गागर में सागर भरे दोहे
गागर में सागर भरे दोहे
(दोहा संकलन) ई बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 14-03-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
अनुक्रमणिका-
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-अशोक पटसारिया 'नादान' लिधौरा (टीकमगढ़)
03-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
04- सियाराम जी अहिरवार,टीकमगढ़ (म.प्र.)
05-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल,(म.प्र.)
06-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ मप्र
07-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)
08-सरस कुमार, दोह, टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
10- गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा, टीकमगढ़
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
1- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
**बिषय- गागर में सागर*
*गागर में सागर* भरे,
ये दोहे अनमोल।
जय बुंदेली समूह है,
अहम निभाता रोल।।
*14-3-2021*
✍️राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
2-अशोक पटसारिया नादान ,लिधौरा ,टीकमगढ़
💐गागर में सागर💐
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गागर में सागर भरो,
जा कानात कुआइ।
सागर में गागर भरी,
तत्व एक है भाइ।।
गागर में जल होत है,
सागर जल के मांहि।
गागर फूटी जल बहा,
सागर में मिल जांहि।।
पानी सागर में रहत,
पानी गागर मांहि।
ब्रम्ह जीव दुइ एक हैं,
अंत एक हो जांहि।।
सागर में रैते अपुन,
फिर भी प्यासे रात।
मीन प्यासी जलइ में,
हांसी की है बात।।
कस्तूरी मृग नाभि में,
मृग ढूढ़त बन मांहि।
एसइ घट घट ब्रम्ह हैं,
हम तुम जानत नांहि।।
सागर में रै कें सबइ,
लहरन में बिद जात।
गैरे में उतरत नई,
जा अनहोनी बात।।
सागर की गैराइ में,
मोंती मिलत हजार।
बैठ किनारें जो रहें,
करें समय बेकार।।
गागर में सागर भरौ,
कै सुंदर कविताइ।
उम्दा लेख सुलेख खों,
कै देतइ हम भाइ।।
** **
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✍️ -अशोक पटसारिया 'नादान',लिधौरा, टीकमगढ़
ऊं ऊं ऊं/ बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़/ऊं ऊं ऊं
3-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
#बुन्देली गीत#
#थुन...बैरागी लला,सन्यासी लला
चलो तो जानदो ढलाचला
तनक ऐगर तौ आव,या हमखों बुलाव ।
गागर में सागर तुम भरकें बताव।।
#1#
बे हमसें बोले तुम देखी का रेल।
गप्प दयी मैंनें,और बात दयी पेल।
मैने कयी गाँव एक सबरे घर द्वार।
अपने अपने घर सब बैठे परिवार।
कितै जारय सुनाव।गागर में......
#2#
बे बोलेभैया जा दुनियाँ है गोल।
मैनें बताई जा ढोल कैसी पोल।
दूसरे ने दुनियां दौना सी बताई।
बोले या कुपरा सी चौंरी है भाई।
जौ समारौ बतकाव।गागर में.....
#3#
बे बोले देखो का पोलो पहार।
ऊमें पिड़ी टाड़ी मिटा देत हार।
मैने कयी चूहा ने पार करो छेद।
टाड़ी भर्रानी कव आगे कौ भेद।
गिनौ कितै कितै खाव।गागर में...
#4#
बे बोले तुमने का देखो है शेर।
मैने कयी घरै धरो तौलत कौ सेर।
पाँच सेर घुइयाँ दस आलू मँगाय।
जयहिन्द शेर दस हमने पढ़कें सुनाय।।
तबयी बुजा पाये ताव।गागर में....
#मौलिक एवम् स्वरचित#
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#6260886596#
#
✍️ जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)
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4-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
1***
गागर में सागर भरें ,सकल पटल विद्वान ।
सभी मनीषी श्रेष्ठ हैं, अद्भुत सबका ज्ञान ।।
2***
सुमधुर बोलत वचन जो ,मन से रहता नेक ।
गागर में सागर भरे ,अवगुण देता फेंक ।।
सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़ ।🙏🙏🙏
✍️ सियाराम अहिरवार,टीकमगढ़
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
05-हंसा श्रीवास्तव, भोपाल, (म.प्र.)
✍️ हंसा श्रीवास्तव, भोपाल
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
6-प्रदीप खरे 'मंजुल' टीकमगढ़ (मप्र)
गागर में सागर भरन की, न इच्छा भई पूरी।
गागर सें सागर की, कभऊं न कम भई दूरी।।
कच्ची रई माटी जा, भिसक भिसक जावै।
जीवन में औसर तौ, खिसक खिसक जावै।।
औसर जो आबे सो, जिन करियो भूल।
चूके सैं चुभें शूल, करैं खिल जैहें फूल।।
✍️ प्रदीप खरे 'मंजुल' टीकमगढ़ (मप्र)
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
7-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
कुंडलिया.
बोली दुनियां में मुलक, पीट रहीं हैं ढोल/
गागर में सागर भरे, बुंदेली के बोल//
बुंदेली के बोल,लयें रस अपनी भाषा/
पढ़-पढ़ होती पूर्ण, हिये की जो अभिलाषा//
कहता 'इंदु' विचार, लिये लय हंसीं ठिठोली/
शब्द-शब्द से प्यार, सरल बुंदेली बोली//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी (उप्र.)
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
8- सरल कुमार, दोह,टीकमगढ़,(म.प्र.)
गागर में सागर भर देती वह कविता हैं
सुमन, निराला, दिनकर देती वह कविता हैं
सारे जग का दर्द सुनाती वह कविता हैं
अनभिज्ञ को राह दिखाती वह कविता हैं
सहमे सारथी को पर देती वह कविता हैं
मन के मारे को घर देती वह कविता हैं
गिरते को दौड़ाने वाली वह कविता हैं
शत्रु को गले लगाने वाली वह कविता हैं
झूठे बेरों में छप्पन भोग लगाती वह कविता हैं
तनहा कृष्ण खड़े फिर भी जग दर्शाती वह कविता हैं
प्रेम में कितने युग दूर है मीरा वह कविता हैं
दूर होते निकट जानकी रामचंद्र के वह कविता हैं
- सरस कुमार ,दोह खरगापुर 🙏
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
9-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
मन में सुन्दर भाव हो ,
मुख में होय रसान ।
गागर में सागर भरे ,
कविवर होत महान ।।
सज्जनता हिय में बसे ,
वाणी में हो लोच ।
उत्तम पुरुष कहात है ,
सकारात्मक सोच ।।
--- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
10-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ भा
गागर में सागर भरे,
लिखो पटल पे ऐन।
सत बुद्धि सत भाव को,
पकरे रईवो पेन ।।
गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
गागर में सागर भरे दोहे
(दोहा संकलन) ई बुक
संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 14-03-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
1 टिप्पणी:
बहुत ही सुंदर काव्य संग्रह। सभी कवियों को शुभकामनाएँ।
डाॅ• महेंद्र 'माहेन'
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