प्र.)
07-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल,(म.प्र.)
08- राम कुमार शुक्ला चंदेरा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ मप्र
10-डां सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा (मप्र)
11- सरस कुमार, दोह, खरगापुर
12- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़
13- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़(मप्र)
14- डॉ.रेणु श्रीवास्तव भोपाल (म.प्र.)
15- एस.आर. 'सरल', टीकमगढ़ (मप्र)
16- राज गोस्वामी, दतिया(मप्र)
17-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़(मप्र)
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1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
**बिषय- महिला/नारी*
*1*
महिला रुप अनेक है,
करो सभी का मान।
मां,बेटी,पत्नी भली,
देवी मात समान।।
*2*
नारी के सम्मान का
रखो हमेशा ध्यान।
उनके ही सहयोग से,
इक दिन बने महान।।
****
✍️राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-अशोक पटसारिया नादान ,लिधौरा ,टीकमगढ़
💐महिला पर दोहे💐
""""" ""''''' ""''''''" ""''''' """""
नारी तूँ नारायणी,
इस जग की आधार।
भगनी जननी भार्या,
बेटी सा उपहार।।
प्रथम पाठशाला यही,
संस्कार की खान।
आज इन्ही के हाथ में,
घर भोजन महमान।।
आधी आबादी यही,
यही हमारी शान।
इनके बिन ना बचेगी,
मानव की पहिचान।।
कोमल सुंदर मखमली,
आभामय लावण्य।
दिव्य भव्य आलोकमय,
इनसे सुखद न अन्य।।
सीता अनुसुइया सती,
मीरा राधा रूप।
सरस्वती उर लक्ष्मी,
अद्भुत सभी स्वरूप।।
* * *
🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹🍁
✍️ -अशोक पटसारिया 'नादान',लिधौरा, टीकमगढ़
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जननी माँ के रूप में , महिला बहुत महान ।
असहनीय दुख झेलकर , बिखराती मुस्कान ।।
महिला शिशु संतान को , छाती से चिपकात ।
ममता खूब उडे़लती , अमृत पान करात ।।
महिला पत्नी रूप में , पति की करत सँभाल ।
गृहस्थ आश्रम हो सुखद , रखती हृदय विशाल ।।
महिला घर की लक्ष्मी , प्रथम गुरु गुणरूप ।
बेटी बहिना भार्या , ममता - मयी अनूप ।।
महिला कुल की कीरती , आन बान औ शान ।
घर की देवी को मिले , श्रद्धा सुख सम्मान ।।
✍️कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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4-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
#1#
जिनके घर महिला नहीं,सुखी न वह परिवार।
महिला सें नीकौ लगे,घर आँगन अरु द्वार।।
#2#
माता बहिनें बेटियां, हैं महिला के रूप।
महिला हो परिवार में,छाया खिलती धूप।।
#3#
महिला ना हो महल भी,लगै भूत दरवार।
जिनके बिन परिवार भी,हो जाबै लाचार।।
#4#
महिला हो ममतामयी, मन की आखें होंय।
जिनको तरसें सुर असुर,धर्म काज ना होंय।।
#5#
हिला मिला महिला रखो,स्वर्ग बने परिवार।
महिला से ही पुरुष की ,आँखें होतीं चार।।
✍️ जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
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5-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा,
1
नर की जननी नारियां,शक्ति ही पहले होय ।
नारी ही पूजित प्रथम,तर्क न करवै कोय।।
2
प्राण दांव पै देश हित, सींमा डटवें आज ।
नभ सेना के अंग भी, करतीं सैनिक साज ।।
3
पुरुषार्थ केओहदें ,नारीं बैठीं आज ,।
नर महिला अब भेद कम, बचे ना एकउ काज ।।
4
गुजरे दुर्दिन आज वे, रहतदशादयनीय ।
जग में समता मांगती, रहूं न मैं दयनीय ।।
5
महिला के उत्थान हित ,बने संगठन आज ।
सामाजिक हित न्याय हो,रहे न वह मुंहताज ।।
✍️ -रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा,
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6-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
1****
महिला के हर रूप में ,सर्वश्रेष्ठ है मात ।
बहिना बेटी भार्या ,फिर इनकी है बात ।।
2****
महिला ही कुल तारती ,समझदार हो नार ।
सदा निभाती फर्ज वो ,करती नैया पार ।।
3****
महिला नर की खान है ,यही है विधि विधान ।
उपजे इससे जन सभी ,वही कराती भान ।।
4****
पहिया दो बनकर चलें , ऐसा है संयोग ।
महिला अपने पति बिना ,भोगत बहुत वियोग ।।
5****
महिला पत्नी रूप में ,रखती सेवाभाव ।
पुरुष हमेशा खेलता ,हर स्वारथमय दाव ।।
✍️ सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
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07-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल, (म.प्र.)
✍️ हंसा श्रीवास्तव, भोपाल
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08-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा, (टीकमगढ़)
महिला कौ है मान जां,
वहां स्वर्ग सम बास।
ममता प्रेम उड़ेलती,
करती जहां निवास।।1।।
दोनों कुल के मान का,
रखती सदा है ध्यान।
महिला का इस धरा पर,
पग पग हो सम्मान।।2।।
राम कहीं दिखते नहीं,
हैं रावण के ठाट।
हर महिला अब सोचती,
कलयुग असर विराट।।3।।
✍️ राम कुमार शुक्ल,चंदेरा, टीकमगढ़
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9-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
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10-डॉ सुशील शर्मा ,गाडरवारा (मप्र)
मां-बेटी-पत्नी-बहन, नारी रूप हजार।
नारी से रिश्ते सजे, नारी से परिवार।
नारी बीज उगात है, नारी धरती रूप।
नारी जग सिरजित करे, धर-धर रूप अनूप।
नारी में नर निहित है, नारी शुद्ध विवेक।
नारी मन निर्मल करे, हर लेती अविवेक।
पिया संग अनुगामिनी,ले हाथों में हाथ।
सात जनम की ले कसम ,सदा निभाती साथ।
हर युग में नारी बनी, बलिदानों की आन।
खुद को अर्पित कर दिया, कर सबका उत्थान।
✍️ डॉ सुशील शर्मा ,गाडरवारा (मप्र)
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11- सरस कुमार, दोह, खरगापुर
देवो ने पूजा जिन्हें, जग ने दिया सम्मान ।
उस नारी की रक्षा में, हो जाए कुरबान ।।
प्रेम, समर्पण, वीरता, स्वाभिमान औ त्याग ।
लज्जा का श्रृंगार है, नारी है अनुराग । ।
मीरा - राधा नाम दो, प्रेम कि गहरी खान ।
एक विरह में बावरी, एक करे विषपान ।।
जननी जीवनदायनी, नारी से संसार ।
नारी से अनुराग है, नारी से परिवार ।।
दुआ, दवा औ प्रीत भी, नारीत्व का स्वरूप ।
माता, बहन, पत्नी सब, तीनों जग का रूप । ।
✍️ सरस कुमार, दोह, खरगापुर ,जिला टीकमगढ़
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12- गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़ (मप्र)
1-नारी से पैदा हुये
बड़े बड़े जे भूप
शिष्टी करता नार है
ईश्वर का है रूप
2-नारी नाम अनेक है
जिनका जैसा काम
थोड़े गुण अगुण अधिक
महिला है बदनाम
✍️ गुलाब सिंह यादव भाऊ, टीकमगढ़
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13- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ (मप्र)
है निश्चित उस राष्ट्र का,
सर्वांगीण उत्थान।
जहाँ समाज परिवार में,
महिला का सम्मान।।
'म' से पाई 'महानता',
'हि' से हित है प्रभाव।
'ला' से 'लाज' समाज की,
'महिला' श्रेष्ठ स्वभाव।।
✍️ रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
मौलिक-स्वरचित
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14- डॉ.रेणु श्रीवास्तव भोपाल (म.प्र.)
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15-एस आर सरल, टीकमगढ़,(म.प्र.)
#1#
महिला है गृह मालकिन,
.. सबकी खातिरदार।
खल कामी अबला समझ,
करते अत्याचार।।
#2#
महिला संयम बरतती,
देती दो कुल तार।
जिस घर मे महिला सुखी,
खुशी वही परिवार।।
#3#
शक्ति स्वामिनी रूपसी,
. दीपहि सुता अनूप।
पती प्राण संतान माँ,
महिला के बहु रूप।।
#4#
पूनम निशा सुहावनी,
छिटके.गगन मयंक।
गृह शशि महिला की झलक,
ज्यो मयंक निकलंक।।
. #5#
अमन चैन सुख दायनी,
प्यार मोहनी खान।
लिये रूप लावण्यता,
मंद मंद मुस्कान।।
मौलिक एवं स्वरचित
✍️ एस आर सरल, टीकमगढ़(म.प्र.)
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16- राज गोस्वामी, दतिया(मप्र)
1-नारी तू नारायणी शिव भी तिरे अधीन ।
अपना रूप विसार कर,रूप बदल धर लीन ।।
2-नारी जग की पूज्या जग बस मे करलीन ।
बृम्हा विष्णु महेश संग,भए तेरे आधीन ।।
3-नारी तेरे रूप बहु नारी चतुर सुजान ।
मा बेटी बहिना तुही तू ,ही पति की जान ।।
4-नारी पालनहार है नारी देवि स्वरूप ।
नारी जननी जानकी,नारी अनगिन रूप ।।
5--नारी दुर्गा रूप है नारी गुण की खान ।
नारी रूप पृकाशनी नारी,सकल जहान ।।
✍️ राज गोस्वामी, दतिया(मप्र)
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17- वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
समझो ना कमजोर अब,तुम महिला को आज।
पुरुषों जैसा कर रहीं,महिलायें हर काज।।
जिस घर में महिला नहीं,लगता बो सुनसान।
ऐसे घर से दूर ही , रहते हैं भगवान।।
महिला गुण की खान है,इनसे घर की शान।
हम सब मिलकर के करें,जीवन भर सम्मान।।
-----------स्वरचित-------------
-वीरेन्द्र कुमार चंसौरिया, टीकमगढ़
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जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
बुंदेली में दोहा लेखन
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1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया राजीव जी
One more my post
8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कुछ विशेष उद्धरण
https://www.sukhlani.com/2022/03/8-march-womens-day-status-in-hindi.html
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